Sushma Swaraj को Diabetes से हुई किडनी और दिल की बीमारी

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Sushma Swaraj;डायबीटीज के मरीजों में किडनी की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है.सिर्फ किडनी ही नहीं, डायबीटीज से कई तरह की बीमारियां भी होती हैं जो जानलेवा साबित हो सकती हैं.

हेल्थ डेस्क,लोक हस्तक्षेप

Sushma Swaraj का मंगलवार देर रात दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया.

Sushma Swaraj को किडनी और डायबीटीज की समस्या थी.

2016 में उनका किडनी ट्रांसप्लांट भी हुआ था.तब से उनको स्वास्थ्य समस्या बनी हुई थी.

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स्वास्थ्य के चलते ही उन्होंने 2019 में लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा था,

डायबीटीज के मरीजों में किडनी की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है.

सिर्फ किडनी ही नहीं, डायबीटीज से कई तरह की बीमारियां भी होती हैं जो जानलेवा साबित हो सकती हैं.

बढ़े हुए ब्लड शुगर का शरीर पर काफी बुरा असर होता है, यह हार्ट, किडनी, आंख समेत कई अंगों के लिए खतरनाक होता है.

विशेषज्ञों का कहना है कि लंबे समय से डायबीटीज से पीड़ित करीब 40 प्रतिशत मरीजों को डायबीटिक नेफरोपथी हो जाती है.

समय पर पता न चलने से यह गंभीर रूप ले सकती है.

क्या होता है नेफरोपथी?
नेफरोपथी किडनी की एक गंभीर बीमारी है जो डायबीटीज के 40 प्रतिशत मरीजों में आगे चलकर हो जाती है.

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टाइप 1 और टाइप 2 दोनों प्रकार के डायबीटीज के मरीजों को इस नेफरोपथी का खतरा बना रहता है.

डायबीटिक नेफरोपथी में किडनी के काम करने की क्षमता कम हो जाती है.

डीयबीटीज से किडनी की रक्त धमनियां (ब्लड वेसल) पर असर पड़ता है और किडनी ठीक से काम नहीं करती है.

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ऐसे में किडनी ठीक से शरीर से नुकसान देह पदार्थ को फिल्टर करने में सक्षम नहीं होती है.

ऐसे में इससे कई अन्य बीमारियों का भी खतरा बढ़ जाता है. कई बार ट्रांसप्लांट तक की नौबत आ जाती है.

बढ़े हुए शुगर लेवल का किडनी पर बुरा असर पड़ता है.

यह और भी खतरनाक इसलिए हो जाता है कि किडनी की बीमारी में शुरुआत में दर्द नहीं होता है.

ऐसे में यह बीमारी अकसर अडवांस स्टेज में ही पकड़ में आती है. इसलिए डायबीटीज के मरीजों को किडनी की जांच कराते रहना चाहिए.

समय पर पता चल जाए तो नेफरोपथी से बचा जा सकता है या इसे गंभीर रूप लेने से रोका जा सकता है.

डायबीटीज के मरीजों को हार्ट की बीमारियों का खतरा ज्यादा होता है.

खासकर, अगर अगर बीपी और कलेस्ट्रॉल भी बढ़ा हुआ हो तो हार्ट स्ट्रोक का खतरा ज्यादा हो जाता है.

डीयबीटीज के मरीजों के लिए जरूरी है कि वे अपना कम से कम हर 6 महीने पर वे अपने बीपी की जांच कराएं.

अगर आपको हाई बीपी है और इसकी दवा लेते हैं तो आपको समय-समय पर बीपी चेक कराते रहना चाहिए.

शुगर के लिए तीन-तीन महीने पर hbA1c की जांच करवाते रहें.

डॉक्टर और डायटीशन की सलाह से इसे लिमिट में लाने की कोशिश करें.

समय-समय पर कलेस्ट्रॉल की भी जांच कराएं.

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