Black Fungus Cases केवल भारत में ही क्यों हैं?

5
416
Black Fungus Cases
A Quick Symptom guide to check Black Fungus Infection.

Black Fungus Cases कहीं इंडस्ट्रियल आक्सीजन तो नहीं बनी मामले बढ़ने का कारण?

नई दिल्ली : Black Fungus Cases भारत में जिस तरह से बढ़ रहे हैं, उससे यह सवाल भी उठ रहा है कि कोरोना महामारी तो दुनिया भर में है.

लेकिन BLACK FUNGUS के मामले सिर्फ भारत में ही इतनी तेजी से क्यों बढ़ रहे हैं?

कोरोना की पिछली लहर में भारत में शुगर के मरीज काफी थे, लंबे समय तक आइसीयू में भर्ती रहे,

स्टेरायड भी खूब दी गई, लेकिन तब तक ब्लैक फंगस नहीं फैला.

कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने भारत में काफी तबाही मचाई है.

बड़ी संख्या में मरीजों को ऑक्सीजन और अस्पताल में बेड्स की शॉर्टेज का भी सामना करना पड़ा है.

लेकिन पिछले कुछ दिनों के दौरान ब्लैक फंगस इंफेक्शन के रूप में देश के लोगों को एक और बड़ी मुसीबत से जूझना पड़ रहा है.

इस खतरनाक इंफेक्शन की वजह से बहुत से ऐसे मरीजों की जान जोखिम में पड़ रही है.

जो किसी तरह कोरोना का मुकाबला करके ठीक हुए हैं.

डॉ बताते हैं कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर आने से पहले आमतौर पर साल में ब्लैक फंगस के एक या दो मामले ही देखने को मिलते थे.

ये भी पढ़ें: Know the disease : Mucormycosis या Black Fungus क्या है?

वो भी ऐसे मरीजों में जिनकी रोक प्रतिरोध क्षमता कैंसर या ऑर्गन ट्रांसप्लांट जैसे किसी कारण से बेहद कम होती थी.

लेकिन अब हालात इतने खराब हैं कि हॉस्पिटल्स में हर दिन एक मामले सामने आ रहे हैं.

डाक्टरों बताते हैं कि औद्योगिक आक्सीजन ने बेशक मरीजों की जान बचाई.

लेकिन इसके साथ मरीजों की नाक में पहुंचा प्रदूषण ब्लैक फंगस की वजह बना.

कोरोना संक्रमण में अफरा-तफरी की वजह से आक्सीजन एवं नाइट्रोजन सिलेंडरों को पूरी तरह साफ किए बिना आक्सीजन भरकर अस्पतालों में भेजनी पड़ी.

Black Fungus Cases: सिलेंडरों की सफाई ठीक से न होना भी ब्लैक फंगस बना सकता है.

कोरोना की दूसरी लहर में मध्य अप्रैल से मरीजों के लिए आक्सीजन सिलेंडरों की कमी पड़ने लगी.

सरकार ने औद्योगिक सेक्टर की पूरी आक्सीजन अस्पतालों में भेजने का फरमान जारी हुआ.

मेडिकल आक्सीजन के सीमित सिलेंडर थे.

ये भी पढ़ें: DIPCOVAN-अब DRDO ने बनाई डिपकोवैन एंटीबॉडी डिटेक्शन किट

उद्योगों में प्रयोग होने वाले आक्सीजन, नाइट्रोजन, आर्गन व नाइट्रोजन गैसों के सिलेंडरों में गैस भरकर अस्पतालों में पहुंचाना पड़ा.

पुराने एवं गोडाउन में रखे गए सिलेंडरों को तत्काल आक्सीजन आपूर्ति में इस्तेमाल किया गया.

इंडस्ट्रियल आक्सीजन की शुद्धता 85-90 फीसद होती है.

जिसकी आपूर्ति अस्पतालों में करनी पड़ी, जबकि मेडिकल आक्सीजन 95 फीसद से ज्यादा शुद्ध होनी चाहिए.

भारत में ब्लैक फंगस के मामले अधिक आने की सबसे बड़ी वजह यह है कि दुनिया भर में सबसे अधिक डायबिटीज के मामले भारत में हैं.

यहां डायबिटीज के लगभग 7 करोड़ मरीज हैं.

डॉ का कहना है कि कोरोना केसेज की बाढ़ के चलते बहुत से अस्पताल साफ-सफाई पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पा रहे हैं.

इससे इक्विपमेंट पर फंगस जमा होने का खतरा बढ़ गया है.

Follow us on Facebook

Follow us on YouTube

Download our App

5 COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here