Plasma Therapy से लिवर ट्रांसप्लांट के बिना ठीक हुआ मरीज

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Plasma Therapy

Plasma Therapy:दरअसल राजधानी दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में 52 साल के एक मरीज का इलाज प्लाज्मा एक्सचेंज थेरेपी से किया और सफल भी रहा

लिवर खराब होने की परेशानी से जूझ रहे मरीजों का इलाज आसान बनाने के लिए मेडिकल क्षेत्र ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है.

लिवर खराब होने की स्थिति में ट्रांसप्लांट जैसे जटिल प्रक्रिया से गुजरने वाले मरीजों के लिए उम्मीद की किरण दिखाई दी है.

Plasma Therapy:दरअसल राजधानी दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में 52 साल के एक मरीज का इलाज प्लाज्मा एक्सचेंज थेरेपी से किया और सफल भी रहा.

ऐसे बहुत कम मामले रहे हैं जब निष्क्रिय होने की स्थिति में पहुंचे मरीज को लिवर ट्रांसप्‍लांट से नहीं गुजरना पड़ा हो.

इस गंभीर बीमारी के लिए इलाज का ये तरीका अभी बेहद कम इस्तेमाल में लाया जाता है.

30 लाख के ट्रांसप्लांट को 30 हजार में बदलकर ठीक करने वाला या कारनामा गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के डॉक्टरों ने किया है.

ये इस बीमारी के लिए इलाज को भी सस्ता बनाएगा.

दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल की तरफ से मिली जानकारी के अनुसार एक 52 साल के मरीज को इस अस्पताल में 2 सप्ताह पहले पीलिया के लक्षणों के साथ भर्ती किया गया था.

भर्ती किए गए मरीज की हालत खराब थी और उसके सोचने समझने की शक्ति भी लगभग जा चुकी थी.

उसके पेट में पानी इकट्ठा हो गया था

और मूत्र उत्पादन में कमी होने लगी जिससे पता चला कि उसे किडनी की भी परेशानी होने लगी थी.

डॉक्टर ने बताया कि जब उस मरीज की जांच की गई तो उसे हेपेटाइटिस बी वायरस पॉजिटिव पाया गया.

उसे क्रोनिक लिवर फेलियर (एसीएलएफ) पर तुरंत उपचार की जरूरत थी.

किए गए टेस्ट से पता चला कि मरीज का लिवर इतना खराब हो चुका है कि उसके एक महीने तक जिंदा रहने की संभावना भी लगभग 50 फीसदी तक ही रह गयी है.

इस हालत में उसका डायलिसिस करने के बारे में सोचा गया.

इस बारे में अस्पताल के डिपार्टमेंट ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी डॉ. पीयूष रंजन ने बताया, ‘मरीज की हालत खराब थी और परिवार में कोई डोनर नहीं था,

ऐसे में हमने उन्हें प्लाज्मा एक्सचेंज ‘प्लेक्स’ के एक असामान्य तरीके के बारे में बताया.’

उन्होंने कहा कि हमने प्लाज्मा एक्सचेंज थेरेपी कुल 5 बार की.

दूसरी बार जब हमने प्लेक्स किया तभी हमने पाया कि मरीज के पीलिया की तकलीफ में सुधार आने लगा है.

धीरे धीरे मरीज की चेतना में सुधार हुआ और गुर्दे के काम करने में भी सुधार होने लगा.

प्लेक्स के अलावा हमने और इलाज जारी रखे, जिनमें से सबसे जरूरी थी एंटीवायरल थेरेपी.

अस्पताल में भर्ती होने के 20 दिनों बाद मरीज की स्थिति में सुधार आने लगा हमने उसे डिस्चार्ज कर दिया.

एक महीने बाद जब हमने फॉलोअप लिया तो पाया कि मरीज के पेट में इकट्ठा हुआ पानी पूरी तरह से खत्म हो गया

और पीलिया सामान्य हो गया.’

प्लाज्मा एक्सचेंज थेरेपी में मरीज का प्लाज्मा निकालकर उसकी जगह दूसरे फ्लूड जैसे एफएपी, नॉर्मल लाइन का ट्रांसफ्यूजन किया जाता है.

यह मरीजों की स्थिति के अनुकूल किया जाता है.

जिससे मरीज के शरीर में मौजूद हानिकारक एंटीबॉडी निकल जाती है

और उसके जगह में उन्हें नॉर्मल कंसीक्वेंट दिए जाते हैं.

Plasma Therapy:प्लेक्स हेमोडायलिसिस में मरीज से खून निकालकर मशीन की मदद से सेंट्रीफुगेशन द्वारा सेलुलर घटकों यानी आर बी सी, डब्ल्यू बी सी और प्लेटलेट को प्लाज्मा से अलग किया जाता है.

इस प्रक्रिया में प्लाज्मा को हटा देने के बाद ताजा प्लाज्मा और एल्ब्यूमिन को सेलुलर घटकों के साथ मिलाया जाता है

और मरीज को वापस लौटा दिया जाता है.

प्लाज्मा में और भी कई जहरीले उत्पाद होते हैं जिससे लिवर को नुकसान पहुंच सकता है.

लेकिन प्लेक्स में पूरे प्लाज्मा को हटा दिया जाता है, इसलिए डायलिसिस की तुलना में यह बेहतर उपाय उभर कर सामने आया है.

इस इलाज में कितना खर्च आ सकता है

डॉ. रंजन ने कहा कि हर बार के ट्रीटमेंट के दौरान 30,000 रुपए का खर्च आता है

और एक खून देने वाले व्यक्ति की भी जरूरत होती है.

उन्होंने कहा कि पहली ट्रीटमेंट से पॉजिटिव प्रतिक्रिया मिलने पर औसतन प्लेक्स के 3 सत्र किए जाते हैं.

हालांकि ये जरूरी नहीं कि सभी मरीज के लिए 3 ही सेशन हो.

कुछ मरीजों को इससे ज्यादा सत्र की आवश्यकता हो सकती है

जैसे इस लिवर खराब होने की परेशानी से जूझ रहे इस मरीज को 5 सत्रों की जरूरत पड़ी थी.

फिर भी ये लिवर ट्रांसप्‍लांट की तुलना में ये काफी सस्ता है.

अब तक 10 मरीज प्लेक्स से हो चुके हैं ठीक

उन्होंने कहा कि हम अपने मरीजों को प्लेक्स की पेशकश कर रहे हैं.

अब तक हमने 10 मरीजों का ऑपरेशन किया और उसे लिवर ट्रांसप्लांट जैसी जटिल ट्रीटमेंट से बचाया है.

उन मरीजों को अगर ट्रांसप्लांट करवाना पड़ता तो 25 से 30 लाख तक खर्च जरूर बैठता.

उन्होंने कहा कि बेशक ये मेडिकल क्षेत्र के लिए बड़ी उपलब्धि है. ये पुरानी टेक्नीक का नया एप्लीकेशन है.

इन बीमारियों का भी किया जा सकता है इलाज

इस थेरेपी की मदद से हम कई बीमारी का इलाज कर सकते हैं.

एक बीमारी है थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (ईटीपी) है. इसमें खून में खून में सामान्य से कम प्लेटलेट्स बनते हैं.

उसका सबसे पहला ट्रीटमेंट प्लाज्मा थेरेपी ही है.

इसके अलावा मायस्थेनिया ग्रेविस, गिलेनबारिए (न्यूरोलॉजिकल कंडिशन) इनको प्लाज्माथेरेपी से ट्रीट किया जाता है.

ये थेरेपी आने वाले समय में मेडिकल क्षेत्र में काफी मददगार साबित होने वाली है.

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