Scrub typhus के लक्षण और बचाव के उपाय

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Scrub typhus

नई दिल्ली : Scrub typhus : देश में कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की आशंका के बीच करोना जैसी ही घातक बीमारी स्क्रब टाइफस के मामले सामने आ रहे हैं.

उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में इस गंभीर संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं.

विशेषज्ञों ने तेजी से फैल रही बीमारी की पहचान ‘स्क्रब टाइफस’ रोग के रूप में की है.

स्क्रब टाइफस मुख्यरूप से माइट्स (घुन जैसे छोटे कीट) के काटने के कारण होने वाली बीमारी है,

समय पर इसका उपचार न हो पाने पर संक्रमितों की मौत भी हो सकती है.

डॉक्टरों का कहना है कि साफ-सफाई की कमी के कारण यह कीट उत्पन्न हो सकते हैं,

जिसके काटने पर लोगों में स्क्रब टाइफस की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है.

जिन स्थानों पर इस संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं वहां लोगों को विशेष सावधान हो जाने की आवश्यकता है.

आम जनता के मन में यह सवाल आ रहा है कि स्क्रब टाइफस क्या है?

सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के मुताबिक स्क्रब टाइफस ओरिएंटिया त्सुत्सुगामुशी नामक बैक्टीरिया के कारण होने वाली गंभीर बीमारी है.

स्क्रब टाइफस संक्रमित चिगर्स (लार्वा माइट्स) के काटने से इंसानों में फैलता है.

इस रोग को बुश टाइफस के नाम से भी जाना जाता है.

दक्षिण पूर्व एशिया, इंडोनेशिया, चीन, जापान, भारत

और उत्तरी ऑस्ट्रेलिया के ग्रामीण इलाकों में इस बीमारी के मामले ज्यादा देखे जाते रहे हैं.

जिन स्थानों में यह संक्रमण हो वहां रहने वाले या वहां की यात्रा करने वाले लोगों में संक्रमण का खतरा हो सकता है.

यदि समय पर इस रोग का इलाज न किया जाए तो यह जानलेवा भी हो सकता है.

सीडीसी विशेषज्ञों के किसी रोगी को स्क्रब टाइपस संक्रमित कीट के काटने के 10 दिनों के भीतर लक्षण नजर आने लगते हैं.

रोगियों को बुखार और ठंड लगने के साथ सिरदर्द, शरीर

और मांसपेशियों में दर्द की समस्या हो सकती है.

जिस स्थान पर कीट ने काटा होता है वहां पर त्वचा का रंग गहरा हो जाता है

और त्वचा पर पपड़ी पड़ सकती है.कुछ लोगों को त्वचा पर चकत्ते भी नजर आ सकते हैं.

समस्या बढ़ने के साथ रोगियों में भ्रम से लेकर कोमा तक की समस्या भी हो सकती है.

रोग की गंभीर स्थिति में अंगों के खराब होने और रक्तस्राव की भी दिक्कत हो सकती है.

समय पर इलाज न किए जाने पर यह घातक भी हो सकता है।

डॉक्टर कहते हैं, स्क्रब टाइफस के लक्षण कई अन्य बीमारियों की तरह ही होते हैं, यही कारण है

कि लोग इसमें अक्सर भ्रमित हो जाया करते हैं.

लक्षणों के आधार पर डॉक्टर कुछ प्रकार की जांच कराने को कह सकते हैं

, जिसके आधार पर संक्रमण का निदान किया जाता है.

यदि रोगी में स्क्रब टाइफस का निदान होता है

तो सामान्यतौर पर उसे कुछ विशेष तरह की एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं,

व्यक्ति की उम्र और स्थिति की गंभीरता के हिसाब से इसका डोज अलग हो सकता है.

गंभीर रोग की स्थिति में आवश्यकतानुसार अन्य दवाओं

और उपचार के अन्य माध्यमों को प्रयोग में लाया जा सकता है.

सीडीसी के अनुसार, स्क्रब टाइफस से बचाव के लिए अभी तक कोई टीका उपलब्ध नहीं है.

ऐसे में संक्रमित चिगर्स के संपर्क से बचकर रहना उचित होता है.

जंगलों और झाड़ वाले इलाकों में यह कीड़े अधिक हो सकते हैं,

ऐसे में ऐसी जगहों पर जाने से बचें.

यदि आपको कोई भी कीड़ा काट ले तो तुरंत साफ पानी से उस हिस्से को धोकर एंटीबायोटिक दवाएं लगा लें.

ऐसे कपड़े पहनें जिससे हाथ और पैर अच्छी तरीके से ढके रह सकें.

इस रोग से सुरक्षित रहने के लिए बचाव ही सबसे प्रभावी तरीका है.

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