लखनऊ:Nainital Bank के शताब्दी वर्ष का जश्न फीका पड़ गया है. बैंक ऑफ बड़ौदा ने नैनीताल बैंक के विनिवेश का फैसला लिया है.
बैंक ऑफ बड़ौदा के पास नैनीताल बैंक की 98.57 प्रतिशत हिस्सेदारी है.
इस हिस्सेदारी में विनिवेश की मंजूरी दे दी गई है. बैंक अधिकारी और कर्मचारी इसके विरोध में उतर आए हैं.
Nainital Bank के कर्मचारी अधिकारी और सेवानिवृत्ति कर्मचारियों ने आज लखनऊ में बैंक ऑफ बड़ौदा की नैनीताल बैंक में अपनी अधिकांश हिस्सेदारी बेचने की योजना का जोरदार विरोध किया.
Nainital Bank निर्णय को वापस लेने के लिए तथा बैंक का विलय बैंक ऑफ बडौदा में करने के लिए ज्ञापन सौंपा गया.
50 साल से लगतार मुनाफे में चल रहे बैंक के विनिवेश के प्रयास का विरोध करते हुए अवगत कराया गया कि बैंक ऑफ बडौदा के आदेश वापस लेने के
तथा नैनीताल बैंक के बैंक ऑफ बडौदा में मर्जर न होने तक बैंक कर्मचारियों,
सेवानिवृत्त कर्मचारियों तथा बैंक के खाताधारकों द्वारा आंदोलन जारी रहेगा.
भारत रत्न स्व. गोविंद बल्लभ पंत के प्रयास से 1922 में नैनीताल बैंक की स्थापना की गई थी.
बैंकों के राष्ट्रीयकरण के दौर में आरबीआई ने 1973 में बैंक ऑफ बड़ौदा को नैनीताल बैंक के प्रबंधन का दायित्व सौंपा.
2018 में बैंक ऑफ बड़ौदा ने नैनीताल बैंक(Nainital Bank) के विनिवेश का प्रयास किया.
नैनीताल बैंक के अधिकारियों और कर्मचारियों के विरोध के चलते तत्कालीन सांसद भगत सिंह कोश्यारी के दखल के बाद इस पर रोक लग गई थी.
अब बीती 13 दिसंबर बैंक ऑफ बड़ौदा ने फिर से नैनीताल बैंक के विनिवेश की घोषणा कर दी है