Jayant Chaudhary :कांवड़ यात्रा रूट पर पड़ने वाली दुकानों के सामने उनके मालिकों और उनके सहयोगियों के नाम लिखने के उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के फरमान को लेकर एनडीए के भीतर बवाल हो गया है.
कई सहयोगी दलों जैसे- आरएलडी और जेडीयू ने योगी सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाया है.
आरएलडी ने तो इस फैसले का बेहद मुखरता से विरोध किया है.
Jayant Chaudhary : आरएलडी प्रमुख केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी ने स्पष्टतौर पर योगी सरकार से इस फैसले को वापस लेने की मांग की है.
राज्यसभा सांसद चौधरी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि ऐसा लगता है कि यह आदेश बिना सोचे-समझे लिया गया
और सरकार इस पर इसलिए अड़ी हुई है क्योंकि निर्णय हो चुका है.
मुजफ्फरनगर जिले में 240 किलोमीटर लंबे कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित सभी होटलों,
ढाबों और ठेलों सहित रेस्त्रां को अपने मालिकों या इन दुकानों पर काम करने वालों के नाम छापने का आदेश दिया था.
इसके कुछ दिनों बाद शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार ने पूरे राज्य के लिए ऐसा ही आदेश जारी करने का फैसला किया.
यह पूछे जाने पर कि क्या निर्णय वापस लिया जाना चाहिए,
उन्होंने कहा कि अभी भी समय है कि इसे (वापस) लिया जाए या सरकार को इसे (लागू करने) पर ज्यादा जोर नहीं देना चाहिए.
उन्होंने कहा कि कांवड़ की सेवा सभी करते हैं.
कांवड़ की पहचान कोई नहीं करता और न ही कांवड़ सेवा करने वालों की पहचान धर्म या जाति से की जाती है.
सरकार के फैसले का विरोध करते हुए चौधरी ने कहा कि उप्र सरकार ने यह फैसला बहुत सोच समझकर नहीं लिया है.
उन्होंने कहा कि इस मामले को धर्म और जाति से नहीं जोड़ा जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि सभी लोग कांवड़ यात्रियों की सेवा करते हैं.
Jayant Chaudhary : मुस्लिम वोट पर नजर जयंत हुए मुखर?
लोकसभा में केवल दो सांसदों वाली पार्टी आरएलडी ने योगी सरकार के फैसले का विरोध कर एक बड़ा राजनीतिक संदेश दिया है.
विरोध का यह स्वर एनडीए के भीतर से उठा है.
आरएलडी का जनाधार पश्चिमी यूपी में केंद्रित है.
इस इलाके में 2024 के चुनाव में भाजपा काफी कमजोर हुई है.
वहीं आरएलडी भाजपा के साथ गठबंधन में अपनी दोनों सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब हुई है.
उसकी जीत का स्ट्राइक रेट 100 फीसदी रहा.
पश्चिम यूपी में लोकसभा की 26 सीटें हैं. इमसें आरएलडी के साथ गठबंधन के बावजूद एनडीए केवल 13 सीटों पर जीत हासिल कर पाई.
इन 13 में से दो सीटें आरएलडी की हैं.
वहीं 2019 में यहां की 18 सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी.
मुजफ्फरनगर सीट से भाजपा के बड़े जाट नेता संजीव बालियान को सपा के जाट नेता हरेंद्र मलिक से हाथों हार मिली.
कई सीटों पर भाजपा की जीत का मार्जिन पिछली बार की तुलना में काफी कम हुआ है.
लोकसभा चुनाव से पहले काफी समय तक राजनीतिक रूप से हाशिये पर दिख रहे
जयंत चौधरी लोकसभा चुनाव के बाद अपनी पार्टी की पहचान स्थापित करना चाहते हैं.
2013 के मुजफ्फरनगर दंगों ने पश्चिम में जाट और मुस्लिम समुदाय के बीच एक खाई बना दी.
उस खाई को पाटने की कोशिश में करीब 10 साल तक आरएलडी हाशिये पर चली गई.
2019 में जयंत चौधरी के पिता अजित चौधरी मुजफ्फरनगर से लोकसभा चुनाव हार गए.
उस चुनाव में आरएलडी शून्य पर सिमट गई थी.
जाट और मुस्लिम समुदाय के बीच खाई का सबसे ज्यादा नुकसान आरएलडी को उठाना पड़ा.
आरएलडी प्रमुख एनडीए के साथ जाने के बावजूद अपनी धर्मनिरपेक्ष पहचान बनाना चाहते हैं.
उनकी पार्टी किसानों की पार्टी रही है.
पश्चिम यूपी में निश्चित तौर जाट समुदाय सबसे बड़ा किसान समुदाय है.
लेकिन, इस इलाके में अच्छी संख्या में मुस्लिम समुदाय भी किसानी से जुड़ा है.
मुस्लिम समुदाय का एक तबका आज भी जयंत को वोट देता है.
इसी मुस्लिम वोटर्स को साधने के लिए जयंत कहीं न कहीं योगी सरकार के फैसले का विरोध कर रहे हैं.
वह जाट और मुस्लिम समुदाय का एक वोटबैंक तैयार करना चाहते हैं.
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