Painkillers के फायदे के साथ ही है साइड इफेक्ट

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Painkillers

अक्सर हम हल्के से सिरदर्द या बदन दर्द के लिए Painkillers दवाइयों का इस्तेमाल यह जाने बिना कर लेते है कि इसका हमारी सेहत पर क्या प्रभाव पड़ेगा.

अगर उचित मात्रा में Painkillers का इस्तेमाल किया जाए तो वरदान है, लेकिन थोड़ी सी भी लापरवाही पर यह जानलेवा भी बन सकती है.

चिकित्सको का कहना हैं कि पेन किलर दो तरह से काम करती है, या तो ब्रेन की ओर जाने वाले दर्द के सिग्नल को बंद कर देती है

अथवा ब्रेन में सिग्नल के इंटरप्रिटेशन सिस्टम में छेड़छाड़ कर देती है,

बिना एनेस्थीसिया प्रोड्यूस किए या कॉंशिअसनेस को खत्म किए.

दरअसल पेन किलर में दो तरह के एनाल्जिस होते हैं एक नॉन नारकोटिक्स,

जैसे एसिटेमिनोफेन और दूसरा नारकोटिक्स जैसे ऑपियड्स मोर्फिन.

कोई भी Painkillers बेस्ट नहीं होता है,सिर्फ साइड इफेक्ट कम या ज्यादा होता है

पेन किलर बनाने में मॉर्फिन नारकोटिक्स, नॉन स्टेरॉइडल एंटी इन्फ्लेमेटरी ड्रग्स और

एसेटैमिनोफेन नॉन नारकोटिक्स केमिकल का इस्तेमाल होता है.

सबसे जरूरी बात है, बिना डॉक्टर की सलाह के पेन किलर जहां तक हो सके अवॉइड करें और कभी भी ओवर डोज न करें,

जब डॉक्टर ने बंद करने के लिए कहा हो तब बंद कर दें. इसे खाली पेट बिल्कुल न लें.

नॉन नारकोटिक्स पेन किलर ऐसे लेने से किडनी, लिवर और पेट के लिए खतरनाक हो सकती हैं.

इसे कम से कम मात्रा में लेना चाहिए और तब जब बहुत ही जरूरी हो.क्योंकि इससे पेट अपसेट हो सकता है,

सीने में जलन और एसिडिटी भी हो सकती है, इसलिए बार- बार लेने से बचें.

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कुछ पेन किलर अस्थमा को भी बढ़ा सकती हैं.

लिवर या किडनी की समस्या वाले मरीजों में डोज बदलनी पड़ सकती है, क्योंकि इसकी हाई डोज जहरीली साबित हो सकती है.

पेन किलर दवाइयों से सबसे बड़ा खतरा लिवर के खराब होने का होता है.

डॉक्टरों के अनुसार ज्यादा पेन किलर दवाइयां लेने से लिवर पर खराब असर पड़ता है

और पेन किलर के एसिटामिनोफेन की वजह से लिवर के डेमेज होने का खतरा बढ़ जाता है.

साथ ही यह किडनी को भी नुकसान पंहुचाती है.

शोधकर्ताओं ने पाया कि ओपिओड जैसी पेन किलर का लंबे वक्त तक इस्तेमाल करने से व्यक्ति को डिप्रेशन हो सकता है.

अध्ययन में शामिल लोगों ने 80 से अधिक दिन ओपिओडि खाई और उनका डिप्रेशन का जोखिम 53 प्रतिशत बढ़ गया.

बार-बार Painkillers लेने से व्यक्ति को इसका एडिक्शन हो जाता है.

फिर छोटी-छोटी समस्या होने पर भी वह पेनकिलर लेने लगते हैं.

ज्यादा पेन किलर लेने से लिवर पर पड़ता है खराब असर

इससे खून पतला हो जाता है जिससे की खून का थक्का जमना और ब्लड प्रेशर बढ़ने का खतरा भी रहता है.

पेन किलर के अधिक इस्तेमाल से लीवर के साथ साथ व्यक्ति के पेट में अल्सर की भी समस्या हो सकती है.

इसमें मौजूद एसपिरिन के ज्यादा सेवन से पेट में कई दिक्कतें होने लगती है.

पेन किलर प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए बहुत खतरनाक है. अगर गर्भावस्था के दौरान पेन किलर का ज्यादा इस्तेमाल किया जाए

तो इससे गर्भपात होने का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए गर्भवती महिलाओं का पेन किलर दवाइयों से बचना चाहिए.

पेन किलर दवाइयों से तुरंत दर्द में राहत मिलती है तो इंसान बार- बार इसका इस्तेमाल करता है,

जिससे व्यक्ति को इसकी आदत हो जाती है.

लंबे समय तक इस्तेमाल से शरीर में इन दवाओं के प्रति टॉलरेंस उत्पन्न हो जाती है

और दिमाग व शरीर उस पर निर्भर हो जाता है.

नारकोटिक वाले तत्व एडिक्टिव फिजिकल डिपेंडेंसी का सबसे बड़ा कारण बनते हैं.

पेन किलर दवाइयों का व्यक्ति आदी ना हो जहां इसलिए उसे दर्द बर्दाश्त करने की कोशिश करना चाहिये,

डॉक्टर की सलाह से ही पेन किलर लें.

दर्द वाले हिस्से पर ठंडी या गर्म सिंकाई करे, पेन किलर के स्प्रे या जेल प्रयोग करे.

पेनकिलर लेने के लिए बेस्ट लिक्विड है ताजा पानी अगर इसे लेने से पेट दर्द हो तो तुरंत उस पेनकिलर का इस्तेमाल बंद कर दें.

कोई भी पेनकिलर बेस्ट नहीं है, सिर्फ किसी का असर कम साइड इफेक्ट के साथ ज्यादा हो सकता है.

प्रेग्नेंसी, बीपी, डायबीटीज और किडनी के मरीजों को बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी पेन किलर नहीं लेना चाहिए,

क्योंकि इस सिचुएशन में कुछ पेन किलर बिल्कुल ही नहीं ली जा सकती हैं.

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