Alopecia लड़कियों में बाल गिरने की बीमारी एलोपीशिया को लेकर काफी चर्चा है. इस विषय पर बनी एक फिल्म ‘गॉन केश’ भी इसी हफ्ते रिलीज हुई है.
हेल्थ डेस्क,लोक हस्तक्षेप
Alopecia लड़कियों में बाल गिरने की बीमारी एलोपीशिया को लेकर काफी चर्चा है.
दरअसल हमारे समाज में लड़कियों के काले-घने लंबे बाल उनकी खूबसूरती का राज माने जाते हैं.
ऐसे समाज में उस लड़की की हालत क्या होती होगी, जिसके सिर से सारे बाल गायब हो जाएं Alopecia .
फिल्म ‘गॉन केश’ के रिलीज होने के बाद इसे लेकर युवाओं में जागरुकता आई है और कई युवा इस बारे में खुलकर बात कर रहे हैं.
हमेशा स्कार्फ पहनती हैं. वह एक कॉन्फिडेंट टीचर हैं और बच्चों की फेवरिट हैं.
हालांकि, पांच साल पहले तक वह घर से निकलने और मेहमानों के सामने जाने से कतराती थीं, क्योंकि उनके सिर के सारे बाल गिर चुके थे.
करीब छह लड़कों ने बाल न होने की वजह से उनसे शादी करने से मना कर दिया था.
बीएड करने के बाद टीचिंग की जॉब तक उन्हें इसी वजह से छोड़नी पड़ गई थी.
कई साल इस दर्द में गुजारने के बाद, उन्होंने खुद को संभाला और सोचा कि मेरे बालों के जाने से जिंदगी नहीं रुक सकती.
उन्होंने डर्मटॉलजिस्ट से कंसल्ट किया और एक अच्छी विग बनवाई.
अब वह कभी विग पहनती हैं, तो कभी गंजेपन की परवाह किए बिना स्कार्फ पहनती हैं. वह अपनी जिंदगी को खुलकर जी रही हैं.
मुस्कान (बदला हुआ नाम) स्कूल टाइम से एलोपीशिया की शिकार हैं. पहले बाल तेजी से झड़ रहे थे और कुछ ही वक्त बाद उनके सिर पर बालों की एक पट्टी ही बची.
इसके चलते स्कूल कॉलेज में उसे हंसी का पात्र बनना पड़ा. यहां तक मुस्कान के बॉयफ्रेंड ने भी उनसे दूरी बनानी शुरू कर दी.
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Alopecia का काफी इलाज कराने के बाद वह उन्होंने ट्रीटमेंट लेना शुरू किया
उनसे बालों की फिक्र छोड़कर खुलकर जीने को कहा गया और उन्होंने ऐसी कोशिश भी की.
उनके इस पॉजिटिव रवैये से मेडिसिन ने अपना काम तेजी से किया और उन्हें फायदा होने लगा.
आज वह अपने पति के साथ खुशहाल जिंदगी जी रही हैं और ट्रीटमेंट करा रही हैं.
Alopecia वैसे तो गंजेपन के पीड़ितों में पुरुषों की संख्या ज्यादा होती है, लेकिन लड़कियों में इसके प्रति डर बहुत ज्यादा होता है.
यह कहना है एक्सपर्ट बृजेश मिश्रा का. डॉ. बृजेश कहते हैं कि हमारे पास 20 से 40 साल की उम्र की दो से तीन महिलाएं हफ्ते में इस समस्या को लेकर आती हैं.
खासतौर पर शादी से पहले लड़कियों में इस प्रॉब्लम को लेकर स्ट्रेस ज्यादा देखने को मिलता है.
स्कार एलोपीशिया से ग्रसित गर्ल्स भी उस पैच को खत्म करने के लिए सर्जरी का सहारा ले रही हैं.
इलाज के साथ ही ऐसे मरीजों को तनाव न लेने की सलाह दी जाती है, क्योंकि तनाव लेने से समस्या का हल नहीं निकलता बल्कि वह बढ़ती है.
लड़कियों को अपने बालों की बहुत चिंता सताती है.
हमारे पास महीने में ढाई सौ से तीन सौ महिलाएं इस तरह की समस्याएं लेकर आती हैं.
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यह कहना है सीनियर कंसल्टेंट डर्मटॉलजिस्ट अमित मदान का.
अमित कहते हैं कि इनमें 80 प्रतिशत मामले मेडिसन से ठीक किए जाते हैं.
20 प्रतिशत लड़कियां हेयर ट्रांसप्लांट कराती हैं.
वैसे हेयर ट्रांसप्लांट में मेल्स की संख्या ज्यादा है.
कई लड़कियों में तो अपने बालों को लेकर इतना स्ट्रेस होता है कि उन्हें लगता है कि अगर बाल नहीं हैं, तो लाइफ में कुछ बचा ही नहीं.
कोई स्कूल में मजाक उड़ाने की बात बताती है, तो किसी का मंगेतर ही उसे छोड़कर चला गया है.
लड़कियों पर सोसायटी का बहुत प्रेशर होता है.
यही वजह है कि हम सबसे पहले उनकी काउंसलिंग करते हैं.
कुछ लड़कियों को इतना सदमा लग जाता है कि उनकी कई बार काउंसलिंग करनी पड़ती है.
इस हफ्ते रिलीज फिल्म ‘गॉन केश’ एलोपेशिया बीमारी पर आधारित है.
इस फिल्म में बृजेंद्र काला, विपिन शर्मा और श्वेता त्रिपाठी के अलावा कई स्टार्स हैं.
इस बीमारी पर बात करते हुए बृजेंद्र काला ने कहा, ‘बहुत ही आम लेकिन मौजू है हमारी फिल्म का विषय.
हमारी फिल्म की कहानी यही बताती है कि
लड़की के सिर पर बाल नहीं रहे, तो उसकी जिंदगी इससे खत्म नहीं होती है.
उसकी पहचान उसके नाम और काम से होती है न कि बालों से.’
Alopecia बाल जाने से जिंदगी खत्म नहीं होती है. यही दिखाने की हमने कोशिश की है.’
वहीं विपिन शर्मा ने कहा, ‘बाल गिरने की वजह से लड़कियों को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है.
फिल्म के जरिए हम यही दिखाना चाहते हैं.
इसकी वजह से लड़की ही नहीं बल्कि उसके पिता को भी समाज से लड़ना पड़ता है.