नई दिल्ली:Joshimath:भूमि का धंसना, जिसे पृथ्वी की सतह के लंबवत नीचे की ओर चले जाने के रूप में भी जाना जाता है, एक ऐसे क्षेत्र में जहां कोई क्षैतिज गति नहीं है.
Joshimath:जोशीमठ में जमीन धंसने की घटना लोगों में दहशत पैदा कर रहा है.ये घटना या तो प्राकृतिक या मानव निर्मित हो सकता है.
भारतीय भूकंपीय ज़ोनिंग मानचित्र के अनुसार, जोशीमठ उत्तराखंड के चमोली जिले में 6,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर उच्च जोखिम वाले भूकंपीय क्षेत्र 5 (बहुत गंभीर तीव्रता वाले क्षेत्र) में स्थित है.
ऐसा माना जा रहा है कि जोशीमठ किसी मुख्य चट्टान (Hard Rock) पर नहीं स्थित है
बल्कि ये भूस्खलन से जमा अवसाद या बालू और पत्थरों को जमाव पर स्थित है.
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग द्वारा दो साल के एक अध्ययन में पाया गया है कि जोशीमठ (Joshimath)
और इसके आसपास के इलाकों में प्रति वर्ष 6.5 सेमी या 2.5 इंच की दर से जमीन धंस रही है.
देहरादून स्थित संस्थान द्वारा सैटेलाइट डेटा का उपयोग करते हुए यह अध्ययन किया गया है.
जोशीमठ में हाल के दिनों में कई घरों में दरारें आने के बाद देश भर में इसकी चर्चा हो रही है
और सरकार की तरफ से लोगों को सुरक्षित बचाने के लिए कई प्रयास भी किए जा रहे हैं.
इन दरारों को लेकर जोशीमठ के स्थानीय लोगों ने नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन या एनटीपीसी की तपोवन परियोजना को जिम्मेदार बताया है.
जुलाई 2020 से मार्च 2022 तक एकत्र की गई सेटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि पूरा क्षेत्र धीरे-धीरे धंस रहा है.
लाल बिंदु धंसने वाले हिस्सों को चिह्नित करते हैं.
Joshimath:इस डेटा से पता चलता है कि वे पूरी घाटी में फैले हुए हैं और जोशीमठ तक ही सीमित नहीं हैं.
इधर, प्रभावित होटलों को गिराने की कार्रवाई मंगलवार को नहीं हो पाई.
स्थानीय लोगों और होटल मालिकों की तरफ से सरकार की इस कार्रवाई का लगातार विरोध किया जा रहा है.
होटल संचालकों इसे लेकर सरकार से मुआवजे की मांग कर रहे हैं.
विरोध प्रदर्शन के बाद प्रशासन ने फैसला किया है कि जिन घरों और होटलों में दरारे आई हैं
उन्हें गिराने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा.
विध्वंस मैन्युअल रूप से किया जाएगा.
जानकारी के अनुसार प्रशासन वन टाइम सेटलमेंट प्लान पर भी विचार कर रही है.
सरकार ने मकानों को गिराने के लिए उचित योजना बनाने के लिए सीबीआरआई की एक टीम बुलाई है.
बता दें कि जोशीमठ में अब तक कुल 731 घरों में दरारें आ गई हैं.
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने सोमवार को ‘माउंट व्यू’ और ‘मालारी इन’ होटलों को गिराने का फैसला किया था.
जिनमें हाल में बड़ी दरार आ गईं और दोनों एक-दूसरे की ओर झुक गए हैं.
इससे आसपास की इमारतों को खतरा पैदा हो गया है.
इलाके में अवरोधक लगा दिए गए हैं और इन होटल और आसपास के मकानों में बिजली आपूर्ति रोक दी गई है,
जिससे करीब 500 घर बिजली के अभाव का सामना कर रहे हैं.
जोशीमठ में लोगों को घरों से निकालने के प्रयास जारी रहने के बीच अब तक कुल 600 परिवारों अस्थायी राहत केंद्रों में पहुंच गए हैं,
वहीं जोशीमठ में दरार पड़ने और जमीन धंसने से प्रभावित घरों की संख्या 723 हो गई है.
आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की चमोली इकाई ने मंगलवार को एक बुलेटिन में यह जानकारी दी.
क्षेत्र में 86 घरों को असुरक्षित चिह्नित किया गया है.
जिला प्रशासन ने ऐसे घरों के बाहर लाल निशान लगा दिए हैं.
‘मालारी इन’ के मालिक ठाकुर सिंह ने कहा,
‘‘मुझे आज सुबह अखबार से इस बारे में पता चला.
कोई पूर्व नोटिस नहीं दिया गया.
अगर सरकार ने मेरे होटल को असुरक्षित समझा है तो उसे इसे गिराने का फैसला करने से पहले एकमुश्त निपटान योजना लानी चाहिए.