मोदी कैबिनेट में फेरबदल की चर्चा गर्म

0
85

reshuffle in Modi cabinet: सियासी गलियारों में मोदी कैबिनेट में फेरबदल की चर्चा गर्म है,कुछ मंत्रियों की कुर्सी पर भी संकट है.

मंत्रियों के कैबिनेट से आउट और नेताओं के मंत्रिमंडल में एंट्री को लेकर कई समीकरण उलट-पलट किए जा रहे हैं.

तेलंगाना से आने वाले जी किशन रेड्डी को संगठन में भेजा गया है.

2014 से अब तक मोदी कैबिनेट में फेरबदल से लगातार मजबूत होने वाले कुछ मंत्रियों की कुर्सी पर भी संकट है.

reshuffle in Modi cabinet:मोदी के पहले कैबिनेट में बतौर राज्य मंत्री शामिल होने वाले कई मंत्री अब मंत्रिमंडल के कोर ग्रुप में शामिल हैं.

परफॉर्मेंस के आधार पर अब तक प्रमोशन पाए जिन मंत्रियों को हटाए जाने की चर्चा है,

उनमें से कुछ मंत्रियों को संगठन में भेजा जा सकता है तो कुछ के लिए राजभवन का दरवाजा खुल सकता है.

हालांकि, सरप्राइज पॉलिटिक्स के लिए मशहूर बीजेपी हाईकमान ने अब तक कैबिनेट को लेकर पत्ता नहीं खोला है.

निर्मला सीतारमण- आडवाणी, गडकरी और राजनाथ सिंह के कार्यकाल में मुखर प्रवक्ता रहीं निर्मला सीतारमण को 2014 में मोदी कैबिनेट में शामिल किया गया.

उस वक्त उन्हें वित्त और कॉर्पोरेट मंत्रालय में राज्यमंत्री बनाया गया.

सीतारमण को वाणिज्य और उद्योग विभाग में स्वतंत्र प्रभार का मंत्री भी बनाया गया.

2017 में सीतारमण का प्रमोशन हुआ और उन्हें रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली.

सीतारमण से पहले मनोहर पर्रिकर देश के रक्षा मंत्री थे,

लेकिन गोवा के मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने यह पद छोड़ दिया.

भारत में रक्षा विभाग की कमान संभालने वाली सीतारमण इंदिरा गांधी के बाद दूसरी महिला मंत्री थीं.

सीतारमण के वक्त ही भारतीय सेना ने पीओके में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था.

बीजेपी ने इसे चुनाव में बड़ा मुद्दा बनाया और पार्टी को इसका फायदा भी मिला.

2019 में जीत के बाद सीतारमण का कद और अधिक बढ़ गया.

बीजेपी के नए समीकरण में अमित शाह को गृह मंत्री बनाया गया और गृह मंत्री रहे राजनाथ सिंह रक्षा मंत्री बन गए.

सीतारमण को सरकार में वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली.

पिछले दिनों मोदी कैबिनेट में फेरबदल की चर्चा के बीच सीतारमण ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी.

इसके बाद सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि क्या सीतारमण के हाथ से वित्त मंत्री की कुर्सी जा रही है?

Narendra Singh Tomar

नरेंद्र सिंह तोमर– ग्वालियर से सांसद नरेंद्र सिंह तोमर को 2014 में मोदी कैबिनेट में शामिल किया गया था.

उन्हें श्रम-रोजगार और इस्पात विभाग का मंत्री बनाया गया.

2016 के फेरबदल में उनका कद बढ़ा और पंचायती राज के साथ-साथ ग्रामीण विकास विभाग की जिम्मेदारी भी उन्हें दी गई.

2018 में तोमर संसदीय कार्यमंत्री की जिम्मेदारी भी दी गई.

2019 के चुनाव में वे फिर से ग्वालियर सीट से जीत कर आए और मोदी कैबिनेट में शामिल हो गए.

इस बार उन्हें कृषि और किसान कल्याण विभाग की जिम्मेदारी मिली.

2020 में हरसिमरत कौर बादल के कैबिनेट से जाने के बाद उनका खाद्य प्रसंस्करण विभाग भी तोमर को अतिरिक्त प्रभार में मिला.

2023 के कैबिनेट फेरबदल में उनकी कुर्सी पर भी संकट है.

तोमर को मध्य प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी जा सकती है.

2006-2010 और 2013 में वे मध्य प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष रह भी चुके हैं.

तोमर को कमान देने की चर्चा इसलिए हो रही है,

क्योंकि बीजेपी में शिवराज और सिंधिया खेमे को एकसाथ साधा जा सके.

