नई दिल्ली : Gogra Heights जिसे गोगरा भी कहा जाता है, 12वें दौर की वार्ता के दौरान दोनों पक्षों के बीच पीपी-17A से पीछे हटने का समझौता हुआ था.
दोनों पक्षों के बीच अंतिम अलगाव इस साल फरवरी में हुआ था जब वे पैंगोंग झील के किनारे से अलग हो गए थे.
भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में लंबे समय से चल रहा सीमा गतिरोध अब समाप्त होता दिख रहा है.
Gogra Heights इलाके से 12वें राउंड के कमांडर लेवल की बातचीत के बाद दोनों सेनाएं पीछे हट गई है.
4-5 अगस्त के दौरान दोनों सेनाओं ने यह कार्रवाई की है.
विदेश मंत्रियों की बैठक में भी इन इलाकों से पीछे हटने का फैसला लिया गया था.
Indian and Chinese forces द्वारा बनाए गए सभी अस्थायी और उससे संबंधित अन्य ढांचों को ध्वस्त कर दिया गया है और उसे पारस्परिक रूप से सत्यापित भी किया गया है.
अभी कुछ दिन पहले ही भारत और चीन के बीच मोल्डो में हुई 12वें दौर की बातचीत में,
दोनों देश पेट्रोल पॉइंट 17A से सैनिकों को हटाने पर सहमत हुए थे,
जो पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में दोनों देशों के बीच फ्रिक्शन पॉइंट में से एक है.
वार्ता के बाद जारी बयान के अनुसार, ‘दोनों पक्षों के बीच भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के पश्चिमी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) को लेकर बातचीत हुई.
बैठक का दौर रचनात्मक रहा, जिसने आपसी समझ को और बढ़ाया.
दोनों पक्ष मौजूदा समझौतों और प्रोटोकॉल के अनुसार इन शेष मुद्दों को शीघ्रता से हल करने
और बातचीत और वार्ता की गति को बनाए रखने पर सहमत हुए.’
भारत और चीन की सेनाओं के बीच सीमा पर यह गतिरोध पिछले साल मई में पैंगोंग झील इलाके में संघर्ष से शुरू हुआ था.
दोनों पक्षों ने उसके बाद से वहां अपने सैनिकों और भारी हथियारों की तैनाती बढ़ाई है.
पिछले चार दशकों में सबसे बड़े टकराव में 15 जून, 2020 को गलवान घाटी में झड़प में भारत के 20 सैन्यकर्मी शहीद हो गए थे.
झड़प के 8 महीने बाद चीन ने भी स्वीकार किया कि इसमें उसके चार सैन्यकर्मी मारे गए थे.
फिलहाल एलएसी पर संवेदनशील सेक्टरों में दोनों पक्षों की ओर से करीब 50 से 60 हजार सैनिक तैनात हैं.