नई दिल्ली:BJP Foundation Day:भारतीय जनता पार्टी का आज 42वां स्थापना दिवस है.
भारतीय जनता पार्टी (BJP) की स्थापना 6 अप्रैल 1980 को हुई,
लेकिन देश की सत्तारूढ़ पार्टी ने 1951 से लेकर 1980 तक भारतीय जनसंघ और जनता पार्टी के रूप में भी अपने सफर को पूरा किया था.
जनता पार्टी के भीतर जनसंघ (Bharatiya Jana Sangh) को निशाने पर लिया जाने लगा था.
1980 चुनाव में हार के लिए जनसंघ को दोषी ठहराया गया.
BJP Foundation Day:जनता पार्टी ने ‘दोहरी सदस्यता’ पर अंतिम फैसला लेने के लिए 4 अप्रैल 1980 को बैठक बुलाने का फैसला किया.
वाजपेयी और आडवाणी ने घोषणा कर दी कि 5 और 6 अप्रैल को जनसंघ की एक रैली होगी.
जनता पार्टी की बैठक में 14 के मुकाबले 17 वोटों के बहुमत से राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने निर्णय लिया,
कि जनता पार्टी का कोई सदस्य RSS का भी सदस्य नहीं हो सकता.
आडवाणी और वाजपेयी समेत जनसंघ के नेताओं ने इसे आभासी निष्कासन माना
और आरएसएस को छोड़ने के बजाय जनता पार्टी को छोड़ने का फैसला कर लिया.
अगर आडवाणी और वाजपेयी इस तरह जनता पार्टी से निकाले न जाते,
तो देश की सियासत शायद कुछ और करवट लेती.
भगवा पार्टी ने अपनी इस यात्रा में कई उतार चढ़ाव देखे हैं.
कहानी शुरू होती है 21 अक्टूबर 1951 से.
उस दिन दिल्ली के कन्या माध्यमिक विद्यालय परिसर में भारतीय जनसंघ का राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित हुआ,
जिसमें डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की अध्यक्षता में अखिल भारतीय जनसंघ की स्थापना हुई.
आयताकार भगवा ध्वज को स्वीकार किया गया और उसी में अंकित दीपक को चुनाव चिन्ह स्वीकार किया गया.
1952 में चुनाव होते हैं और आम चुनावों में भारतीय जनसंघ ने तीन सीटें जीतीं.
1953 में एक बड़ी घटना घटती है.
भारतीय जनसंघ ने कश्मीर और राष्ट्रीय एकता के मसले पर डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नेतृत्व में आंदोलन शुरू किया.
कश्मीर को किसी भी प्रकार का विशेष अनुदान देने का विरोध किया..
डॉ. श्यामा प्रसाद को गिरफ्तार कर कश्मीर की जेल में डाल दिया जाता है.
वहां रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मौत हो जाती है.
करीब 7 दशकों के बाद पीएम मोदी के कार्यकाल में आर्टिकल 370 को खत्म करने का बड़ा कदम उठाया गया.
1962 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनसंघ ने 14 सीटें जीतीं.
1967 में यूपी, एमपी और हरियाणा में हुए चुनाव में भारतीय जनसंघ देश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी.
लोकसभा चुनाव में 35 सीटें मिलीं। कई राज्यों में कांग्रेस विरोधी सरकारें बनीं जिनमें भारतीय जनसंघ साझीदार था.
भाजपा के इस ऐतिहासिक सफर में नेताओं की कई जोड़ियों ने अहम भूमिका निभाई है.
जनसंघ काल में डॉ.श्याम प्रसाद मुखर्जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जोड़ी ने संगठन के लिए खूब पसीना बहाया.
बीजेपी के शुरुआती दिनों में अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी की जोड़ी सदैव सुर्खियों में रहती थी.
आज के इस दौर में नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी सूपरहिट मानी जाती है.
दो सीटों वाली पार्टी 2014 और 2019 में प्रचंड बहुमत के साथ अपनी सरकार बनाने में सफल रही.
इसके अलावा ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ का नारा देते हुए कई राज्यों में भी सरकार बनाने में सफल रही.
नरेंद्र मोदी की करिश्माई नेतृत्व से पहले भाजपा अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में केंद्र में सरकार बनाने में सफल रही थी.
हालांकि, उन्होंने गठबंधन की सरकार चलाई.
हालांकि, उनका मानना था कि एक दिन उनकी पार्टी अपने दम पर देश की सत्ता में आएगी और कांग्रेस का नाम लेने वाली भी कोई नहीं रहेगा.
अटल बिहारी वाजपेयी अक्सर अपने भाषणों और इंटरव्यू में इस बात का जिक्र किया करते थे.