sundar pichai , Lakshmi Mittal : कोरोना वायरस में भारत की चलती रहें सांसें, भारत की मदद के ल‍िए आगे आए दुनियाभर के भारतीय

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कोरोना वायरस

वॉशिंगटन:LNN: कोरोना वायरस के महाकहर से जूझ रहे भारत के लाखों लोगों के लिए विदेशों में रह रहे भारतीय उम्‍मीद की किरण बनकर उभरे हैं।

सुंदर पिचाई, लक्ष्‍मी निवास मित्‍तल जैसे दिग्‍गज उद्योगपति हों या आम भारतीय मूल के लोग,

हर व्‍यक्ति भारत के सांसों की डोर को थामने के लिए दिन-रात एक किए हुए है

ये भारतीय न केवल भारतीयों की जान बचाने के लिए ऑक्‍सीजन कंसट्रेटर्स जैसे चिकित्‍सा उपकरण भेज रहे हैं,

बल्कि अपनी सरकारों पर दबाव डाल रहे हैं कि वे भारत की मदद के लिए आगे आएं।

यही नहीं भारतीय मूल के लोग बड़ी संख्‍या में पैसे इकट्ठा कर रहे हैं और भारतीय कोरोना पीड़‍ितों की मदद कर रही संस्‍थाओं को दान दे रहे हैं।




हालांकि भारत में कोरोना वायरस की गंभीरता उनके प्रयासों में बाधा बन रही है लेकिन भारतीयों के हौसले बुलंद हैं।

पंजाब से अमेरिका के न्‍यूयॉर्क शहर में बसीं जसप्रीत राय सानराय इंटरनैशनल की मालकिन हैं जो ऑक्‍सीजन कंसट्रेटर्स बनाती है।

’30 हजार ऑक्‍सीजन कंसट्रेटर्स भारत को भेज देंगे’

जसप्रीत राय कहती हैं, ‘यह संभवत: हमारे कामगारों के लिए सबसे कठिन समय है।

राय ने बताया कि उनके 100 कर्मचारी दिन-रात एक किए हुए हैं और इस महीने के आखिर तक 30 हजार ऑक्‍सीजन कंसट्रेटर्स भारत को भेज देंगे.

उन्‍होंने कहा कि भारत के लोग अपनी सांसों को बचाने के लिए जद्दोजहज कर रहे हैं.

राय ने बताया कि उनकी कंपनी आमतौर पर हर साल 1500 ऑक्‍सीजन कंसट्रेटर्स का निर्यात करती रही है लेकिन भारत के संकट को देखते हुए उन्‍होंने अपना उत्‍पादन कई गुना बढ़ा दिया है.

राय जैसे लाखों भारतीय हैं जो पूरी दुनिया से भारत को मदद भेज रहे हैं.




भारत में इस समय कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने तबाही मचाई है और हर दिन करीब 4 लाख मामले सामने आ रहे हैं.

भारतीय मूल के लोग पैसे इकट्टा कर रहे हैं, अपनी सरकारों पर दबाव डाल रहे हैं ताकि भारत को जरूरी चिकित्‍सा उपकरण भेजे जाएं और लाखों जिंदगियों को बचाया जा सके.

असहाय महसूस कर रहे हैं भारतीय पर हौसले बुलंद

भारतीय मूल वेंकटेश शुक्‍ला कहते हैं, ‘भारतीयों को आज डॉक्‍टर और अस्‍पतालों की जरूरत है.

मैं पिछले तीन-चार दिन से यह पता लगाने की कोशिश कर रहा हूं मैं इस संकट में कैसे मदद कर सकता हूं.

लाखों भारतीयों की तरह से हम कुछ करना चाहते हैं। लेकिन तुरंत मदद करने वाला कोई हल नहीं ढूंढ सकते हैं.

‘ इस निराशा के बाद भी वेंकटेश के हौसले बुलंद हैं और वह अपने लोगों की मदद करना चाहते हैं.

इसी तरह से शिकागो में रह रहे एक अन्‍य भारतीय सुधीर रवि भारत के अस्‍पतालों को 11 औद्योगिक श्रेणी के ऑक्‍सीजन जनरेटर देना चाहते हैं जिससे अगले 6 महीने तक 50 हजार लोगों को ऑक्‍सीजन दिया जा सकेगा.

भारतीय मूल के अर‍बपतियों ने खोला खजाना

यही नहीं भारतीय मूल के अरबपति भी इस मुश्किल घड़ी में भारतीयों की मदद के लिए दिल खोलकर पैसा दे रहे हैं.

टेक इन्‍वेस्‍टर विनोद खोसला विमान से सप्‍लाइ भेजने के इच्‍छुक हैं, वहीं गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई कोरोना पीड़‍ितों और चिकित्‍सा उपकरणों के लिए एक करोड़ 80 लाख डॉलर रहे हैं.

माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्‍या नडेला ने वादा किया है कि जरूरी सप्‍लाइ के लिए उनकी कंपनी नेटवर्क बनाएगी.

ब्रिटेन में रहने वाले स्‍टील किंग लक्ष्‍मी निवास मित्‍तल, करन ब‍िलिमोरिया जैसे दिग्‍गज और आम भारतीय भारत को सहायता भेज रहे हैं.

ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय मूल के अरबपति मोहसिन और जुबैर इसा ने भारत के गुजरात राज्‍य के चार अस्‍पतालों को 35 लाख डॉलर की सहायता दी है। दोनों ही मूल रूप से गुजरात के रहने वाले हैं.

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