नई दिल्ली:NSA Level meeting: अफगानिस्तान में जारी संकट के बीच भारत NSA लेवल की बैठक का आयोजन कर रहा है.
इसमें अफगानिस्तान के पड़ोसी मुल्कों के लेकर रूस और मध्य एशियाई देश हिस्सा लेने वाले हैं.
वहीं, बैठक से पहले सूत्रों ने बताया है कि इस वार्ता में अफगानिस्तान में आतंकवाद
और सीमा पार आतंक पर चर्चा की जाएगी. इसके अलावा, युद्धग्रस्त मुल्क में बढ़ती कट्टरता
और अतिवाद पर भी बैठक में शामिल NSA चर्चा करेंगे.
तालिबान के कब्जे के बाद से ही अफगानिस्तान में आतंकी हमलों में इजाफा हुआ है.
सूत्रों ने बताया है कि मध्य एशियाई देश नशीली दवाओं के उत्पादन और इसकी तस्करी को लेकर खासा चिंतित हैं.
इन मुल्कों को इस बात की भी चिंता है कि अफगानिस्तान में छोड़े गए सैन्य हथियार खतरा बन सकते हैं.
दरअसल, युद्ध के बाद वहां NATO सैनिकों के हथियार छूट गए हैं.
वहीं, इस बैठक में शामिल होने के लिए चीन को भी न्योता भेजा गया था.
हालांकि, चीन ने बैठक में शामिल नहीं होने वाला है.
सूत्रों ने बताया कि चीन ने कहा कि शेड्यूलिंग समस्या के कारण वह बैठक में भाग लेने में असमर्थ है.
इसने कहा कि अफगानिस्तान पर बहुपक्षीय और द्विपक्षीय रूप से भारत के साथ बातचीत के लिए ये पूरी तरह से तैयार है.
चीन के NSA ने अफगानिस्तान पर हुई रही राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक में हिस्सा नहीं ले पाने का कारण बताते हुए कहा कि व्यस्तता की वजह से यह संभव नहीं होगा.
चूंकि चीन के NSA अफगानिस्तान के मुददे पर आयोजित कई बैठकों में हिस्सा ले चुके हैं
जहां पर पाकिस्तान नहीं था, इसलिए अनुमान लगाया जा रहा है
कि 8 नवंबर से 10 नवंबर तक चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की अहम बैठक की वजह से चीनी NSA ने दिल्ली नहीं आने का फैसला लिया.
अफगानिस्तान पर भारत की भूमिका को रेखांकित करता है NSA स्तर की यह बैठक
अफगानिस्तान के बदले हालात के बीच भारत की क्या भूमिका है,
इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बुधवार को NSA स्तर की होने वाली इस मीटिंग में भाग लेने के लिए सात देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अपने अपने स्पेशल विमान से दिल्ली पहुंच रहे हैं.
इन देशों में NSA की जिम्मेदारी संभाल रहे सभी व्यक्ति अपने-अपने देशों के सरकारों में बेहद प्रभावशाली भूमिकाओं में है.
आठों देशों के NSA की मीटिंग में यह मंथन होगा कि किन व्यवहारिक कदमों के उठाने से अफ़गानिस्तान से आने वाले खतरों
और चुनौतियों का सामना किया जा सकेगा.
ईरान में हुई थीं इससे पहले बैठकें
बैठक को लेकर सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रीय सुरक्षा अजीत डोवाल (Ajit Doval) 10 नवंबर को अफगानिस्तान पर NSA स्तर की वार्ता से पहले कल उज्बेकिस्तान और
ताजिकिस्तान (Tajikistan) के अपने समकक्षों के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे.
उन्होंने बताया कि इस फॉर्मेट में पहले 2018 और 2019 में ईरान में बैठक का आयोजन किया गया था.
इन बैठकों में पाकिस्तान ने हिस्सा नहीं लिया था.
तब इन बैठकों में भाग लेने के लिए पाकिस्तान ने ईरान के सामने शर्त रखी थी
कि भारत के NSA के हिस्सा नहीं लेने पर ही पाकिस्तान भाग लेगा.
पाकिस्तान की इस मांग को ठुकराते हुए ईरान ने NSA स्तर की बैठकें आयोजित की
और उसमें भारत ने हिस्सा लिया था.
