नई दिल्ली: Congress President Election: कांग्रेस में नया अध्यक्ष के चुनाव का ऐलान हो चुका है. सियासी हलकों में चर्चा तेज हो गई है कि आखिरकार अब कांग्रेस पार्टी नया अध्यक्ष किसे चुनेगी.
कांग्रेस का इतिहास देखें तो ज्यादातर समय गांधी परिवार से ही अध्यक्ष रहा है.
Congress President Election: कांग्रेस पार्टी के भीतर पिछले काफी समय से गांधी परिवार से अलग अध्यक्ष चुनने को लेकर दबाव बनाया जा रहा था.
इसी को लेकर जी-23 गुट भी बना और पार्टी के दिग्गज नेताओं ने बगावती सुर भी छेड़े.
अब नये अध्यक्ष के चुनाव के ऐलान के साथ ही कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या पार्टी इस बार नया संदेश देने जा रही है?
सालों बाद ऐसा मौका है जब देश की दिग्गज राजनीतिक पार्टी चुनाव के जरिए अपना अध्यक्ष चुनने जा रही है.
करीब 26 साल बाद ऐसा मौका आया है कि जब पार्टी के नेता चुनाव के जरिए अपना लीडर चुनेंगे.
कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव की तारीख तय करने के लिए कांग्रेस वर्किंग कमिटी (CWC)की बैठक हुई.
सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव 17 अक्टूबर को होगा.
इसके लिए 22 सितंबर को नोटिफिकेशन जारी होगा, 24 सितंबर से नामांकन शुरू होगा,
17 अक्टूबर को वोटिंग होगी और 19 अक्टूबर को काउंटिंग के बाद नतीजे सामने आएंगे.
हालांकि अभी तक इसका औपचारिक ऐलान नहीं हुआ है.
राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना दिसंबर 1885 को हुई थी.
Congress President Election:आजादी के बाद अब तक पार्टी की कमान 16 लोग संभाल चुके हैं, जिसमें गांधी परिवार के पांच अध्यक्ष रहे हैं.
वर्तमान में कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी है और वह कांग्रेस के इतिहास में सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष पद पर रहने वाली महिला हैं.
कांग्रेस के इतिहास पर नजर डालें तो गांधी परिवार से अलग जो शख्स पार्टी का अध्यक्ष चुना गया वो थे सीताराम केसरी.
सीताराम केसरी ही वह शख्स थे जिनको चुनावी प्रक्रिया के जरिए कांग्रेस ने अपना अध्यक्ष चुना था.
वह कलकत्ता अधिवेशन में पार्टी के मुखिया चुने गये थे
और करीब दो सालों तक उन्होंने पार्टी की कमान संभाली है.
हालांकि उनको अपमानित करके कांग्रेस के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया
और 1998 में पहली बार सोनिया गांधी के हाथ में कमान दे दी गई.
बिहार के वरिष्ठ कांग्रेस नेता सीताराम केसरी को 1996 में कोलकाता अधिवेशन में कांग्रेस के अध्यक्ष बनाए गये थे.
12वीं लोकसभा चुनाव के बाद देशभर में कांग्रेस को महज 142 लोकसभा सीटें ही आईं थी.
इस चुनाव में सोनिया गांधी ने 130 से ज्यादा रैलियों को संबोधित किया था
बावजूद वह कांग्रेस में अपनी अमेठी की सीट भी हार गई थी.
सीताराम ने पूरे चुनाव में एक भी रैली को संबोधित नहीं किया था.
पार्टी के कई नेता उनको अपना नेता नहीं मानते थे और सीताराम केसरी उनको अखर रहे थे.
14 मार्च 1998 को लोकसभा चुनावों में करारी हार के बाद कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक बुलाई गई थी.
प्रणब मुखर्जी के घर पर कार्य समिति के करीब 13 नेता उनके घर पर इकट्ठा हुए थे
प्रणब मुखर्जी ने सीताराम केसरी को पार्टी के लिए किये गये कामों के लिए धन्यवाद कहते हुए इस्तीफा देने की गुजारिश की.
इस्तीफे की बात पर सीताराम केसरी नाराज हो गये और उस बैठक को छोड़ कर चले गये.
जिसके बाद उसी कार्यसमिति में सर्वसम्मति से सोनिया गांधी को कांग्रेस का नेता चुन लिया गया.
यह बात भी मौजूं है कि इस बैठक में जितेंद्र प्रसाद, शरद पवार और गुलाम नबी आजाद जैसे नेता मौजूद थे.
यह भी संयोग है कि शरद पवार और गुलाम नबी आजाद दोनों ही कांग्रेस के सदस्य नहीं हैं.
शरद पवार ने जहां अपनी अलग पार्टी (एनसीपी) बना ली है तो वहीं गुलाम नबी आजाद ने हाल ही में कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है.