Railway Minister Ashwini Vaishnav: रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव आज सदन में बजट की चर्चा के दौरान बोलते हुए विपक्ष पर कटाक्ष करते नजर आए.
वे रेलवे को लेकर बात कर रहे थे कि तभी विपक्ष हंगामा करने लगा,
Railway Minister Ashwini Vaishnav ने कहा कि हम आपकी तरह रील बनाकर दिखाने वाले लोग नहीं हैं.
काम करने वाले लोग हैं.ये क्या तरीका है, कुछ भी बीच में बोल देते हैं.
बता दें कि रेलवे की सुरक्षा को लेकर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों पर ‘झूठ की दुकान’ चलाने का आरोप लगाते हुए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बृहस्पतिवार को कहा कि रेलवे में सुरक्षा की ‘कवच’ प्रणाली के
आधुनिक संस्करण को देश के प्रत्येक किलोमीटर रेल नेटवर्क पर लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी.
रेल मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदान की मांगों पर लोकसभा में पिछले दो दिन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए
वैष्णव ने यह भी बताया कि रेलगाड़ियों में सामान्य डिब्बों की बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए
करीब ढाई हजार सामान्य कोच के उत्पादन का विचार सरकार ने किया है,
50 और अमृत ट्रेन के निर्माण का फैसला लिया गया है
तथा कम दूरी वाले दो शहरों के बीच वंदे मेट्रो चलाई जाएंगी.
उन्होंने कहा कि ट्रेनों की सुरक्षा के लिए स्वचालित रेलगाड़ी सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली दुनिया के अधिकतर देशों में 1970 और 1980 के दशक में लगाई गई थी,
लेकिन ‘‘दुर्भाग्य की बात है कि कांग्रेस के 58 साल के कार्यकाल में और 2014 से पहले तक भारत के एक भी किलोमीटर रेलवे नेटवर्क पर यह प्रणाली नहीं लग पाई.”
उन्होंने कहा, ‘‘ हम मानते हैं कि कांग्रेस के समय रेलवे में कई प्रयोग किए गए,
लेकिन जिस संवेदना के साथ या जिस भावना से काम होना चाहिए, नहीं किया गया.”
पश्चिम बंगाल के कुछ सदस्यों द्वारा ममता बनर्जी के रेल मंत्री रहने के दौरान लागू ‘टक्कर रोधी उपकरण’ प्रणाली का उल्लेख किए जाने पर वैष्णव ने कहा कि 2006 में देश के करीब 1500 किलोमीटर रेल मार्ग पर यह प्रणाली लगाई गई
. उन्होंने कहा, ‘‘दुर्भाग्य से इसका कोई सुरक्षा प्रमाणपत्र नहीं था और 2012 में इसे हटा दिया गया.
काम करने की जैसी पद्धति, रेलवे में जैसी गंभीरता होनी चाहिए थी, तब नहीं थी, लेकिन आज है.”
विपक्ष के कुछ सदस्य इस पर आपत्ति जताते देखे गए.
रेल मंत्री ने कहा, ‘‘मैं यहां राजनीति नहीं करना चाहता, तथ्यों को सबके सामने स्पष्ट रूप से रखना चाहता हूं.”
उन्होंने कहा कि 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार बनने के बाद ‘कवच’ प्रणाली के बारे में विचार किया गया और 2016 में इसे लागू करने का निर्णय ले लिया गया.
वैष्णव ने कहा कि 2019 में ‘कवच’ के लिए सबसे उच्चतम स्तर के प्रमाणपत्र को प्राप्त कर लिया गया जिसे प्राप्त करने की एक कठिन प्रक्रिया है.
उन्होंने कहा, ‘‘कोविड के बावजूद 2020 और 2021 में इसके आगे के परीक्षण हुए और 2022 में 3000 किलोमीटर रेल नेटवर्क की परियोजना में कवच का क्रियान्वयन किया गया
और इस दौरान काफी कुछ सीखने को मिला.
सभी बातों को ध्यान में रखते हुए 17 जुलाई 2024 को कवच का संस्करण 4.0 स्वीकृत किया गया है.
तथा छह विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में इसे शामिल किया गया है.”
उन्होंने कहा कि इतने परिश्रम के बाद 9000 किलोमीटर रेलमार्ग के लिए निविदा की प्रक्रिया चल रही है.
वैष्णव ने कहा कि भारत में रेलवे का करीब 70 हजार किलोमीटर का नेटवर्क है.
उन्होंने कहा कि इससे आधे नेटवर्क के आकार वाले देशों ने एटीपी प्रणाली को लागू करने में करीब 20 साल लगाए.
उन्होंने कहा, ‘‘ मैं भरोसा दिलाना चाहूंगा कि कवच को लागू करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे.
दिन रात लगकर और जी-जान लगाकर पूरे नेटवर्क पर और प्रत्येक किलोमीटर रेलमार्ग पर इसे लगाने का पूरा का पूरा प्रयास करेंगे.’