Nagaenthran : सिंगापुर में भारतीय मूल के एक मलेशियाई व्यक्ति को फांसी की सजा दी गई है.
इस मामले पर प्रतिक्रिया जताते हुए सिंगापुर सरकार ने कहा कि हेरोइन तस्करी मामले में दोषी करार दिए जा चुके व्यक्ति को पता था कि वह क्या अपराध कर रहा है.
मादक पदार्थ की तस्करी के आरोप में 33 वर्षीय नागेंद्रन के.
धर्मलिगंम को बुधवार को चांगी जेल में फांसी की सजा दी जानी है
(Indian Origin Malaysian Man).
धर्मलिंगम को सिंगापुर और प्रायद्वीपीय मलेशिया के ‘बीच कॉजवे लिंक’
पर वुडलैंड्स नाका पर मादक पदार्थ की तस्करी मामले में गिरफ्तार किया गया था.
उसकी जांघ पर मादक पदार्थ का बंडल बंधा था.
व्यक्ति को 2009 में 42.72 ग्राम हेरोइन तस्करी के मामले में 2010 में दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई गई थी.
मादक पदार्थ दुरुपयोग अधिनियम के तहत यहां 15 ग्राम से ज्यादा तस्करी के मामले में मौत की सजा का प्रावधान है
स्ट्रेट्स टाइम्स की खबर के मुताबिक यह मामला पिछले महीने तब सामने आया,
जब सिंगापुर कारागार सेवा ने धर्मलिंगम की मां को 26 अक्टूबर को पत्र लिखकर उनके बेटे को 10 नवंबर को फांसी की सजा दिए जाने की जानकारी दी.
10 नवंबर को मिलेगा परिवार
परिवार को 10 नवंबर तक मिलने की अनुमति दी गई है.
सोशल मीडिया पर लोगों ने इस पत्र को साझा किया.
‘द स्ट्रैट्स टाइम्स’ की खबर में गृह मंत्रालय के एक बयान का हवाला देते हुए कहा गया है
कि उच्च न्यायालय ने व्यक्ति के अपराध करने के दौरान मामले की गंभीरता को समझ पाने की मानसिक क्षमता पर भी विचार किया.
इस मामले पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सवाल उठे हैं और मानवाधिकार समूहों (Human Rights Group)
और अन्य ने इंटेलेक्चुअल डिसेब्लिटी (व्यक्ति की समझ की क्षमता) के आधार पर फांसी की सजा नहीं दिए जाने की मांग की थी.
मंत्रालय के बयान में कहा गया कि उच्च न्यायालय ने मनोवैज्ञानिकों के सबूत का आकलन किया था
कि दोषी को अच्छी तरह यह समझ थी कि वह क्या कर रहा है.
Nagaenthran : आरोपी ने सजा का विरोध किया
आरोपी ने दोषी ठहराए जाने और सजा के खिलाफ अपीली अदालत में अपील की थी लेकिन सितंबर,
2011 में उसकी अपील खारिज कर दी गई. बाद में उसने 2015 में अपनी सजा को उम्रकैद में बदलने के लिए भी अपील दायर की थी
लेकिन उच्च न्यायालय ने 2017 में उसके आवेदन को खारिज कर दिया
और बाद में 2019 में अपीली अदालत ने भी खारिज कर दिया (Nagaenthran K Dharmalingam Petition).
राष्ट्रपति हलीमा याकूब ने भी उसकी दया याचिका खारिज कर दी.
उसकी मौत की सजा माफ करने के संबंध में 29 अक्टूबर को एक हस्ताक्षर अभियान चलाया गया
और शनिवार सुबह तक इस पर 56,134 से ज्यादा लोगों के हस्ताक्षर हो चुके हैं.