Rajasthan की सियासत की ‘जंग’ को हाईकोर्ट तक लेकर पहुंचे सचिन पायलट और कांग्रेस के अन्य बागियों ने उन्हें विधायक के तौर पर अयोग्य घोषित किए जाने के किसी कदम के खिलाफ हाईकोर्ट की शरण ली.
जयपुर:LNN: Rajasthan हाईकोर्ट में सचिन पायलट की ओर से वकील हरीश साल्वे और मुकुल रोहतगी पैरवी कर रहे हैं.
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने मामला डबल बेंच के सुपुर्द कर दिया है.
मामले की अगली सुनवाई कल यानी शुक्रवार को होगी.
विधानसभा अध्यक्ष को भेजी गई शिकायत में कांग्रेस ने पायलट और अन्य बागी विधायकों के खिलाफ संविधान की दसवीं अनुसूची के पैराग्राफ 2(1)(ए) के तहत कार्रवाई करने की मांग की है.
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इस प्रावधान के तहत अगर कोई विधायक अपनी मर्जी से उस पार्टी की सदस्यता छोड़ता है,
जिसका वह प्रतिनिधि बनकर विधानसभा में पहुंचा है तो वह सदन की सदस्यता के लिए अयोग्य हो जाता है.
साल 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस द्वारा अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद से ही सचिन पायलट नाराज चल रहे थे.
Rajasthan की 200 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के पास 107 और बीजेपी के पास 72 विधायक हैं.
यदि बागी विधायको को अयोग्य घोषित किया जाता है तो बहुमत साबित करने के लिए विधायकों की संख्या का आंकड़ा कम हो जाएगी.
इससे सीएम गहलोत की राह और आसान हो जाएगी क्योंकि उन्हें ‘सामान्य स्थिति’ की तुलना में और कम विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी.
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कांग्रेस के सूत्रों ने बताया कि सप्ताहांत में, प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) ने पायलट को तीन बार फोन किया लेकिन कोई समाधान नहीं निकल सका.
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कांग्रेस के सूत्रों ने बताया कि “सरकार के लिए खतरे का स्तर इस समय नीचे है.”
सीएम के तौर पर गहलोत के लिए अभी खतरे जैसी स्थिति नजर नहीं आ रही.
इस बात को गहलोत की ओर से पायलट पर निशाना साधने से भी समझा जा सकता है.
पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने भी कहा कि वह सुलह चाहता है.
सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी अभी भी पायलट को पार्टी में बनाए रखने के लिए उत्सुक हैं
और उन्होंने गहलोत को बयानबाजी कम करने का कहा है.
इससे पहले पायलट के प्रति सख्त रुख अपनाते हुए कांग्रेस ने उन्हें उप मुख्यमंत्री और राज्य कांग्रेस अध्यक्ष के पद से बर्खास्त कर दिया था.
उनके दो विश्वस्तों को भी मंत्री पद से हटा दिया गया था.