Anti Covid Drug 2DG DRDO की नई दवा ऑक्सीजन पर निर्भरता करेगी कम

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Anti Covid Drug 2DG

Anti Covid Drug 2DG 2 डीजी दवा वायरस से संक्रमित कोशिका (सेल) में जमा हो जाती है वायरस से संक्रमित कोशिका पर चुनिंदा तरीके से काम करना इस दवा को खास बनाता है.

नई दिल्ली: Anti Covid Drug 2DG 2 डीजी दवा भारत ने कोरोना मरीजों के लिए इलाज के लिए लांच कर दी है. कोरोना के खिलाफ जंग में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) की नई दवा उम्‍मीद की किरण लेकर आई है.\


इस दवा का नाम 2-डीऑक्‍स‍ी-डी-ग्लूकोज(‘2 DG’) है. कोरोना की इस दवा 2-डीजी (2-deoxy-D-glucose) को देश में ‘गेमचेंजर’ कहा जा रहा है.

Anti Covid Drug 2DG 2 कोरोना मरीजों के लिए काफी असरदार मानी जा रही है.

ये दवा कोरोना मरीजों को तेजी से ठीक होने में मदद करेगी और उनकी ऑक्सीजन पर निर्भरता को कम करेगी.

कोविड-19 की चल रही दूसरी लहर की वजह से बड़ी संख्या में मरीजों को ऑक्सीजन और अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ रही है.

इस दवा से कोरोना संक्रमण से जूझते लोगों के बचने की उम्मीद है क्योंकि यह दवा संक्रमित सेल पर काम करती है.

यह कोविड-19 मरीजों के अस्पताल में भर्ती रहने की अवधि भी कम करती है.

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इस दवा के इस्तेमाल से कोरोना मरीजों की ऑक्सजीन पर निर्भरता कम हो जाती है देश में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच यह दवा मरीजों के लिए उम्मीदें काफी बढ़ाने वाली है.

DRDO के इनमास लैब के वैज्ञानिकों ने यह दवा ‘2DG’ डाक्टर रेड्डी लैब्स के साथ मिलकर बनाई है.

‘2DG’ के मरीजों पर इस्तेमाल को डीसीजीआई ने भी मंजूरी दे दी है.


इस दवा को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन की प्रतिष्ठित प्रयोगशाला नामिकीय औषिध तथा संबद्ध विज्ञान संस्थान ने हैदराबाद के डॉ. रेड्डी लेबोरेटरी के साथ मिलकर बनाया है.

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डीआरडीओ (DRDO) की प्रयोगशाला आईएनएमएएस द्वारा दवा 2-डिऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) का एक एंटी-कोविड-19 चिकित्सकीय अनुप्रयोग विकसित किया गया है.

Anti Covid Drug 2DG 2 को ऐसे समय मंजूरी दी गई जब भारत कोरोना वायरस की महामारी की दूसरी लहर से घिरा है और देश के हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर पर भारी दबाव है.

रिसर्च के नतीजों के बाद डीसीजीआई के केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने मई 2020 में 2-डीजी के कोविड-19 मरीजों पर दूसरे चरण का ट्रायल करने की मंजूरी दी.

दवा के प्रभाव और सुरक्षा की जांच करने के बाद मई से अक्टूबर 2020 तक दूसरे चरण का टेस्ट किया गया

और पाया गया कि सुरक्षित होने के साथ-साथ कोविड-19 मरीजों के ठीक होने भी मदद करता है.



दूसरे चरण के पहले हिस्से में छह अस्पतालों में और दूसरे चरण के दूसरे हिस्से में देश के 11 अस्पतालों में 110 मरीजों पर परीक्षण किया गया.

सफल नतीजों के बाद डीसीजीआई ने नवंबर 2020 में तीसरे चरण के परीक्षण को मंजूरी दी.

तीसरे चरण का ट्रायल दिसंबर 2020 से मार्च 2021 के बीच देश भर के 27 अस्पतालों के 220 मरीजों पर किया गया.

ये अस्पताल दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु के हैं.

तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल के आंकड़े डीसीजीआई के सामने रखे गए.

नतीजों के मुताबिक 2-डीजी दवा से लक्षण वाले मरीजों में अच्छा सुधार हुआ

और तीसरे दिन से ही इस दवा से ऑक्सीजन निर्भरता (31 प्रतिशत के मुकाबले 42 प्रतिशत) पूरी तरह से समाप्त हो गई.

इसी तरह का ऑक्सीजन निर्भरता में अच्छा सुधार 65 साल से अधिक उम्र के मरीजों में भी देखने को मिला.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में कोरोना की दवाएं बनाने की अपील की थी जिसके बाद डीआरडीओ ने इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया.

अप्रैल 2020 में महामारी की पहली लहर के दौरान,

आईएनएमएएस-डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने हैदराबाद स्थित सेंटर फॉर सेल्यूलर ऐंड मॉलिक्यूल बायोलॉजी के साथ मिलकर लैब में प्रयोग किया

वैज्ञानिकों ने पाया कि ये मॉलिक्यूल सार्स कोव-2 वायरस के खिलाफ कारगर हैं और वायरस के संक्रमण को बढ़ने से रोकते हैं.

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