नई दिल्ली : Retrospective tax law को सरकार 9 साल बाद खत्म करने जा रही है।
सरकार ने गुरुवार को टैक्सेशन लॉज (अमेंडमेंट) बिल, 2021 पेश किया.
इस बिल के पारित होने के बाद पूर्व तारीख से टैक्स लगाने वाला विवादित कानून खत्म हो जाएगा.
इस कानून को लेकर विवाद पैदा हुआ था। विदेश निवेश आकर्षित करने को लेकर भारत की साख को भी धक्का लगा थ.
दरअसल, इस कानून को तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने अमली जामा पहनाया था.
यह कानून उन पर दाग लगा गया था। कई टैक्स एक्सपर्ट ने भी इस पर सवाल उठाए थे.
Retrospective tax law : क्या है कानून और क्यों हुआ विवाद
रेट्रोस्पेक्टिव टैक्सेशन ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें नए कानून के पास होने की तारीख से पहले टैक्स लागू हो जाता है.
यह टैक्स इनकम टैक्स विभाग कंपनियों पर लगाता है.
पहले की तारीख से टैक्स लगाने का कानून 2012 में बना था.
उस समय प्रणब मुखर्जी देश के वित्त मंत्री थे.
उन्होंने फाइनेंस ऐक्ट में बदलाव कर दिया
फाइनेंस ऐक्ट में बदलाव के कारण इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स का पावर मिल गया.
वोडाफोन का मामला
2007 में हच ( Hutchison Whampoa) को खरीद कर भारतीय बाजार में एंट्री की थी.
वोडाफोन ने हच मे 67 फीसदी हिस्सेदारी उस समय 11 अरब डॉलर में खरीदी थी.
इस डील में हच का इंडियन टेलिफोन बिजनस और अन्य असेट शामिल हैं.
उसी साल सरकार ने वोडाफोन से कहा कि उसे कैपिटल गे.
और विद होल्डिंग टैक्स के रूप में 7990 करोड़ रुपये चुकाने होंगे.
ऐसे में वोडाफोन को पेमेंट से पहल यह पैसा टैक्स के रूप में काट लेना चाहिए.
वोडाफोन इनकम टैक्स के इस दावे के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट पहुंच.
कोर्ट ने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के हक में फैसला सुनाया.
बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा.
2012 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वोडाफोन पर हिस्सेदारी खरीदने के कारण टैक्स लाएबिलिटी नहीं बनती है.
उसने इनकम टैक्स ऐक्ट 1961 का जो अर्थ निकाला है, वह ठीक है.