नई दिल्ली:Election Commissioner: सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर बड़ा दखल देते हुए चुनाव आयुक्त के तौर पर अरूण गोयल की नियुक्ति संबंधी फाइल मांगी. SC ने कहा कि सुनवाई शुरू होने के तीन दिन के भीतर नियुक्ति हो गई.
नियुक्ति के लेकर अर्जी दाखिल करने के बाद ये नियुक्ति की गई.
हम जानना चाहते हैं कि नियुक्ति के लिए क्या प्रक्रिया अपनाई गई.
अगर ये नियुक्ति कानूनी है तो फिर घबराने की जरूरत है.
उचित होता अगर अदालत की सुनवाई के दौरान नियुक्ति ना होती.
दरअसल, याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण ने संविधान पीठ को बताया था कि गुरुवार को उन्होंने ये मुद्दा उठाया था.
इसके बाद सरकार ने एक सरकारी अफसर को वीआरएस देकर चुनाव आयुक्त नियुक्त कर दिया.
जबकि हमने इसे लेकर अर्जी दाखिल की थी.
Election Commissioner:सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस अधिकारी की नियुक्ति से संबंधित फाइलें पेश करें ताकि हम यह सुनिश्चित कर सकें कि कोई हंकी पैंकी नहीं हुआ.
अगर ये नियुक्ति कानूनी है तो फिर घबराने की क्या जरूरत है.
उचित होता अगर अदालत की सुनवाई के दौरान नियुक्ति ना होती.
शुरुआत में चुनाव आयोग में सिर्फ एक ही सदस्य होता था- मुख्य चुनाव आयुक्त.
16 अक्टूबर 1989 से चुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त के अलावा 2 चुनाव आयुक्त की व्यवस्था की गई.
उसी दिन वोटर के लिए न्यूनतम उम्र भी 21 साल से घटाकर 18 साल कर दी गई.
जनवरी 1990 में एक सदस्यीय चुनाव आयोग को बहाल कर दिया गया.
लेकिन अक्टूबर 1993 में राष्ट्रपति ने दो और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति कर फिर से इसे तीन सदस्यीय स्वरूप दिया. तब से यही व्यवस्था चली आ रही है.
मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति करते है.
ये आईएएस रैंक के अधिकारी होते हैं.
इनका कार्यकाल 6 साल या 65 साल की उम्र (दोनों में से जो भी पहले हो) तक होता है.
उनका दर्जा सुप्रीम कोर्ट के जजों के समकक्ष होता है
और उन्हें भी वही वेतन और भते मिलते हैं जो सुप्रीम कोर्ट के जजों को मिलते हैं.
मुख्य चुनाव आयुक्त चुनाव आयोग का प्रमुख होता है
लेकिन उसके अधिकार भी बाकी चुनाव आयुक्तों के बराबर ही होते हैं.
आयोग के फैसले सदस्यों के बहुमत या सर्वसम्मति के आधार पर होते हैं.
मुख्य चुनाव आयुक्त को संसद से महाभियोग की प्रक्रिया के जरिए ही पद से हटाया जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट के जजों को भी हटाने की यही प्रक्रिया होती है.
हालांकि, चुनाव आयुक्तों को मुख्य चुनाव आयुक्त की सिफारिश पर राष्ट्रपति जब चाहे तब हटा सकता है.
चुनाव आयुक्त अपने कार्यकाल से पहले इस्तीफा दे सकते हैं या कार्यकाल पूरा होने से पहले भी उन्हें हटाया जा सकता है.