तोमर की ग्वालियर-चंबल में मजबूत पकड़ है.

साथ ही पुराने नेताओं से भी उनका संबंध सही है.

हाल ही में बीजेपी के पुराने नेताओं ने शिवराज सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है,

जो चुनावी साल में बीजेपी के लिए परेशानी का कारण बन गया है.

Piyush Goyal

पीयूष गोयल- बीजेपी के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष रह चुके पीयूष गोयल को 2014 में मोदी कैबिनेट में शामिल किया गया.

उन्हें उर्जा मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार दिया गया.

2017 के फेरबदल में गोयल का कद बढ़ा और उन्हें रेलवे मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली.

प्रधानमंत्री के गुड बुक में होने की वजह से उनके पास कोयला मंत्रालय भी था.

2018 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली बीमार पड़े तो पीयूष गोयल को वित्त विभाग की जिम्मेदारी मिली.

उन्होंने जेटली की जगह पर बजट भी पेश किया.

2019 में मोदी सरकार रिपीट हुई तो माना जा रहा था कि गोयल को वित्त मंत्रालय मिलेगा,

लेकिन उनका रेलवे मंत्रालय बरकरार रखा गया.

हालांकि, इसके वाणिज्य और उद्योग विभाग भी अतिरिक्त में दिए गए.

2020 में उन्हें खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की जिम्मेदारी दी गई.

2021 के कैबिनेट फेरबदल में गोयल से रेल विभाग ले लिया गया.

इसके बदले उन्हें टेक्सटाइल विभाग दी गई.

मोदी कैबिनेट के इस फेरबदल में गोयल के भी बाहर जाने की चर्चा है.

चर्चा के मुताबिक उन्हें संगठन में भेजे जाने की तैयारी है.

गोयल को राजस्थान का प्रभारी महासचिव बनाए जाने की चर्चा सबसे अधिक है.

 Kiren Rijiju

किरेन रिजिजू- अरुणाचल पश्चिम से सांसद किरेन रिजिजू को प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 में अपने कैबिनेट में शामिल किया था.

रिजिजू को उस वक्त गृह राज्य मंत्री बनाया गया था. रिजिजू इस पद पर पूरे 5 साल तक रहे.

2019 के कैबिनेट विस्तार में रिजिजू का कद बढ़ाया गया.

उन्हें युवा और खेल मंत्रालय में स्वतंत्र प्रभार का मंत्री बनाया गया.

2021 के फेरबदल में उनका प्रमोशन हुआ और कैबिनेट स्तर के मंत्री बनाए गए.

कानून विभाग की जिम्मेदारी भी उन्हें मिली.

हालांकि, कुछ महीने पहले ही उनसे कानून मंत्रालय छीन लिया गया.

इसके बदले उन्हें पृथ्वी विभाग की कमान दी गई थी.

मोदी के नए कैबिनेट फेरबदल में रिजिजू की कुर्सी भी खतरे में है.

VK Singh

वीके सिंह– सैन्य क्षेत्र से पहले अन्ना आंदोलन और फिर बीजेपी में आने वाले जनरल वीके सिंह को 2014 में मोदी कैबिनेट में शामिल किया गया था.

सिंह को नॉर्थ-ईस्ट और सांख्यिकी विभाग में स्वतंत्र प्रभार की जिम्मेदारी दी गई थी.

साथ ही विदेश विभाग में राज्यमंत्री भी बनाया गया था.

विदेश विभाग में राज्यमंत्री रहते हुए सिंह यमन संकट के दौरान खुद वहां गए थे.

प्रधानमंत्री मोदी ने भी यमन संकट के दौरान किए गए उनके कार्य की सराहना की थी.

2019 में जब मोदी सरकार 2.0 का गठन हुआ तो सिंह को कैबिनेट में शामिल किया गया.

उन्हें सड़क परिवहन विभाग में राज्य मंत्री बनाया गया.

2021 में सिंह को सड़क परिवहन के साथ-साथ नागरिक विमानन विभाग में भी राज्यमंत्री बनाया गया.

सिंह 2014 और 2019 का चुनाव गाजियाबाद सीट से जीत चुके हैं,

जो पहले राजनाथ सिंह का गढ़ माना जाता था.

अब नए फेरबदल में वीके सिंह को हटाए जाने की चर्चा ने जोर पकड़ ली है.

कैबिनेट से हटाकर उन्हें किसी राज्य के राज्यपाल के पद पर भेजा जा सकता है या कुछ महीनों के लिए वे कूलिंग पीरियड में जा सकते हैं.

Follow us on Facebook

Follow us on YouTube

Download our App

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here