Jama Masjid Survey Dispute: संभल में जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर हिंसा,तीन लोगों की मौत

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Jama Masjid Survey Dispute

Jama Masjid Survey Dispute:संभल में आज सुबह उस समय अफरातफरी मच गई जब मुगलकालीन जामा मस्जिद के कोर्ट के आदेश पर हुए सर्वेक्षण के कारण स्थानीय लोगों और पुलिस के बीच हिंसक झड़पें हुईं, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई.

पथराव में 30 से ज्यादा पुलिस वाले घायल हुए.

यह मस्जिद एक विवादित कानूनी लड़ाई के केंद्र में है,

क्योंकि दावा किया जाता है कि इसे एक हिंदू मंदिर के स्थान पर बनाया गया था.

Jama Masjid Survey Dispute:पुलिस के अनुसार, हिंसा तब शुरू हुई जब एक “एडवोकेट कमिश्नर” के नेतृत्व में सर्वेक्षण दल ने अपना काम शुरू किया और मस्जिद के पास भीड़ जमा हो गई.

भीड़ में लगभग एक हजार लोग शामिल हो गए,

जिन्होंने पुलिस को मस्जिद में घुसने से रोकने की कोशिश की.

भीड़ में से कुछ लोगों ने मौके पर तैनात पुलिस कर्मियों पर पत्थर फेंके.

दस से ज़्यादा वाहनों को आग के हवाले कर दिया.

पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया.

पुलिस ने कहा कि इसके बाद अफ़रा-तफ़री मच गई.

जामा-मस्जिद में सर्वे के दौरान गोलीबारी में तीन लोगों की मौत हो गई.

पथराव और आगजनी के दौरान सीओ अनुज चौधरी के पैर में गोली लगी.

संभल के एसएचओ के पैर में चोट लगी है.

एसपी और डीएम भी पत्थरबाजी में घायल हुए हैं.

30 से ज्यादा पुलिस वाले पथराव में घायल हुए हैं.

कमिश्नर ने संभल में शाही जामा मस्जिद पर हुए बवाल में तीन लोगों की मौत होने की पुष्टि की है.

कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं.

पुलिस ने करीब 15 लोगों को पुलिस गिरफ्तार किया है जिनमें 3 महिलाएं भी शामिल हैं.

मुरादाबाद के कमिश्नर आंजनेय सिंह ने बताया कि तीन गुटों की गोलीबारी में तीन लोगों की मौत हुई है.

कई पुलिस कर्मी भी घायल हैं.

संभाल में गोलीबारी में मृत दो लोगों की पहचान बिलाल अंसारी और नईम अहमद के रूप में हुई है.

एक याचिका के बाद शुरू की गई प्रक्रिया के तहत आज सुबह 7:30 बजे यह सर्वेक्षण शुरू हुआ था.

याचिका में दावा किया गया है कि जहां अब मस्जिद है, वहां कभी मंदिर हुआ करता था.

मंगलवार को इसी तरह का सर्वेक्षण किए जाने के बाद से संभल में तनाव बढ़ रहा था.

Jama Masjid Survey Dispute:याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि “बाबरनामा” और “आइन-ए-अकबरी” जैसे ऐतिहासिक ग्रंथों में 1529 में मुगल सम्राट बाबर द्वारा मंदिर के विनाश का दस्तावेजीकरण किया गया है.

सर्वेक्षण के समर्थकों का तर्क है कि यह ऐतिहासिक सत्य को उजागर करने में एक आवश्यक कदम है,

जबकि विरोधी इसे एक उकसावे के रूप में देखते हैं.

वे इसे पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के तहत धार्मिक स्थलों की पवित्रता का उल्लंघन बताते हैं.

संभल के एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई ने बताया कि सर्वे के विरोध में भीड़ ने जानबूझकर पुलिस फोर्स को टारगेट किया. उनकी पहचान करके उन पर NSA लगेगा.

विश्नोई ने कहा, “भीड़ में शामिल कुछ उपद्रवियों ने पुलिस दल पर पथराव किया.

पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए हल्का बल प्रयोग किया और आंसू गैस के गोले छोड़े.

हिंसा में शामिल लोगों की पहचान की जाएगी और कार्रवाई की जाएगी.”

जिला मजिस्ट्रेट राजेंद्र पेसिया ने कहा कि,

घटना के सिलसिले में करीब दस लोगों को हिरासत में लिया गया है.

ऑनलाइन प्रसारित हो रहे वीडियो में कथित तौर पर मस्जिद पर पथराव होता दिख रहा है.

आसपास खड़ी कई गाड़ियों को आग लगाई जा रही है.

बवाल के बावजूद अधिकारियों ने तय समय पर सर्वेक्षण पूरा किया.

वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया कि सर्वेक्षण दल ने न्यायालय के निर्देशानुसार वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी के साथ-साथ घटनास्थल की विस्तृत जांच की.

सर्वेक्षण रिपोर्ट 29 नवंबर तक पेश की जानी है.

इस घटना को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार पर

हाल के उपचुनावों में गड़बड़ी के आरोपों से ध्यान हटाने के लिए अशांति फैलाने का आरोप लगाया.

समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने दावा किया, “संभल में एक गंभीर घटना हुई.

चुनाव के बारे में चर्चा को बाधित करने के लिए सुबह जानबूझकर एक सर्वेक्षण दल भेजा गया था.

इसका उद्देश्य अराजकता पैदा करना था ताकि चुनावी मुद्दों पर कोई बहस न हो सके.”

सपा के सांसद जिया उर रहमान बर्क ने भी पूजा स्थल अधिनियम, 1991 का हवाला देते हुए सर्वेक्षण की आलोचना की.

बर्क ने कहा, “संभल की जामा मस्जिद एक ऐतिहासिक स्थल है.

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि धार्मिक स्थल 1947 में जिस स्थिति में थे, उसे बरकरार रखा जाना चाहिए.”

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