Counting of votes:कैसे होती है EVM से वोटों की गिनती ?

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Counting of votes

Counting of votes:निर्वाचन आयोग (ECI) 10 मार्च को उत्‍तर प्रदेश, पंजाब समेत पांच राज्‍यों में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित करेगा.

गुरुवार सुबह 8 बजे से सभी मतगणना केंद्रों पर वोटों की गिनती शुरू हो जाएगी.

इलेक्‍ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) से मतदान होने की वजह से मतगणना में कुछ घंटे ही लगते हैं.

हालांकि, अब वीवीपैट वेरिफिकेशन अनिवार्य हो जाने की वजह से अंतिम नतीजे जारी होने में समय लगने लगा है.

ईवीएम के जरिए डाले गए वोटों की गिनती कैसे होती है? EVMs कहां रखी जाती है.

VVPAT स्लिप वेरिफ‍िकेशन क्‍यों होता है? काउंटिंग के बाद इन EVMs का क्‍या होता है.

मतगणना और नतीजों से जुड़े ऐसे ही कुछ सवालों के जानते हैं.

काउंटिंग से पहले तक स्‍ट्रॉन्‍ग रूम में रहती हैं EVMs

वोटिंग पूरी होने के बाद EVMs को मतगणना केंद्र तक पहुंचाया जाता है.

यहां पर बने स्‍ट्रॉन्‍ग रूम्‍स में EVM बंद कर दी जाती हैं और दरवाजा सील कर देते हैं.

स्‍ट्रॉन्‍ग रूम की सुरक्षा पैरामिलिट्री फोर्सेज के जिम्‍मे होती है.

काउंटिंग हॉल : जहां होती है वोटों की गिनती

मतगणना केंद्र के भीतर काउंटिंग हॉल होता है। यहीं पर वोटों की गिनती होती है.

काउंटिंग हॉल एक ऐसा कमरा होता है जिसमें चारों तरफ दीवारों होती हैं

और एंट्री व एग्जिट का अलग-अलग इंतजाम रहता है.

चुनाव आयोग के निर्देश हैं कि एक हॉल में एक ही विधानसभा क्षेत्र की मतगणना हो सकती है.

एक काउंटिंग हॉल में 14 से ज्‍यादा काउंटिंग टेबल नहीं हो सकतीं.

RO की टेबल इन 14 में नहीं गिनी जाती.

काउंटिंग हॉल के भीतर चुनाव आयोग के ऑब्‍जर्वर को छोड़कर और कोई मोबाइल फोन नहीं ले जा सकता.

मतगणना वाले दिन कैसे क्‍या होता है?

सुबह 5 बजे काउंटिंग सुपरवाइजर्स और असिस्‍टेंट्स की रैंडम तैनाती होती है.

तय समय पर RO, उम्‍मीदवारों/चुनाव एजेंट्स और ECI ऑब्‍जर्वर्स की मौजूदगी में स्‍ट्रॉन्‍ग रूम को खोला जाता है.

लॉग बुक में एंट्री के बाद, ताले की सील चेक की जाती है और फिर तोड़ी जाती है.

पूरी प्रक्रिया का डेट-टाइम स्‍टैंप के साथ वीडियो बनाया जाता है.

EVMs को काउंटिंग हॉल में टेबल तक लाया जाता है.

रिटर्निंग ऑफिसर्स की निगरानी में सुबह 8 बजे मतगणना शुरू होती है.

सबसे पहले RO की टेबल पर इलेक्‍ट्रॉनिकली ट्रांसमिटेड पोस्‍टल बैलट पेपर्स (ETPBs) और पोस्‍टल बैलट्स (PBs) की गिनती होती है.

EVMs से वोटों की गिनती 30 मिनट बाद शुरू हो सकती है,

अगर तब तक पोस्‍टल बैलट्स की गिनती पूरी नहीं हुई है तो भी.

Counting of votes : हर राउंड की काउंटिंग में 14 EVMs में पड़े वोट गिने जाते हैं.

उस राउंड की सभी EVMs की गिनती के बाद ECI ऑब्‍जर्वर कोई भी दो रैंडम EVMs की पैरलल काउंटिंग करते हैं.

फिर नतीजों की टेबल तैयार होती है।हर राउंड के नतीजों पर सुपरवाइजर.

काउंटिंग एजेंट्स या कैंडिडेट्स के साइन होते हैं। फिर रिटर्निंग ऑफिसर साइन करता है.

उसके बाद बाहर आकर बताया जाता है कौन कितने वोट से आगे चल रहा है.

फिर RO अगले राउंड के लिए स्‍ट्रॉन्‍ग रूम से EVMs निकालकर काउंटिंग हॉल में लाने को कहते हैं.

मतगणना की पूरी प्रक्रिया वीडियो कैमरों की निगरानी में होती है.

इसके बाद VVPAT वेरिफिकेशन की अनिवार्य प्रक्रिया पूरी की जाती है.

VVPAT मशीन क्‍या है?

जब वोटर EVM का कोई बटन दबाता है तो साथ लगी VVPAT मशीन से एक पर्ची निकलती है.

पर्ची पर जिसे वोट दिया गया है, उस उम्‍मीदवार का नाम और चुनाव निशान होता है.

इससे वोटर को पता चलता है कि उसका वोट सही जगह गया है.

वोटर को VVPAT पर सात सेकंड्स के लिए पर्ची दिखती है,

उसके बाद वह VVPAT मशीन के ड्रॉप-बॉक्‍स में गिर जाती है और एक बीप सुनाई देती है.

VVPAT मशीन को केवल पोलिंग अधिकारी ही एक्‍सेस कर सकते हैं.

सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार, हर विधानसभा क्षेत्र के किन्‍हीं पांच पोलिंग स्‍टेशंस की VVPAT पर्चियों का म‍िलान वहां की EVMs के नतीजों से किया जाएगा.

VVPAT वेरिफिकेशन अनिवार्य है और इसे पूरा किए बिना अंतिम नतीजे जारी नहीं किए जा सकते.

नतीजों के बाद कहां चली जाती हैं EVMs?

सारे वोट गिने जाने के बाद रिटर्निंग अधिकारी विजेता उम्‍मीदवार को जीत का सर्टिफिकेट देते हैं.

अगर किसी उम्‍मीदवार को नतीजों पर संदेह है तो वह 45 दिन के भीतर फिर से मतदान की मांग कर सकता है.

एक बार नतीजों की घोषणा होने के बाद EVMs को स्‍ट्रॉन्‍ग रूम में रख दिया जाता है.

शुरुआत की तरह इस वक्‍त भी चुनाव अधिकारियों के अलावा उम्‍मीदवार या उनके प्रतिनिधि मौजूद रहते हैं.

उनके हस्‍ताक्षर भी लिए जाते हैं चुनाव नतीजों के ऐलान के 45 दिन बाद तक EVM उसी स्‍ट्रॉन्‍ग रूम में रखी जाती हैं.

उसके बाद उन्‍हें भारी सुरक्षा के बीच बड़े स्‍टोरेज रूम में शिफ्ट कर दिया जाता है.

चूंकि देशभर में कहीं न कहीं चुनाव होते ही रहते हैं,

जरूरत पड़ने पर EVMs को स्‍टोरेज रूम से निकालकर पहुंचा दिया जाता है.

इन सबके बीच चुनाव आयोग बार-बार EVMs की जांच करता रहता है.

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