Cauvery water dispute: SC का कर्नाटक के पक्ष में फैसला,जाने आखिर इतना हंगामा क्यों?

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Cauvery water dispute

Cauvery water dispute: SC का तमिलनाडु को 177.25 TMC पानी देने का आदेश

नई दिल्ली:LNN: Cauvery water dispute पर सुप्रीम कोर्ट की चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़़ की पीठ ने फैसला सुनाया है.

फैसले में पीठ ने तमिलनाडु को 177.25 TMC पानी देने का आदेश दिया है.

तमिलनाडु को पहले 192 टीएमसी पानी मिलता था, लेकिन अब उसे 177 टीएमसी पानी मिलेगा.

कर्नाटक को 14 टीएमसी अतिरिक्त पानी, केरल को 30 टीएमसी और पुडुचेरी को 7 टीएमसी को पहले की तरह पानी मिलेगा.

पर सवाल यह उठता है आखिर Cauvery water dispute हैं क्या और इस पर इतना हंगामा क्यों होता रहा है.

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भारत के दक्षिण में बहने वाली कावेरी एक अंतर्राज्यीय नदी है, कर्नाटक और तमिलनाडु इस कावेरी घाटी में पड़नेवाले प्रमुख राज्य हैं.

इस घाटी का एक हिस्सा केरल में भी पड़ता है जबकि सागर में मिलने से पहले ये नदी कराइकाल से होकर गुजरती है जो पांडिचेरी का हिस्सा है.

इसलिए कावेरी नदी के जल बंटवारे को लेकर हमेशा बवाल होता रहता है.

Cauvery water dispute अंग्रेजों के जमाने से चला आ रहा है.

19वीं शताब्दी में मद्रास प्रेसिडेंसी और मैसूर राज के बीच Cauvery water dispute शुरू हुआ था.

1924 में इन दोनों के बीच एक समझौता हुआ, इस समझौते में बाद में केरल और पांडिचेरी भी शामिल हो गये थे.

लेकिन बाद में कर्नाटक को इस समझौते पर एतराज हो गया,

क्योंकि उसका मानना है कि अंग्रेज़ों की हुकूमत के दौरान कर्नाटक एक रियासत थी.

तमिलनाडु सीधे ब्रिटिश राज के अधीन था इसलिए 1924 में कावेरी जल विवाद पर हुए समझौते में उसके साथ न्याय नहीं हुआ.

इस कारण वो Cauvery water dispute पर शोर मचा रहा है.

1990 में गठित ट्रिब्यूनल के फैसले को कर्नाटक ने मानने से किया इंकार

वो नदी के बहाव के रास्ते में पहले पड़ता है, उसे उस जल पर पूरा अधिकार बनता है.

Cauvery water dispute मामले में 1972 में गठित एक कमेटी की रिपोर्ट के बाद,

1976 में कावेरी जल विवाद के सभी चार दावेदारों के बीच एग्रीमेंट किया गया, जिसकी घोषणा संसद में हुई थी.

1990 में तमिलनाडु की मांग पर एक ट्रिब्यूनल का भी गठन हुआ था.

ट्रिब्यूनल में ये फैसला किया गया था कि कर्नाटक की ओर से कावेरी जल का तय हिस्सा तमिलनाडु को मिलेगा.

तमिलनाडु पुराने समझौतों को तर्कसंगत बताते हुए कहता हैै कि 1924 के समझौते के अनुसार,

जल का जो हिस्सा उसे मिलता था, अब भी वही मिले वो सुप्रीम कोर्ट के पास गया बार कोर्ट ने उसके हक में फैसला सुना दिया.

सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार को 15 हजार क्यूसेक पानी 10 दिन तक तमिलनाडु को देने का निर्देश दिया.

जिसके चलते राज्यों में विरोध प्रदर्शन होने लगे,

जिसके बाद 16 फरवरी 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने कावेरी मामले पर सुनाया अपना फैसला बदल दिया.

आज कोर्ट ने कावेरी नदी के पानी का बंटवारा करते हुए कहा कि तमिलनाडु को 177.25 TMC पानी दिया जाए,

आज के फैसले मेंकोर्ट ने कर्नाटक का पानी बढ़ाया है.

तमिलनाडु को मिलने वाले पानी की मात्रा को घटा दिया है. इस फैसले से कर्नाटक को फायदा पहुंचा है.

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