भारत में आवाज को दबाने की कोशिश होती है, बीबीसी एक उदाहरण है:लंदन में राहुल गांधी

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Rahul Gandhi in London

Rahul Gandhi in London:कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शनिवार को लंदन में मीडिया से बातचीत में कहा कि बीबीसी की घटना भारत में आवाज दबाने का उदाहरण मात्र है.

बीबीसी के डॉक्यूमेंट्री विवाद पर टिप्पणी करने के लिए कहे जाने पर

राहुल गांधी ने कहा, “यह एक तरह से अडानी के समान है… एक तरह से एक औपनिवेशिक हैंगओवर भी है.”

“हर जगह जहां विरोध होता है, वहां एक बहाना होता है.

पूरे देश में आवाज को दबाने की कोशिश होती है. बीबीसी एक उदाहरण है.”

Rahul Gandhi in London:राहुल ने कहा, “बीबीसी को इस बारे में अभी पता चला है, लेकिन भारत में ये सिलसिला पिछले 9 सालों से चल रहा है.

पत्रकारों को धमकाया जाता है, उन पर हमला किया जाता है और सरकार की बात करने वाले पत्रकारों को पुरस्कार दिए जाते हैं.

यह एक पैटर्न का हिस्सा है. मैं कुछ अलग की उम्मीद नहीं करूंगा.

अगर बीबीसी सरकार के खिलाफ लिखना बंद कर दे तो सब कुछ सामान्य हो जाएगा.

यह भारत की नई सोच है. बीजेपी चाहती है कि भारत खामोश रहे.”

मीडिया को चुप कराना नया ट्रेड है?

जब राहुल गांधी से पूछा गया कि क्या मीडिया को चुप कराना नया ट्रेंड है?

इस पर उन्होंने कहा, “बिल्कुल, यह कभी भी उस पैमाने पर नहीं किया गया है, जिस पैमाने पर आज किया जा रहा है.

यह भारतीय संस्थानों पर पूरी तरह से हमला है,

जो आधुनिक भारत में पहले कभी नहीं देखा गया है.”

Rahul Gandhi in London:राहुल गांधी ने कहा कि यह वजह है कि देश को खामोश करने के बीजेपी के प्रयासों के खिलाफ आवाज उठाने की अभिव्यक्ति के तौर पर उन्होंने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की.

इससे पहले कांग्रेस नेता ने शनिवार को आरोप लगाया था कि भारतीय लोकतांत्रिक ढांचों पर बर्बर हमले हो रहे हैं

और देश के लिए एक वैकल्पिक नजरिये के इर्दगिर्द एकजुट होने के लिए विपक्षी दलों में बातचीत चल रही है.

लंदन में इंडियन जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन के कार्यक्रम में उन्होंने कहा, “मीडिया, संस्थागत ढांचे, न्यायपालिका, संसद सभी पर हमले हो रहे हैं

और हमें सामान्य तरीके से लोगों के मुद्दे रखने में बहुत मुश्किल हो रही थी.”

उन्होंने कहा, “बीजेपी चाहती है कि भारत खामोश रहे. …

क्योंकि वे चाहते हैं कि जो भारत का है उसे ले सकें और अपने करीबी दोस्तों को दे सकें.

यही विचार है, लोगों का ध्यान भटकाना और फिर भारत की संपत्ति को तीन, चार, पांच लोगों को सौंप देना.”

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