Share market हफ्ते के पहले दिन की शुरुआत खराब रही और सेंसेक्स 450 अंक से ज्यादा नीचे आ चुका है
नई दिल्ली:LNN:Share market के लिए सोमवार का दिन अच्छा नहीं रहा
बाजार गिरावट के साथ खुला, सेंसेक्स 300 पॉइंट नीचे और निफ्टी 61 अंक नीचे था.
पहले कारोबारी दिन बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का बेंचमार्क इंडेक्स, सेंसेक्स करीब 450 अंकों तक लुढ़क गया.
दिन बीतने के साथ गिरावट बढ़ती गई और सेंसेक्स 450 अंक से ज्यादा फिसल गया
मार्च के आखिरी हफ्ते के पहले ही दिन सोमवार को बाजार में हाहाकार मचा हुआ है.
इसमें सेंसेक्स और निफ्टी दोनों की शुरुआत गिरावट के साथ हुई.
सोमवार को सेंसेक्स जहां 355.70 अंक टूटकर 37,808.91 पर बंद हुआ
वहीं निफ्टी 102.65 अंकों की गिरावट के साथ 11,354.25 पर बंद हुआ.
Share market मार्केट खुलने के बाद से अब तक सेंसेक्स 450 अंक से ज्यादा नीचे, वहीं निफ्टी भी 121 अंक से नीचे ट्रेड कर रहा है.
भारत के साथ-साथ विदेशी बाजारों की स्थिति भी अच्छी नहीं.
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वैश्विक अर्थव्यवस्था की खराब हालत की आशंका के बीच अमेरिकी शेयर बाजार में निवेशकों ने भारी बिकवाली की.
जिसका असर भारत समेत अन्य एशियाई बाजारों पर भी देखने को मिला.
वैश्विक स्तर पर एशियाई बाजारों में कारोबार के दौरान हॉन्ग कॉन्ग का हैंग सेंग दो प्रतिशत, जापान का निक्की 3.14 प्रतिशत, चीन का शंघाई कंपोजिट 1.37 प्रतिशत,
सिंगापुर का स्ट्रेट्स टाइम्स 1.39 प्रतिशत और ताईवान का शेयर बाजार 1.48 प्रतिशत की गिरावट में चल रहा था.
सभी जगहों की मार्केट क्रैश होने के अलग-अलग कारण सामने आ रहे हैं.
इसमें पहला कारण ब्रेक्जिट समझौते को लेकर स्थिति का साफ न होना है.
दो बार असफल होने के बाद ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टरीजा मे तीसरी कोशिश करने वाली हैं जिससे इसे संसद में पास करवाया जा सके.
Share market मार्केट को डर है कि अब आगे क्या होगा.
सांसद दो बार इस समझौते को रद्द कर चुके हैं.
कोई सौदा नहीं होने की सूरत में ब्रिटेन 12 अप्रैल को यूरोपीय संघ से बाहर हो जाएगा.
सोमवार को बिकवाली की ‘आंधी’ की वजह से अमेरिका के स्टॉक एक्सचेंज की हालत पस्त हो गई.
3 जनवरी के बाद उन्होंने पहली बार एक दिन में इतना नुकसान देखा था.
दरअसल, पिछले दिनों यूएस फेडरल रिजर्व ने आंकड़े जारी किए थे.
इनके मुताबिक, लॉन्ग टर्म की ब्याज दर शॉर्ट टर्म रेट्स से कम बैठ रही थी.
इससे लोगों को मंदी का डर सताने लगा और बिकवाली हुई.
भारतीय रुपया सोमवार को 21 पैसे तक टूट गया.
इससे पहले यह शुक्रवार को यूएस डॉलर के मुकाबले 12 पैसे कमजोर हुआ था.
हालांकि, रुपया इमर्जिंग मार्केट की बेस्ट करंसी है लेकिन गिरावट ने निवेशकों का भरोसा डगमगाया है.
उम्मीद से कम आर्थिक वृद्धि का अनुमान लगाते हुए फिच रेटिंग्स अगले वित्त वर्ष के लिए जीडीपी के अनुमान में कटौती कर चुका है.
फिच ने 2019-20 के लिए भारत के जीडीपी अनुमान को 7 फीसद से घटाकर 6.8 फीसद कर दिया है.