SC Ayodhya Verdict: विवादित ढांचे की जमीन हिंदुओं को

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SC Ayodhya Verdict: अयोध्या भूमि विवाद को लेकर पांच जजों की पीठ ने शनिवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड विवादित ढांचे पर अपना एक्सक्लूसिव राइट साबित नहीं कर पाया. कोर्ट ने विवादित ढांचे की जमीन हिंदुओं को देने का फैसला सुनाया, तो मुसलमानों को दूसरी जगह जमीन देने के लिए कहा है.

नई दिल्ली:LNN:SC Ayodhya Verdict अयोध्या भूमि विवाद को लेकर पांच जजों की पीठ ने शनिवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड विवादित ढांचे पर अपना एक्सक्लूसिव राइट साबित नहीं कर पाया.

कोर्ट ने विवादित ढांचे की जमीन हिंदुओं को देने का फैसला सुनाया, तो मुसलमानों को दूसरी जगह जमीन देने के लिए कहा है.

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कोर्ट ने साथ ही कहा कि इसके लिए केंद्र सरकार तीन महीने में योजना बनाए.

कोर्ट ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन मिलेगी.फिलहाल अधिकृत जगह का कब्जा रिसीवर के पास रहेगा.

पांचों जजों की सहमति से फैसला सुनाया गया है. फैसला पढ़ने के दौरान पीठ ने कहा कि ASI रिपोर्ट के मुताबिक नीचे मंदिर था.

CJI ने कहा कि ASI ने भी पीठ के सामने विवादित जमीन पर पहले मंदिर होने के सबूत पेश किए हैं.

CJI ने कहा कि हिंदू अयोध्या को राम जन्मस्थल मानते हैं. हालांकि, ASI यह नहीं बता पाया कि मंदिर गिराकर मस्जिद बनाई गई थी.

मुस्लिम गवाहों ने भी माना कि वहां दोनों ही पक्ष पूजा करते थे.

रंजन गोगोई ने कहा कि ASI की रिपोर्ट के मुताबिक खाली जमीन पर मस्जिद नहीं बनी थी.

साथ ही सबूत पेश किए हैं कि हिंदू बाहरी आहते में पूजा करते थे. साथ ही CJI ने कहा कि सूट -5 इतिहास के आधार पर है जिसमें यात्रा का विवरण है.

सूट 5 में सीता रसोई और सिंह द्वार का जिक्र है. सुन्नी वक्फ बोर्ड के लिए शांतिपूर्ण कब्जा दिखाना असंभव है.

CJI ने कहा कि 1856-57 से पहले आंतरिक अहाते में हिंदुओ पर कोई रोक नहीं थी.मुसलमानों का बाहरी आहते पर अधिकार नहीं रहा.

जस्टिस रंजन गोगोई की इस बेंच में उनके अलावा जस्टिस शरद अरविंद बोबडे, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एस अब्दुल नजीर शामिल हैं.

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं. यदि 17 नवंबर के पहले पुनर्विचार याचिका आती है तो इसे चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच ही सुनेगी.

लेकिन यदि यह पिटीशन इसके बाद आई तो अगले चीफ जस्टिस तय करेंगे कि रिव्यू पिटीशन पर सुनवाई के लिए मौजूदा पीठ में जस्टिस गोगोई की जगह पांचवा जज कौन होगा.

सुप्रीम कोर्ट यह भी तय करेगा कि रिव्यू पिटीशन पर सुनवाई की जाए या नहीं की जाए.

सवा सौ साल पहले बाबरी मस्जिद के दरवाज़े के पास बैरागियों ने राम चबूतरा बनाया था.

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1885 में महंत रघुबर दास की चबूतरे पर मंदिर बनाने की मांग, अदालत से ख़ारिज.

1949 में प्रदेश सरकार ने राम चबूतरे पर मंदिर बनाने की कोशिश की, कोशिश नाकाम.

1949 में ही 22-23 दिसंबर को ये संपत्ति कुर्क, वहां रिसीवर बिठा दिया गया.

साल 1950 में 16 जनवरी को गोपाल दास विशारद कोर्ट गए, सिर्फ़ पुजारी को पूजा की इजाज़त.

1959 में निर्मोही अखाड़े ने अदालत में अपना दावा पेश किया. 1961 में सुन्नी सेन्ट्रल वक़्फ़ बोर्ड अदालत पहुंचा, मस्जिद का दावा पेश किया.

1986 में 1 फ़रवरी को फ़ैज़ाबाद ज़िला जज ने ताला खुलवाया, सबको पूजा की इजाज़त दी.

1986 में कोर्ट के इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी बनाने का फ़ैसला.

1989 में वीएचपी के देवकीनंजन अग्रवाल ने रामलला की तरफ़ से मंदिर का केस किया.

1989 के नवंबर में मस्जिद से थोड़ी दूर पर राम मंदिर का शिलान्यास.

