क्या अरविंद केजरीवाल विपक्षी गठबंधन से बाहर निकलना चाहते हैं?

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Arvind Kejriwal

Opposition alliance: बीजेपी के खिलाफ एकजुट होने में लगे विपक्षी दलों की बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मेजबानी में शुक्रवार (23 जून) को बैठक हुई.

इसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी,

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और एनसीपी चीफ शरद पवार सहित कई नेता शामिल हुए.

Opposition alliance : इस मीटिंग में दिल्ली का अध्यादेश का मामला भी उठा.बैठक में मौजूद अरविंद केजरीवाल ने पहले ही कहा था कि वो अध्यादेश का मामला उठाएंगे.

इसको लेकर उन्हें लगभग सभी विपक्षी दलों ने समर्थन दे दिया है,

लेकिन कांग्रेस ने अभी तक रुख साफ नहीं किया है.

सूत्रों ने बताया कि मीटिंग में अध्यादेश को लेकर केजरीवाल ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी से चाय पर समय मांगा,

लेकिन वो नहीं माने.

आम आदमी पार्टी (AAP) सूत्रों के मुताबिक,

मीटिंग में पार्टी के राष्ट्रीय संजोयक अरविंद केजरीवाल को बोलने का मौका मिला तो,

उन्होंने सबसे पहली बात अध्यादेश को लेकर रखी और इस पर समर्थन मांगा.

कांग्रेस ने अध्यादेश को लेकर अपना स्टैंड क्लियर नहीं किया है तो

इस कारण अरविंद केजरीवाल ने राहुल गांधी से चाय पर मिलने को कहा ताकि मतभेद और मनभेद दूर किये जा सके,

लेकिन राहुल गांधी ने ने इस पर मना कर दिया.

Opposition alliance:सूत्रों ने कहा कि राहुल गांधी ने इस पर कहा कि हमारे यहां मीटिंग की प्रक्रिया है.

अध्यादेश के पक्ष या विपक्ष को लेकर भी प्रोसेस होता है.

इस मीटिंग में अरविंद केजरीवाल ने जब अध्यादेश पर कांग्रेस से समर्थन मांगा

तो कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने केजरीवाल को कुछ क्लिप्स दिखाई.

खरगे ने कहा कि आप की पार्टी के कुछ नेता कांग्रेस के बारे में ऐसा कहते हैं.

इस पर केजरीवाल की तरफ से भी कुछ लोगों का नाम लेकर कहा गया कि कांग्रेस के नेता भी हमें काफी कुछ बोलते हैं,

लेकिन जब तक हम इसी में उलझे रहेंगे तो मनमुटाव कैसे दूर होंगे.

अध्यादेश पर अपना स्टैंड बताए.

अध्यादेश के साथ आप खड़े नहीं होंगे तो सार्वजनिक तौर पर कह दीजिए.

Opposition alliance : मीटिंग से जुड़े कुछ सूत्रों के मुताबिक, विपक्ष के कई बड़े नेताओं ने कांग्रेस से अध्यादेश पर अपना रुख साफ करने को कहा.

सूत्रों ने बताया कि केजरीवाल की चाय पर मिलने वाले बात को लेकर भी कई नेताओं ने कहा कि उन्हें समय दीजिए.

कुछ सूत्र तो यह भी बताते हैं कि मीटिंग में मौजूद एक बड़े नेता ने इशारा करते हुए

कहा कि केजरीवाल और राहुल गांधी को लंच टेबल पर एक साथ बिठा दिया जाए

ताकि वह लोग कुछ बातचीत कर सकें.

इस पर राहुल गांधी ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई.

अरविंद केजरीवाल का पहले अल्टीमेटम और अब राहुल गांधी पर सीधा वार,

अध्यादेश को लेकर प्रेशर पॉलिटिक्स के साथ ही भविष्य की राजनीति से जोड़कर भी देखा जा रहा है.

माना जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल पटना की बैठक में भाग ले रहे हैं

इसलिए वे चाहते हैं कि अन्य विपक्षी दल कांग्रेस पर विपक्षी दल कांग्रेस पर अपना रुख नरम करने के लिए दबाव बनाएं.

अरविंद केजरीवाल अगर ऐसा करने में विफल रहते हैं तो

उनके पास तेलंगाना के मुख्यमंत्री के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली भारत राष्ट्र समिति

(बीआरएस) की तरह अकेले चुनाव लड़ने का विकल्प मौजूद रहेगा.

अरविंद केजरीवाल की पार्टी के अकेले चुनाव लड़ने का सीधा मतलब होगा कि वे बीजेपी के साथ ही कांग्रेस पर भी हमला बोलेंगे.

आम आदमी पार्टी की सांगठनिक ताकत को अलग-अलग राज्यों में फैलाएंगे.

विपक्षी एकजुटता के लिए पटना की बैठक से कुछ दिन पहले ही राजस्थान के श्रीगंगानगर की रैली में

केजरीवाल ने कांग्रेस पर सीधा हमला बोला भी था.

अरविंद केजरीवाल के इस तरह के तेवर के पीछे उनकी राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा को भी एक फैक्टर माना जा रहा है.

अरविंद केजरीवाल की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा जगजाहिर है.

ऐसे में सवाल ये भी है कि क्या वे अपनी राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा के लिए विपक्षी गठबंधन से जल्दी बाहर निकलना चाहते हैं?

आम आदमी पार्टी इस समय अलग-अलग राज्यों में विस्तार पर फोकस कर रही है.

आम आदमी पार्टी पहले ही घोषणा कर चुकी है कि वह इस साल के अंत में होने वाले राजस्थान,

मध्य प्रदेश औरऔर छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारेगी.

लोकसभा चुनाव को लेकर भी आम आदमी पार्टी का प्लान बड़ा है.

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