Babri Masjid विध्वंस मामले में ट्रायल 31 अगस्त तक पूरा हो: सुप्रीम कोर्ट

0
180
Babri Masjid

Babri Masjid विध्वंस मामले में लालकृष्ण आडवाणी व अन्य के ख‍िलाफ ट्रायल 31 अगस्त तक पूरा हो:सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली:LNN:Babri Masjid विध्वंस मामले की साजिश का मामला:सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल को पूरा करने के लिए 31 अगस्त, 2020 तक का समय दिया.

कोर्ट ने कहा कि लखनऊ में सीबीआई की विशेष अदालत अगस्त अंत तक मुकदमे को पूरा करे और फैसला दे.

CBI कोर्ट अगस्त की समयसीमा का उल्लंघन ना करे. CBI कोर्ट को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाओं का उपयोग करना चाहिए.

यह भी पढ़ें:Liquor Online सुप्रीम कोर्ट ने फैसला देने से किया इनकार

भाजपा के दिग्गज नेताओं लालकृष्ण आडवाणी, एमएम जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह और अन्य के खिलाफ मामले में ट्रायल चल रहा है,

जिसे पूरा करने का समय सुप्रीम कोर्ट ने और बढ़ा दिया है.

स्पेशल जज एस के यादव ने सुप्रीम कोर्ट को चिट्ठी लिखकर और समय बढ़ाने की मांग की थी. 20 अप्रैल को ही 9 महीने की सीमा पूरी हो चुकी है.

19 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा के दिग्गज नेताओं लालकृष्ण आडवाणी, एमएम जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह और अन्य के खिलाफ Babri Masjid विध्वंस मामले की साजिश की सुनवाई कर रहे,

लखनऊ की सीबीआई कोर्ट के विशेष जज को निर्देश दिया था कि वो नौ महीने में ट्रायल पूरा कर फैसला सुनाएं.

पीठ ने 30 सितंबर को रिटायर हो रहे सीबीआई जज एसके यादव के कार्यकाल को भी ट्रायल पूरा होने तक बढ़ाने का आदेश जारी किया था.

फैसला सुनाते हुए जस्टिस आरएफ नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने निर्देश दिया था कि जज 6 महीने में सुनवाई पूरी करेंगे और तीन महीने में फैसला लिखकर सुनाएंगे.

दरअसल विशेष जज एसके यादव ने मई में लिखे एक पत्र में शीर्ष अदालत को सूचित किया था कि वह 30 सितंबर, 2019 को सेवानिवृत हो रहे हैं, जबकि इस ट्रायल को पूरा होने में अभी 6 महीने लगेंगे.

पीठ ने कहा था कि ये हाई प्रोफाइल मामला है और इस ट्रायल को उसी जज द्वारा पूरा किया जाना चाहिए.

यह भी पढ़ें:Handwara encounter में पांच शहीद, लश्कर कमांडर हैदर ढेर

19 अप्रैल, 2017 को जस्टिस पीसी घोष और जस्टिस आरएफ नरीमन की सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा आरोपमुक्त किए जाने के खिलाफ,

सीबीआई द्वारा दायर अपील की अनुमति देकर आडवाणी, जोशी, उमा भारती और 13 अन्य भाजपा नेताओं के खिलाफ साजिश के आरोपों को बहाल किया था.

संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी असाधारण संवैधानिक शक्तियों का प्रयोग करते हुए पीठ ने रायबरेली की एक मजिस्ट्रेट अदालत में लंबित अलग मुकदमे को भी स्थानांतरित किया.

यह भी पढ़ें:Dr Harsh Vardhan ने कहा कोरोना का नहीं हुआ कम्यूनिटी ट्रांसमिशन

इसे लखनऊ सीबीआई कोर्ट में आपराधिक कार्यवाही के साथ जोड़ दिया.

शीर्ष अदालत ने मामले में दो साल में दिन-प्रतिदिन सुनवाई कर ट्रायल को समाप्त करने का आदेश दिया था और कहा था कि विशेष जज का ट्रांसफर नहीं होगा.

पीठ ने कहा था कि एक आरोपी कल्याण सिंह को राजस्थान के राज्यपाल होने के नाते संवैधानिक प्रतिरक्षा प्राप्त है,

लेकिन जैसे ही वह पद त्यागते हैं तो उनके खिलाफ अतिरिक्त आरोप दायर किए जाएंगे.अब उनके खिलाफ भी ट्रायल चल रहा है.

Follow us on Facebook

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here