मुंबई:LNN: Budget 2018 लोकसभा में प्रस्तुत होने वाला मोदी सरकार के आम चुनाव के पूर्व का खास बजट होगा.
अगले साल होने वाले चुनाव को लेकर Budget 2018 में लोकलुभावन नीति की भी आशंका जताई जा रही है.
2014 में चुनाव जीतने के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आर्थिक सुधारों का भारतीय बाजारों ने स्वागत किया.
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मोदी सरकार ने एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के विकास के नए क्षेत्र विकसित करने की भी कोशिश की है.
Budget 2018 में धीमी अर्थव्यवस्था के साथ ही राजकोषीय घाटे पर भी गौर करने की जरूरत
मोदी सरकार को Budget 2018 में धीमी अर्थव्यवस्था के साथ ही राजकोषीय घाटे पर भी गौर करने की जरूरत है.
Budget 2018 में बाजारों का फोकस इस बात पर होगा कि भारत का राजकोषीय घाटा कितना बढ़ता है,
जिसके 2018-19 में GDP का 3 फीसदी रहने का अनुमान है.
मोदी सरकार 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कृषि जैसे प्रमुख क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने की तैयारी कर रही है.
इस संकेत से निवेशकों की आशंकाएं खत्म होंगी, जो इस बात को लेकर चिंतित थे कि सरकार अपने खर्चे में कटौती कर सकती है.
सर्वे के अनुसार 3.2 फीसदी घाटे का अनुमान
एक न्यूज एजेंसी के सर्वे के अनुसार ज्यादातर अर्थशास्त्री 3.2 फीसदी घाटे का अनुमान लगा रहे हैं.
ट्रेडर्स का कहना है कि बॉन्ड पर रिटर्न 10 से 15 बेसिस पॉइंट्स कम हो सकता है,जबकि शेयर्स रेकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच सकता है.
अगर भारत अपने 3 फीसदी के टारगेट पर बना रहता है तो स्पष्टतौर पर लाभ दिखाई देगा.
हालांकि 3.2 फीसदी से ज्यादा घाटा होने से यह शेयरों को प्रभावित करेगा,
और बॉन्ड पर रिटर्न 20 से 25 बेसिस पॉइंट्स बढ़ जाएगा.
सोमवार को आए सरकार के सालाना आर्थिक सर्वे के बाद बाजारों में चिंता देखी गई.
विशेषज्ञो का कहाना है कि यह बजट निवेशकों और आम आदमी दोनों पर केंद्रित होगा.
सरकार इस बात का ख्याल रखेगी कि इस बजट से न तो महंगाई बढ़े और न ही आर्थिक रूप से किफायती लगे.
गौरतलब है कि Budget 2018 में एक संतुलित बजट से RBI को भी राहत मिलेगी,
जो 6-7 फरवरी को पॉलिसी रिव्यू करने वाला है.
आशंका जताई जा रही है कि RBI अगले कुछ महीनों में रेट्स बढ़ा सकता है.
दिसंबर में इन्फ्लेशन 17 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गया था.
मई 2014 में मोदी के सत्ता में आने के बाद से 10 साल का बॉन्ड रिटर्न बेंचमार्क 135bps गिर गया और NSE शेयर इंडेक्स 55 फीसदी बढ़ गया.