इलाहाबाद:Gyanvapi Controversy: ज्ञानवापी मस्जिद और विश्वनाथ मंदिर विवाद मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को अहम फैसला सुनाया.
कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे के दौरान मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराने का आदेश दिया है.
हाईकोर्ट ने जिला जज के उस आदेश को भी रद्द कर दिया,
जिसमें उन्होंने कार्बन डेटिंग की मांग वाली अर्जी को खारिज कर दिया था.
कोर्ट ने भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग से कहा कि शिवलिंग को “बिना खंडित किए वैज्ञानिक जांच करें”.
Gyanvapi Controversy:इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस अरविंद कुमार मिश्रा की पीठ ने एएसआई की रिपोर्ट के आधार पर कथित शिवलिंग का साइंटिफिक सर्वे की जांच कराने का आदेश दिया.
दरअसल, वाराणसी की अधीनस्थ अदालत ने सुप्रीम कोर्ट की यथास्थिति कायम रखने के आदेश के चलते कार्बन डेटिंग जांच कराने से इनकार कर दिया था, इसे चुनौती दी गई थी.
यह शिवलिंग ज्ञानवापी परिसर में 16 मई 2022 को वुजूखाने में मिला था.
वाराणसी जिला जज ने कार्बन डेटिंग की मांग वाली अर्जी को खारिज कर दिया था.
जिला जज वाराणसी के 14 अक्टूबर 2022 के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी.
याचिकाकर्ता लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक की ओर से यह सिविल रिवीजन दाखिल की गई.
कोर्ट ने इसे दोनों पक्षों की बहस के बाद स्वीकार कर लिया और फैसला दिया.
साइंटिफिक सर्वे के जरिए यह पता लगाना होगा कि बरामद हुआ कथित शिवलिंग कितना पुराना है, यह वास्तव में शिवलिंग है या कुछ और है.
मामले में ASI ने गुरुवार को सील बंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश की थी.
याचिका पर राज्य सरकार की तरफ से एडिशनल एडवोकेट जनरल एम सी चतुर्वेदी और चीफ स्टैंडिंग काउंसिल बिपिन बिहारी पांडेय ने पक्ष रखा.
एडवोकेट हरिशंकर जैन और विष्णु शंकर जैन हिंदू पक्ष से थे.
जबकि ज्ञानवापी मस्जिद की तरफ से एसएफए नकवी ने पक्ष रखा.
इससे पहले 20 मार्च को हुई सुनवाई में
आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) से कोर्ट ने पूछा था कि क्या शिवलिंग को नुकसान पहुंचाए बिना कार्बन डेटिंग जांच की जा सकती है?
याची अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने बताया कि इस जांच से शिवलिंग की आयु का पता चल सकेगा
पर अभी तक ASI ने हाईकोर्ट में कोई जवाब दाखिल नहीं किया है.