Paush Purnima :पौष पूर्णिमा से संगम तट पर महाकुंभ शुरु

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Paush Purnima

Paush Purnima :पौष पूर्णिमा का सनातन धर्म में काफी महत्व है. पौष मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को पौष पूर्णिमा कहा जाता है.

पौष पूर्णिमा स्नान, दान और तर्पण के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण कही गई है.

मान्यता है कि इस दिन भगवान सत्यनारायण के लिए व्रत किया जाता है

और पवित्र नदियों में स्नान करके तर्पण किया जाता है.

इस दिन जातक भगवान सत्यनारायण की पूजा करके उनकी व्रत कथा सुनते हैं जिससे अक्षय फल की प्राप्ति होती है.

इस दिन प्रदोष काल में मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है

और चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है.

Paush Purnima:इस बार की पौष पूर्णिमा इसलिए भी खास है क्योंकि बारह साल बाद सनातन धर्म का सबसे बड़ा समागम यानी महाकुंभ मेला (Maha Kumbh Mela)भी इसी दिन से शुरू होने जा रहा है.

पौष पूर्णिमा के दिन ही प्रयागराज में संगम तट पर महाकुंभ मेले की शुरुआत होगी

और इसी दिन पहला अमृत स्नान (Amrit Snan)भी होगा.

साल 2025 में पहली पौष पूर्णिमा 13 जनवरी को पड़ रही है.

हिंदू पंचांग के अनुसार पौष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा की तिथि 13 जनवरी यानी सोमवार के दिन सुबह 5 बजकर 3 मिनट से आरंभ हो रही है

और पौष पूर्णिमा तिथि का समापन अगले दिन यानी मंगलवार को सुबह 3 बजकर 56 मिनट पर होगा.

उदया तिथि के अनुसार पौष पूर्णिमा का व्रत और स्नान-दान 13 जनवरी को किया जाएगा.

पौष पूर्णिमा पर हो रहा है महाकुंभ का शुभारंभ

पौष पूर्णिमा से ही प्रयागराज में आयोजित हो रहे महाकुंभ मेले का भी आगाज हो रहा है.

महाकुंभ मेला 12 साल में एक बार आयोजित होता है.

प्रयागराज में संगम तट पर जहां गंगा, यमुना और सरस्वती नदी का पवित्र संगम होता है,

उसी तट पर महाकुंभ मेला आयोजित होता है.

इस मेले में करोड़ों श्रद्धालू भाग लेते हैं

और पवित्र त्रिवेणी संगम पर स्नान करते हैं.

पौष पूर्णिमा पर अमृत स्नान (Paush Purnima Amrit Snan)

अमृत स्नान जिसे अब तक शाही स्नान कहा जाता था, महाकुंभ मेले में होने वाला विशेष स्नान होता है.

इस दौरान अखाड़ों के स्नान होते हैं. महाकुंभ का पहला अमृत स्नान भी पौष पूर्णिमा के दिन ही किया जाएगा.

इस दिन ब्रह्म मुहूर्त के समय स्नान के मुहूर्त को सबसे खास कहा गया है.

पौष पूर्णिमा के दिन अमृत स्नान का शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 27 मिनट से 6 बजकर 21 मिनट तक है.

यानी यही वो समय है जब अखाड़े और श्रद्धालु संगम तट पर पवित्र नदियों के जल में पहले अमृत स्नान की डुबकी ले सकेंगे.

पौष पूर्णिमा के दिन ही स्नान का दूसरा शुभ मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त है

जो दोपहर के समय 12 बजकर 9 मिनट से 12 बजकर 51 मिनट तक रहेगा.

इस बार पौष पूर्णिमा के दिन कई शुभ योग बन रहे हैं.

पौष पूर्णिमा के दिन रवि योग रहेगा जो सूर्य देव की कृपा लाता है.

कहते हैं कि इस योग में किया गया स्नान, दान और तर्पण करने पर सभी तरह के दोष जीवन से मिट जाते हैं.

पौष पूर्णिमा पर रवि योग सुबह 7 बजकर 15 मिनट से आरंभ हो रहा है

और इसका समापन सुबह 10 बजकर 38 मिनट पर होगा.

पौष पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने पर कुंडली में चंद्र दोष मिट जाता है.

इस दिन चंद्रोदय शाम को 4 बजकर 5 मिनट पर हो रहा है.

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