Reservation in university पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में 2017 में दिया था फैसला
नई दिल्ली:LNN:Reservation in university पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और यूजीसी की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया.
विश्वविद्यालय में टीचरों की नियुक्ति में आरक्षण विभागीय आधार पर ही लागू होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और यूजीसी की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया .
इसके बाद अब विश्वविद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति में आरक्षण विश्वविद्यालय आधार पर लागू नहीं होगा.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस यू यू ललित और जस्टिस इंदिरा बनर्जी की कोर्ट ने कहा है कि याचिकाओं में जो आधार दिए गए हैं,
उन पर कोर्ट पहले से ही विचार कर चुका है. कोर्ट को अपने 22 जनवरी के फैसले में कोई त्रुटि नजर नहीं आती.
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22 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले को सही ठहराया था.
घट सकती हैं अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग की नियुक्तियां
इलाहाबाद हाई कोर्ट में 2017 में फैसला दिया था.
जिसमें केंद्रीय विश्वविद्यालय में टीचरों की नियुक्ति में आरक्षण विश्वविद्यालय के आधार पर न होकर विभाग के आधार पर होगा.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा फंडेड विश्वविद्यालयों में
अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग की नियुक्तियां घट सकती हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले को सही ठहराया
जिसमें शिक्षकों की नियुक्ति में दिए जाने वाले आरक्षण के लिए विभाग एक यूनिट के तौर पर माना जाएगा न कि विश्वविद्यालय.
हाई कोर्ट के फैसले को केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
जिसे सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस यू यू ललित की बेंच ने खारिज कर दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कैसे एक डिपार्टमेंट के प्रोफेसरों की तुलना दूसरे से होगी.
अलग-अलग विभाग के प्रफेसर का डिपार्टमेंट चेंज नहीं हो सकता.
केंद्र की ओर से अडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने कहा था कि विभाग को एक यूनिट मानने से कई विषमता हो जाएगी
लेकिन अदालत इसे संतुष्ट नहीं हुआ और अर्जी खारिज कर दी.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र सरकार और यूजीसी ने रिव्यू पिटिशन दाखिल की जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी.