नई दिल्ली :Lakhimpur Kheri violence मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा (Ashish Mishra) को साल 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में बुधवार को आठ सप्ताह की अंतरिम जमानत दे दी.
जानकारी हो कि इस घटना में कुल आठ लोगों की मौत हो गयी थी.
Lakhimpur Kheri violence मामले में सुनवाई करते हुए 19 जनवरी को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.
हालांकि, फैसला सुनाते समय न्यायमूर्ति सूर्यकांत (Surykant) और न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी (JK Maheshwari) की पीठ ने स्पष्ट निर्देश दिया कि आशीष को अंतरिम जमानत की अवधि में उत्तर प्रदेश और दिल्ली में नहीं रहना होगा.
जानकारी हो कि तीन अक्टूबर 2021 को लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया में
तत्कालीन उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के दौरे का किसानों की ओर से विरोध किया जा रहा था.
इसी दौरान हुई हिंसा में आठ लोगों की मौत हो गई थी.
मामले में पांच अक्टूबर 2021 को घटना की जांच की निष्पक्षता पर गंभीर चिंता जताते हुए
उच्चतम न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गयी थी.
मामले में 20 अक्टूबर 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने जांच के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए,
कहा था कि पुलिस को इस धारणा को दूर करने की जरूरत है कि वह बहुत धीमे काम कर रही है.
उसे मजिस्ट्रेट के सामने गवाहों के बयान दर्ज कराने और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता है.
इसके बाद 26 अक्टूबर को शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार को गवाहों को सुरक्षा देने तथा और प्रत्यक्षदर्शी खोजने का निर्देश दिया.
Lakhimpur Kheri violence मामले की जांच के दौरान 17 नवंबर 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश राकेश कुमार जैन को उत्तर प्रदेश एसआईटी (विशेष जांच दल) की जांच की निगरानी करने के लिए नियुक्त किया था.
इसके बाद 10 फरवरी 2022 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने आशीष को नियमित जमानत दी थी.
हाईकोर्ट का कहना था कि मामला वाहन से टकराकर दुर्घटना होने का है.
इसके बाद 21 फरवरी 2022 को हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गयी.
आगे चार मार्च को सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर सुनवाई के लिए राजी हुआ.
29 मार्च उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि आशीष मिश्रा को जमानत देने को चुनौती देने का फैसला संबंधित प्राधिकारियों के पास लंबित है.
चार अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने आशीष को जमानत देने के फैसले पर सवाल उठाया और कहा कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट,
घावों की प्रकृति जैसे अनावश्यक विवरणों पर उस समय विचार नहीं किया जाना चाहिए था,
जब सुनवाई शुरू होनी बाकी हो. हालांकि, कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रखा.
मामले की सुनवाई करते हुए 18 अप्रैल 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से दी गई
जमानत को रद्द कर दिया और आशीष को एक हफ्ते में आत्मसमर्पण करने को कहा.
न्यायालय ने जमानत याचिका उच्च न्यायालय को वापस भेजी
और उससे तीन महीने के भीतर निष्पक्ष और उचित तरीके से तथा स्थापित मापदंडों को ध्यान में रखते हुए
फिर से फैसला करने को कहा.
इसके बाद 26 जुलाई 2022 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने आशीष की जमानत याचिका खारिज कर दी थी.