J&K के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक को सीबीआई ने भेजा नोटिस

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Satya Pal Malik

नई दिल्ली:Satya Pal Malik:सीबीआई ने अपने नोटिस में जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक से भ्रष्टाचार के मामले को लेकर पूछताछ में शामिल होने को कहा है.

पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक को सीबीआई ने नोटिस भेजा है.

सीबीआई सत्यपाल मलिक से इस महीने की 27 और 28 अप्रैल को पूछताछ कर सकती है.

सत्यपाल मलिक से अकबर रोड पर एक गेस्ट हाउस में पूछताछ की जा सकती है.

हालांकि, सीबीआई ने इस नोटिस और सत्यपाल मलिक से पूछताछ की खबरों को लेकर

अभी तक कुछ भी आधिकारिक तौर पर नहीं कहा है.

Satya Pal Malik से जम्मू-कश्मीर में दो परियोजनाओं में कथित अनियमितताओं के संबंध में पूछताछ हो सकती है.

इन मामलों को लेकर दो मामले भी दर्ज किए थे.

ये मामले तब दर्ज किए गए थे जब सत्यपाल मलिक जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल थे.

बता दें कि अक्टूबर 2021 में सत्यपाल मलिक ने दावा किया था कि आरएसएस नेता से संबंधित एक फाइल को क्लियर करने के लिए,

उन्हें कथित तौर पर 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी.

ये रिश्वत दो परियोजनाओं की फाइल को लेकर दी जा रही थी.

इसमें से एक अनिल अंबानी की थी और दूसरी आरएसएस के एक नेता की.

मुझे दोनों विभागों द्वारा बताया गया कि ये एक घोटाला है फिर मैने उसी के आधार पर दोनों सौदे रद्द कर दिए.

इसी को लेकर सीबीआई ने दो एफआईआर दर्ज की थे.

दोनों की जांच चल रही है.

सीबीआई ने जम्मू कश्मीर सरकार के कर्मचारियों के लिए स्वास्थ्य बीमा योजना से जुड़ी,

अपनी एफआईआर में रिलायंस जनरल इंश्योरेंस और ट्रिनिटी री-इंश्योरेंस ब्रोकर्स लिमिटेड को आरोपी बनाया है,

जिसे सतपाल मलिक ने 31 अगस्त 2018 को कथित तौर पर मंजूरी दी थी,

इस योजना में अनिमित्ताओं के आरोप है.

योजना रद्द होने के बाद भी पहली किस्त के तौर पर 60 करोड़ रुपया जारी कर दिया गया.

गौरतलब है कि सत्यपाल मलिक बीते लंबे समय से केंद्र सरकार पर हमलावर रहे हैं.

उन्होंने किसान बिल के खिलाफ धरने पर बैठे किसानों के समर्थन में भी बात की थी.

उस दौरान केंद्र सरकार द्वार पास किए बिल का विरोध भी किया था.

उन्होंने कहा था कि केंद्र के तीन कृषि कानूनों के रद्द होना किसानों की ऐतिहासिक जीत है.

केंद्र सरकार को प्रदर्शनकारी किसानों के खिलाफ दर्ज मुकदमों को वापस लेने के संबंध में ईमानदारी से काम करना होगा.

उन्होंने साथ ही कहा था कि सरकार को फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी रूप देना होगा.

मलिक ने कहा था कि वह खुद भी इन कृषि कानूनों के खिलाफ थे.

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