1990 में 25 सितंबर से सोमनाथ से अयोध्या तक की रथ यात्रा, 23 अक्टूबर को लालकृष्ण आडवाणी गिरफ़्तार.

इसके नतीजे में गुजरात, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और आंध्रप्रदेश में दंगे भड़के.

इस मामले में साल 1990 में कुछ कार सेवकों ने मस्जिद की गुंबद तोड़ी, भगवा फहराया, दंगे फिर भड़के.

1991 के जून महीने में लोकसभा चुनाव हुए और यूपी में बीजेपी की सरकार बनी.

1992 के नवंबर में कल्याण सिंह का अदालत में मस्जिद की हिफ़ाज़त का हलफ़नामा दिया.

1992 के 6 दिसंबर को लाखों कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद गिरा दी.

2003 में हाई कोर्ट ने विवादित स्थल की खुदाई कराई ताकि दावों का सच पता लगे.

2010 में 30 सितंबर को इलाहाबाद कोर्ट के लखनऊ खंडपीठ से विवादित ज़मीन का बंटवारा रामलला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को बराबर ज़मीन देना का फ़ैसला.

इलाहाबाद कोर्ट के लखनऊ खंडपीठ के फ़ैसले के ख़िलाफ़ सभी पक्ष सुप्रीम कोर्ट गए.
8 मार्च को कोर्ट ने इस मामले में तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति बनाई थी.

मध्यस्थता समिति में अध्यक्ष जस्टिस ख़लीफ़ुल्ला, श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू शामिल.

मध्यस्थता समिति ने अपनी अंतिम रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में जमा कर अपनी असमर्थता जताई.

कई पक्षों ने मध्यस्थता समिति से दोबारा बातचीत करने का आग्रह किया सुप्रीम कोर्ट से पक्षकारों को आपस में समझौता और मध्यस्थता समिति से बातचीत का विकल्प दिया.

भारत के मुख्य न्यायाधीश ने पहले 18 अक्टूबर तक सुनवाई पूरी करने की उम्मीद जताई थी.

इसके बाद प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि अब 17 अक्टूबर तक ही सभी पक्ष अपनी बहस पूरी करें.

अयोध्या में सुरक्षा और कड़ी की गई है. राम जन्मभूमि मंदिर की तरफ जाने वाले सारे रास्ते बंद कर दिए गए हैं.

अब वहां से सिर्फ़ पैदल गुज़रा जा सकेगा. सीएम योगी आदित्यनाथ ने हर जिले में एक कंट्रोल रूम बनाने और लखनऊ और अयोध्या में दो हेलीकॉप्टर तैयार रखने के आदेश दिए हैं.

पूरे यूपी में पुलिस दंगों से निपटने के लिए रिहर्सल कर रही है. टेंपरेरी जेलें बना दी गई हैं.

वहां जरूरत पड़ने पर गिरफ्तार लोगों को रखा जा सकेगा.अयोध्या में नाकेबंदी और सख़्त हो गई है.

राम जन्मभूमि मंदिर जाने वाले सारे रास्ते आज गाड़ियों के लिए सील कर दिए गए.

झगड़े वाली जगह के चारों तरफ 67 एकड़ जमीन पहले से केन्द्र सरकार के कब्ज़े और सेंट्रल फोर्सस की निगरानी में हैं.

अब उसकी तरफ जाने वाले रास्तों को गाड़ियों के लिए पूरी तरह बंद कर दिया गया है.

इसके साथ पूरे अयोध्या में पुलिस जनता के बीच जाकर उन्हें समझाने और हिफ़ाज़त का भरोसा दिलाने की कोशिश कर रही है.

जिस अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट सुनाएगा फैसला, जानें उसका इतिहास, अब तक क्या-क्या हुआ?

अयोध्या के सारे प्रमुख मंदिरों के आसपास बड़े पैमाने पर सिक्‍योरिटी लगा दी गई.

जिन जगहों पर सुरक्षा बढ़ाई गई है उनमें राम जन्मभूमि कॉम्प्लेक्स, हनुमानगढ़ी, दशरथ महल, कनक भवन, मंदिर निर्माण कार्यशाला राम की पैड़ी, कारसेवक पुरम, सरयू घाट वगैरह शामिल हैं.

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लेकिन प्रशासन का कहना है कि वहां सुरक्षा पूरी रहेगी लेकिन ज़िंदगी अपनी रफ़्तार से चलेगी. बाजार सब खुलेंगे और कोई पाबंदी नहीं रहेगी.

इस मामले में फैसला सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने सुनाया है.

पीठ में प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के साथ (CJI Ranjan Gogoi),जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ , जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर शामिल हैं.

सूत्रों के अनुसार CJI रंजन गोगोई की सुरक्षा को Z श्रेणी का कर दिया गया है.

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