Bangabandhu Sheikh Mujibur Rahman:बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद हालात संभलते नजर नहीं आ रहे हैं. अलग-अलग हिस्सों से हिंसा की खबरों के बीच ऐसी तस्वीरें भी सामने आ रही हैं, जो एक राष्ट्रप्रेमी बांग्लादेशी का दिल तोड़ देंगी.
Bangabandhu Sheikh Mujibur Rahman:राष्ट्रपिता शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्ति पर पेशाब के बाद अब दंगाइयों ने अपनी आजादी के निशान को ही मिटा डाला.
मुजीबनगर में 1971 के शहीद स्मारक स्थल पर मौजूद कई मूर्तियों को तोड़ दिया गया है.
इसमें उस स्मारक को भी तहस-नहस कर दिया गया है,
जिसमें 1971 की जंग में पाकिस्तान को भारतीय सेना के सामने सरेंडर करते दिखाया गया था.
बांग्लादेश के लिए यह ऐतिहासिक लम्हा था.
यह दरअसल उसकी आजादी की तारीख थी.
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने प्रदर्शकारियों से कानून-व्यवस्था बनाए रखने की गुजारिश की है.
इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश के बनने में अहम रोल निभाने वाले शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्ति को भी नहीं छोड़ा.
प्रदर्शनकारी ढाका में बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्ति तोड़ते पर चढ़कर तोड़फोड़ करते दिखे.
Statue of Founder of #Bangladesh Sheikh Mujibur Rahman being brought down.
Bad development for India. pic.twitter.com/9fkQ3Yurv6— Brigadier Hardeep Singh Sohi,Shaurya Chakra (R) (@Hardisohi) August 5, 2024
बांग्लादेश के राष्ट्रपिता कहे जाने वाले बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्ति पर चढ़कर हथौड़े चलाते शख्स की तस्वीरें सोशल मीडिया पर काफी देखी जा रही हैं.
शेख मुजीब ने बांग्लादेश की आजादी के लिए लंबी लड़ाई लड़ी थी.
शेख हसीना के पिता मुजीबुर्रहमान बांग्लादेश बनने के बाद देश के पहले राष्ट्रपति बने थे.
वह 1971 से लेकर अगस्त 1975 तक देश के प्रधानमंत्री भी रहे.
प्रधानमंत्री रहते हुए ही उनकी हत्या कर दी गई थी.
शेख मुजीब की मूर्ति पर हथोड़ा चलाया जाना दुनिया को हैरत में डाल रहा है क्योंकि वह बांग्लादेश के संस्थापक नेता और अगुआ थे.
उन्हें बंगलादेश का जनक कहा जाता है क्योंकि उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ सशस्त्र संग्राम की अगुवाई करते हुए बांग्लादेश को आजादी दिलाई.
वे देश में शेख मुजीब के नाम से भी प्रसिद्ध हुए और उनको बंगबन्धु की पदवी से सम्मानित किया गया.
Bangabandhu Sheikh Mujibur Rahman:बांग्लादेश बनने के तीन वर्ष बाद ही 15 अगस्त 1975 को सैनिक तख्तापलट के दौरान शेख मुजीब की हत्या कर दी गई.
शेख मुजीब की हत्या के बाद भी उनकी बेटी शेख हसीना अपनी बहन के साथ जर्मनी से दिल्ली आई थीं
और कई साल तक रही थीं.
1981 में बांग्लादेश लौटकर शेख हसीना ने अपने पिता की राजनैतिक विरासत को संभाला था.