Vaccine नहीं गलत तरीके से इंजेक्शन लगाने की वजह से कुछ लोगों में Blood Clotting

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Blood Clotting

नई दिल्ली : Blood Clotting : पूरी दुनिया में कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीनेशन अभियान जारी है.

ऐसे में कई देशों में वैक्सीन के लगने के बाद खून के थक्के जमने यानी कि ब्लड क्लॉटिंग के कई मामले सामने आए हैं.




Blood Clotting : यहां तक की भारत में भी कोरोना वैक्सीन लेने वालों के लिए साइड इफेक्ट को लेकर एडवाइजरी जारी की गई है.

जिसमें 20 दिनों के अंदर खून के थक्के जमने जैसे गंभीर लक्षणों को पहचान करने की बात कही गई है.

लेकिन अब एक नई स्टडी से पता चलता है.

कि कोरोना वैक्सीनेशन की गलत इंजेक्शन तकनीक की वजह से भी ऐसा हो सकता है.

दरअसल, ब्लड क्लॉटिंग (खून के थक्के) को लेकर स्टडी में दावा किया गया है.

कि वैक्सीन लगाने का तरीका यानी इंजेक्शन को इंजेक्ट करने की गलत तकनीक की वजह से ब्लड क्लॉटिंग का कारण बनता है.

म्यूनिख यूनिवर्सिटी जर्मनी में क्लीनिकल ट्रायल के दौरान वैज्ञानिकों ने चूहों पर इसको लेकर एक रिसर्च किया.

वहीं इटली में एक रिसर्च इंस्टीट्यूट ने पाया कि वैक्सीन को गलत इंजेक्ट किए.




जाने के कारण इस तरह की परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.

बता दें कि कई देशों में एस्ट्राजेनेका,

जॉनसन एंड जॉनसन और स्पूतनिक जैसी कई वैक्सीन लगने के बाद इस तरह की परेशानियां सामने आ चुकी हैं.

स्टडी में बताया गया कि गलत तकनीक से इंजेक्शन गलती से मांसपेशियों के बजाय रक्त वाहिका में दिया जा सकता है.

दवा सीधे रक्त वाहिका (blood vessel) में पहुंच जाती है, तब ब्लड क्लॉटिंग की समस्या होती है.

IMA की नेशनल टास्क फोर्स फॉर कोरोना वायरस के मेंबर डॉ. राजीव जयदेवन ने बताया कि.

यदि सुई की नोक मांसपेशियों में पर्याप्त गहराई तक नहीं पहुंचती है.

और रक्त वाहिका (blood vessel) से टकराती है तो टीके को सीधे रक्त प्रवाह में इंजेक्ट किया जा सकता है.

उन्होंने कहा कि इंट्रा मस्कुलर इंजेक्शन त्वचा को पिंच किए बिना दिए जाते हैं, ताकि सुई की नोक मांसपेशियों तक पहुंचे.

वहीं डेनमार्क में एक अध्ययन के बाद डॉ. जयदेवन ने अप्रैल की शुरुआत में.

कोविड टीकाकरण के बाद देखे गए कुछ ऐसे मामलों के लिए गलत इंजेक्शन तकनीक की संभावना के बारे में चेतावनी दी थी.

स्टडी से सामने आया है.

कि शॉट का रक्तप्रवाह में क्या प्रभाव हो सकता है। इसे इंसानों पर नहीं आजमाया जा सकता.

और ऐसा ही चूहों पर किया गया। जब इंट्रा मस्कुलर रूप से दिया जाता है, तो यह एक जगह रहता है.

जब रक्तप्रवाह में इंजेक्ट किया जाता है तो यह शरीर के विभिन्न हिस्सों में पहुंच जाता है.

और कहीं भी थक्के बन सकते हैं.

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