Dr. Neelkanth Tiwari के विधानसभा सीट पर सबसे अधिक लहराया भगवा

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Dr. Neelkanth Tiwari

चुनाव डेस्क,लोक हस्तक्षेप

Dr. Neelkanth Tiwari की वाराणसी के दक्षिणी विधानसभा सीट पर सबसे अधिक भाजपा का कब्जा रहा है.

Varanasi South Assembly से 2017 में भाजपा के डॉ. नीलकंठ तिवारी जीत हासिल कर विधानसभा पहुंचे फिलहाल योगी सरकार में पर्यटन मंत्री भी हैं.

1980 और 1985 में दो ही मौके आए जब कांग्रेस के कैलाश टंडन और डॉ. रजनी कांत दत्ता चुनाव जीते.

इसके बाद से दक्षिणी विधानसभा पर पूरी तरह से भगवा का कब्जा हो गया.

बाबा विश्वनाथ की नगरी में बड़ा बदलाव तब आया, जब दक्षिणी विधानसभा सीट से भगवा लहराया था.

दक्षिणी विधानसभा से विधायक से 1957 में विधायक रहे डॉ. संपूर्णानंद उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं.

डॉ. संपूर्णानंद ने काशी के विकास को एक नया स्वरूप दिया.

काशी की धरोहर पक्के घाट का पुनर्निर्माण कराया,उन्हें नवजीवन दिया.

खास बात यह है कि दक्षिणी विधानसभा सीट से संपूर्णानंद दो बार विधायक चुने गए.

लेकिन उन्होंने कभी अपने क्षेत्र में चुनाव प्रचार नहीं किया था.

Varanasi South Assembly के शुरुआती दौर में यहां कांग्रेस और सीपीआई के बीच जोरदार मुकाबला रहा है.

दो चुनावों में 1951 और 1957 में संपूर्णानंद के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले सीपीआई के रुस्तम सैटिन को पराजय का समाना करना पड़ा.

1962 में कांग्रेस के गिरधारी लाल ने रुस्तम सैटिन को पराजित किया,

लेकिन 1967 में सैटिन ने पहली बार फतह हासिल की.

पांच साल बाद भारतीय जनसंघ के सचिंद्र नाथ बख्शी ने उन्हें मात दी.

1989 से 2012 तक लगातार सात बार बीजेपी से अकेले श्यामदेव राय चौधरी (Shyamdev Roy Chaudhari) चुनाव जीते,

लेकिन यूपी की 2017 विधानसभा चुनाव के दौरान यहां सियासत तब गरमा गई,

जब सात बार के विधायक रहे वरिष्ठ नेता श्यामदेव राय चौधरी का टिकट काटा गया.

इससे भाजपा कार्यकर्ता भी नाराज हुए लेकिन चुनाव परिणाम भाजपा के ही पक्ष में आया.

Dr. Neelkanth Tiwari दक्षिण विधानसभासे भाजपा प्रत्याशी ने 92560 मतों के साथ कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व सांसद डॉ. राजेश कुमार मिश्रा को हराया था.

वाराणसी के दक्षिण विधानसभा पर 2017 में डॉ नीलकंठ तिवारी 92560 मत पाकर जीत हासिल की.

1989 से 2012 तक श्यामदेव राय चौधरी इस सीट पर अपना कब्जा बनाए रखे थे.

वहीं 1985 में डॉ. रजनीकांत दत्ता कांग्रेस से जीते थे.

1980 में कैलाश टंडन (19048) कांग्रेस से जीते थे.

राजेश मिश्रा के लिए यह हार अन्य प्रत्याशियों की तुलना में बड़ी रही

क्योंकि इस हार ने उनके राजनीतिक भविष्य पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है

1977 में राजबली तिवारी (36016) जनता पार्टी से जीते थे.

1974 में चरणदास सेठ (19826) जनसंघ से विधायक बने थे.

1969 में सचिंद्र नाथ बख्शी (20896) जनसंघ से जीते थे.

1967 में रुस्तम सैटिन (24983) सीपीआई से जीते दर्ज की.

1962 में गिरधारी लाल (20244) कांग्रेस से जीते थे. 1957 में डॉ. संपूर्णानंद (29002) भी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते थे.

इसके पहले 1951 में भी डॉ. संपूर्णानंद (12170) कांग्रेस से विधायक बने थे.

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