नई दिल्लीःBaba Vishwanath: काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन करने से पहले पीएम मोदी ने बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक किया था.
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य अर्चक श्रीकांत मिश्र ने प्रधानमंत्री के हाथों पूजन संपर्क कराया था.
अब इस कॉरिडोर के उद्घाटन पर सवाल उठने लगे हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 दिसंबर को काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन किया था.
आरोप लगा है कि सूतक काल में पीएम मोदी के हाथों पूजन संपन्न कराया गया.
अब इन आरोपों के को लेकर जांच अब शुरू कर दी गई है.
Baba Vishwanath: बीते 13 दिसंबर को काशी विश्वनाथ बाबा के धाम में पीएम मोदी द्वारा विशेष पूजन करवाने की जिम्मेदारी पंडित श्रीकांत मिश्र के पास थी.
पूरा अनुष्ठान उन्होंने ही संपन्न करवाया था.
ऐसे में मंदिर के पूर्व न्यासी प्रदीप बजाज ने पीएम मोदी, मुख्यमंत्री और सचिव को एक पत्र लिखकर,
यह आरोप लगाया कि पीएम मोदी द्वारा की गई पूजा के दौरान सूतक काल चल रहा था.
मंदिर के पूर्व न्यासी प्रदीप बजाज ने प्रधानमंत्री और उनके प्रमुख सचिव, मुख्यमंत्री और यूपी के धर्मार्थ कार्य विभाग के प्रमुख सचिव अवनीश कुमार अवस्थी को मेल भेज कर,
मुख्य अर्चक श्रीकांत मिश्र के सूतक में रहते प्रधानमंत्री से धार्मिक कर्मकांड व पूजन कराने का आरोप लगाया था.
यह मामला तूल पकड़ा तो मंदिर प्रशासन हरकत में आया और आनन-फानन में प्रकरण की जांच शुरू करा दी गई है.
प्रदीप बजाज ने कहा कि 5 दिसंबर को पंडित मिश्र के भतीजे की मौत हुई थी.
वहीं, धर्म शास्त्र के अनुसार, सूतक काल में मंदिर के पट बंद कर दिये जाते हैं,
मंदिर परिसर में प्रवेश करने पर रोक होती है.
ऐसे में पंडित द्वारा पूजा करना गलत था.
बताया जा रहा है कि धर्मार्थ कार्य मंत्री नीलकंठ तिवारी ने पूरे केस की रिपोर्ट जिला प्रशासन से मांगी है.
Baba Vishwanath:बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक मामले की मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने जांच की जिम्मेदारी अपर मुख्य कार्यपालक को दी है.
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार यदि किसी के घर में सगे-संबंधी की मृत्यु हो जाती है,
तो उसके घर पर सूतक लग जाता है. मृत्यु से 13 दिन (तेरहवीं) तक सूतक काल लगा रहता है.
इस समय अवधि में व्यक्ति किसी के घर नहीं जा सकता.
इस समय देव पूजा कर्म और देव स्पर्श नहीं किया जाना चाहिए.
इस दौरान मृत व्यक्ति की आत्मा की शांति के लिए पितृ कर्म करने का विधान बताया गया है.
धर्म ग्रंथों में सूतक को लेकर काफी विस्तार से बताया गया है कि सूतक किस पर और कितने समय के लिए लागू होता है.
इसमें देह त्याग करने वाले व्यक्ति और देह त्याग किस प्रकार से हुआ है.
इस विषय का भी उल्लेख अलग-अलग स्थानों पर मिलता है.
सूतक के बारे में विभिन्न शास्त्र और पुराणों में बताया गया है कि गृहस्थ जनों की मृत्यु होने पर उनके सात पीढ़ियों पर सूतक लगता है.
बेटियां अधिकतम 3 दिनों में ही सूतक से मुक्त हो जाती हैं.
कूर्म पुराण में बताया गया है कि जो लोग संन्यासी हैं, गृहस्थ आश्रम में प्रवेश नहीं किए हैं.
जो लोग वेदपाठी संत हैं उनके लिए सूतक का विचार मान्य नहीं होता है.
इनके माता-पिता की मृत्यु हो जाने पर भी केवल वस्त्र सहित स्नान कर लेने मात्र से भी इनका सूतक समाप्त हो जाता है.