NSA level meeting : पीएम मोदी करेंगे सभी देशों के NSA से बात
सूत्रों ने बताया कि सात देशों के NSA ने 10 नवंबर 2021 को ‘अफगानिस्तान पर दिल्ली क्षेत्रीय सुरक्षा वार्ता’
में भाग लेने की पुष्टि कर दी है.
इन देशों में ईरान, रूस, उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, ताजिकिस्तान और किर्गिस्तान शामिल हैं.
इस बैठक में शामिल होने वाले NSA से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) भी मुलाकात करेंगे.
आठ देशों में से कोई भी (भारत सहित) तालिबान सरकार (Taliban Government) को मान्यता या वैधता नहीं देता है.
भारत भी इसे मान्यता नहीं देता, इसलिए उसने अफगानिस्तान को वार्ता के लिए आमंत्रित नहीं किया है.
अफगानिस्तान पर होने वाली दुसरी बैठकों से अलग है NSA डायलाग
अफगानिस्तान के मुददे पर अलग-अलग स्तर की बैठकें होती रही है.
हार्ट ऑफ एशिया या मास्को, कतर फार्मेट पर होने वाली बैठकों में ज्यादातर कूटनीतिक तरीके की बातचीत होती है.
अफगानिस्तान के मुद्दे पर NSA स्तर की बातचीत इस मायने में ख़ास है कि तालिबान शासन के बाद अफगानिस्तान
के सभी पड़ोसी देशों की सुरक्षा चिंताओं का हल निकालने के लिए इन देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक
में सुरक्षा से जुड़े पहलुओं पर चर्चा करके आम सहमति से समाधान खोजने की कोशिश की जाएगी.
NSA level meeting : पाकिस्तान है समस्या की जड़
अफ़गानिस्तान से आने वाले खतरे को लेकर मध्य एशियाई देशों का भी मानना है
कि पाकिस्तान इन समस्याओं की जड़ है. इन देशों के NSA इस बात पर मंथन करने वाले हैं कि अफगानिस्तान
में पाकिस्तानी साजिशों पर कैसे नियंत्रण किया जाए.
अफगानिस्तान मसले पर रूस और भारत साथ-साथ
अफगानिस्तान में तालिबानी कब्जे के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
और रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने फोन पर लंबी चर्चा की थी.
उसके बाद राष्ट्रपति पुतिन ने अपने NSA को विशेष तौर पर भारत भेजा.
अब रूस के NSA एक बार फिर दिल्ली में अफगानिस्तान के हालात पर होने वाली बैठक में हिस्सा ले रहे हैं.
बैठक में शामिल नहीं होगा पाकिस्तान
इससे पहले, पाकिस्तान ने भी बैठक में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया था.
पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) मोईद युसूफ (Moeed Yusuf) ने कहा कि वह भारत की मेजबानी में अफगानिस्तान पर होने वाले सम्मेलन के लिए वहां की यात्रा नहीं करेंगे.
यह पूछे जाने पर कि क्या वह भारत की मेजबानी में होने वाली बैठक में शरीक होंगे,
युसूफ ने कहा, ‘मैं नहीं जाउंगा. मैं नहीं जा रहा. एक विघ्नकर्ता (देश), शांति स्थापित करने वाला नहीं हो सकता.’
पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने भारत से मिले न्योते की पुष्टि की थी,
लेकिन कहा था कि फैसला उपयुक्त समय पर किया जाएगा.
NSA level meeting : बैठक में किन मुद्दों को लेकर होगी चर्चा?
एनएसए लेवल की इस बैठक में मुख्य एजेंडा तालिबान के सत्ता में आने के बाद पैदा हुई सुरक्षा चुनौतियां,
अफगानिस्तान में स्थिरता, समावेशी सरकार का गठन और इस सरकार की अंतरराष्ट्रीय मान्यता जैसे मुद्दे हैं.
ईरान, रूस और मध्य एशिया के मुल्कों की उपस्थिति अफगानिस्तान में शांति
और सुरक्षा को बढ़ावा देने के क्षेत्रीय प्रयासों में भारत की भूमिका से जुड़े महत्व को रेखांकित करती है.
अफगानिस्तान मुद्दे पर आगे बढ़ने के लिए इन देशों द्वारा संयुक्त रणनीति बनाई जाएगी.
इसके अलावा, बैठक का मकसद अफगानिस्तान में मौजूद खतरनाक अमेरिकी हथियारों के गलत हाथों में जाने से रोकना है.