Maha Kumbh 2025: सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड’ (सीपीसीबी) ने सोमवार को ‘नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल’ (एनजीटी) को बताया कि सीवेज में गंदगी काफी ज्यादा मात्रा में मिली है.
इसमें ‘फेकल कोलीफॉर्म’ की बैक्टीरिया का लेवल 2,500 यूनिट प्रति 100 मिली है.
जोकि अपने लेवल से काफी ज्यादा था.
Maha Kumbh 2025: ‘सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड’ (सीपीसीबी) ने पुष्टि की है कि प्रयागराज में जहां महाकुंभ मेला चल रहा है.
कई स्थानों पर पानी में ‘फेकल कोलीफॉर्म’ बैक्टीरिया का हाई लेवल मिला है.
सीवेज में फेकल कोलीफॉर्म 100 मिलीलीटर में 2,500 यूनिट की सीमा तय रखी गई है.
सीपीसीबी ने सोमवार को ‘नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल’ (एनजीटी) को इस मामले में सूचित किया है.
फेकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया क्या है?
‘कोलीफॉर्म बैक्टीरिया’ इतने खतरनाक होते हैं कि जोकि गर्म खून वाले जानवरों
और मनुष्यों की आंतों में जिंदा रहते हैं.
‘जल अनुसंधान केंद्र’ के अनुसार ‘फेकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया’ इंसान या पशु अपशिष्ट की गंदगी से जुड़ा होता है.
‘कोलीफॉर्म और फेकल स्ट्रेप्टोकोकी’ दो बैक्टीरिया का ग्रुप हैं.
जिनका इस्तेमाल सीवेज संदूषण के संकेतक के रूप में किया जाता है. हालांकि वे हानिकारक नहीं हैं,
लेकिन वे रोगजनक बैक्टीरिया और वायरस के कारण चिंताजनक हैं.
पानी में मौजूद गंदगी के कारण बैक्टीरिया बढ़ जाते हैं
पानी में उनकी मौजूदगी से संकेत मिलता है कि रोगजनक सूक्ष्मजीव भी हो सकते हैं. जो स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा पैदा कर सकते हैं.
पानी में कई तरह के रोगजनकों की मौजूदगी का परीक्षण करना मुश्किल और समय लेने वाला है.
इसलिए कोलीफॉर्म और फेकल स्ट्रेप्टोकोकी के लिए इसका परीक्षण किया जाता है.
संभावित स्वास्थ्य जोखिमों के अलावा, फेकल बैक्टीरिया के बढ़े हुए स्तर अप्रिय गंध,
पानी और बढ़ी हुई ऑक्सीजन की मांग का कारण बनते हैं.
जब आप ऐसे पानी में नहाते हैं.
तो आपको बुखार, मतली या पेट में ऐंठन होने का खतरा होता है.
Maha Kumbh 2025:जल अनुसंधान केंद्र के अनुसार ऐसा इसलिए होता है क्योंकि रोगजनक मुंह, नाक और कान के माध्यम से शरीर में प्रवेश करते हैं.
इससे टाइफाइड, हेपेटाइटिस, कान में संक्रमण, गैस्ट्रोएंटेराइटिस और पेचिश भी हो सकती है.
पानी में फेकल कोलीफॉर्म को उबालकर या क्लोरीन से उपचारित करके रोका जा सकता है.
इतना ही नहीं संक्रमण से बचने के लिए आपको खुद को साबुन से अच्छी तरह धोना चाहिए.
सीपीसीबी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि प्रयागराज में नदी के पानी की गुणवत्ता विभिन्न अवसरों पर निगरानी किए गए
सभी स्थानों पर फेकल कोलीफॉर्म (एफसी) के संबंध में स्नान के लिए प्राथमिक जल गुणवत्ता के अनुरूप नहीं थी.
महाकुंभ में प्रयागराज में त्रिवेणी संगम पर लाखों लोग स्नान करते हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे आखिरकार मल की सांद्रता में वृद्धि होती है.
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