नई दिल्ली:Padma Awards:शाह रशीद अहमद कादरी (Shah Rasheed Ahmed Quadari) को बुधवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पद्मश्री से सम्मानित किया.
शाह रशीद अहमद कादरी ने इस मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी से कहा कि,
उन्हें लगता था कि यूपीए में पद्म सम्मान मिलेगा लेकिन नहीं मिला.
उन्हें बीजेपी की सरकार से उम्मीद नहीं थी, इसलिए खामोश बैठे थे, लेकिन वे गलत साबित हुए.
उन्होंने पुरस्कार के लिए पीएम मोदी को धन्यवाद दिया.
बीजेपी सरकार से उन्हें Padma Awards मिलने की बिल्कुल उम्मीद नहीं थी.लेकिन, पीएम ने उन्हें गलत साबित कर दिया.प्रधानमंत्री इस बात पर बड़ी विनम्रता से हंसने लगते हैं.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस वर्ष के गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर 106 पद्म पुरस्कार दिए जाने को मंजूरी दी थी
शाह रशीद अहमद कादरी को बीदरी कला में कई नए पैटर्न और डिजाइन पेश करने के लिए पहचाना जाता है.
बीदरी एक लोककला है जिसकी पारंपरिक सृजन कर्नाटक के बीदर शहर से शुरु हुआ था.
धीरे-धीरे इस कला का प्रसार तेलंगाना और आंध्रप्रदेश में भी हो गया.
#WATCH | Shah Rasheed Ahmed Quadari, known for introducing many new patterns and designs in Bidri art, receives the Padma Shri from President Droupadi Murmu pic.twitter.com/1vAyYbJuuJ
— ANI (@ANI) April 5, 2023
बीदरी कला का नामकरण इस कला के जन्मस्थल बीदर गांव पर हुआ है. यह एक पारंपरिक शिल्पकला है.
इसमें जस्ता, तांबा, चांदी जैसी धातुओं के उपयोग से शिल्प तैयार किए जाते हैं. यह काफी जटिल कला स्वरूप है.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज 53 लोगों को पद्म पुरस्कार वितरित किए.
राष्ट्रपति भवन में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कई हस्तियों को पद्म पुरस्करों से नवाजा.
Padma Awards:समाजवादी पार्टी के संस्थापक रहे दिवंगत मुलायम सिंह यादव को मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया.
मशहूर चिकित्सक दिलीप महालनाबिस को भी मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया.
लेखक सुधा मूर्ति, भौतिक विज्ञानी दीपक धर, उपन्यासकार एसएल भैरप्पा और वैदिक विद्वान त्रिदंडी चिन्ना जे स्वामीजी को भी राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया.
दीपक धर सांख्यिकीय भौतिकी में अपने लंबे शोध करियर के लिए जाने जाते हैं.
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को मरणोपरांत सम्मान दिया गया.
वे भारत के रक्षा मंत्री और लंबे समय तक सांसद भी रहे थे.
हीं, 1971 के बांग्लादेश युद्ध शरणार्थी शिविरों में सेवा करने के लिए अमेरिका से लौटे महालनाबिस को मरणोपरांत सम्मान दिया गया.
उन्हें ‘ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन’ (ओआरएस) पर किए गए कार्य के लिए वैश्विक स्तर पर पहचान मिली थी. महालनाबिस का पुरस्कार उनके भतीजे ने प्राप्त किया.