Poll strategist PK ने कहा कि TMC भले ही जीत गई है लेकिन हर पार्टी को चुनाव आयोग के रवैये पर आपत्ति करनी चाहिए. वह पक्षपात करता रहा.
नई दिल्ली:LNN: Poll strategist PK ने तृणमूल कांग्रेस की चुनावी रणनीति तैयार की थी. प्रशांत किशोर ने ऐलान किया कि अब वह चुनावी रणनीति नहीं बनाएंगे, वह इस पेशे को छोड़ रहे हैं.
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव (West Bengal Assembly Election Results 2021) के लिए मतगणना के अब तक सभी सीटों के रुझान सामने आ चुके हैं.
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रुझानों के अनुसार, ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) एक बार फिर बड़ी जीत दर्ज करने जा रही है. इस जीत के साथ ही ममता बनर्जी सत्ता पर काबिज होने की हैट्रिक लगाएंगी.
अभी तक मिले रुझानों के अनुसार, तृणमूल कांग्रेस को 200 से ज्यादा सीटें मिलने जा रही हैं.
TMC की चुनावी रणनीति प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने तैयार की थी. उन्होंने ऐलान किया कि अब वह चुनावी रणनीति नहीं बनाएंगे, वह इस पेशे को छोड़ रहे हैं.
Poll strategist PK ने कहा, ‘मैं जो करता हूं, अब उसे जारी नहीं रखना चाहता. मैंने काफी कुछ किया है. मेरे लिए एक ब्रेक लेने और जीवन में कुछ और करने का समय है. मैं इस जगह को छोड़ना चाहता हूं.’
राजनीति में फिर से वापसी की बात पर उन्होंने कहा, ‘मैं एक विफल नेता हूं. मैं वापस जाऊंगा और देखूंगा कि मुझे क्या करना है.’
उन्होंने बंगाल चुनाव के नतीजों पर कहा, ‘भले ही चुनावी नतीजे अभी एकतरफा दिख रहे हों लेकिन यह बेहद कड़ा मुकाबला था. हम बहुत अच्छा करने को लेकर आश्वस्त थे. BJP बड़े पैमाने पर दुष्प्रचार करने की कोशिश कर रही थी कि वे बंगाल जीत रहे हैं.’
Poll strategist Prashant Kishor ने कहा, ‘मोदी जी की लोकप्रियता का यह मतलब नहीं है कि बीजेपी हर चुनाव जीत जाएगी. BJP नेताओं ने 40 रैलियां कर लीं, इसका मतलब यह कतई नहीं था कि TMC हार जाएगी.’
उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान ममता बनर्जी की रैलियों में भी बहुत ज्यादा भीड़ आती थी, फिर भी वह 18 सीटें हार गई थीं, तो भीड़ का मतलब वोट नहीं होता.
वह मानते हैं कि BJP बेहद शक्तिशाली है लेकिन उसका अर्थ यह नहीं था कि BJP जीत जाएगी.’
Poll strategist PK प्रशांत किशोर ने कहा कि TMC भले ही जीत गई है लेकिन हर पार्टी को चुनाव आयोग के रवैये पर आपत्ति करनी चाहिए. वह पक्षपात करता रहा.
ममता बनर्जी की सबसे बड़ी ताकत उनका जनता के साथ जुड़ाव है. जिस तरह वह जनता से जुड़ जाती हैं, बहुत कम नेताओं को उस तरह करते देखा है.