Pongal, Makar Sankranti, Lohadi का जाने महत्व 

0
263
Pongal, Makar Sankranti, Lohadi

Pongal, Makar Sankranti, Lohadi अन्न उत्पादन से जुडे है त्योहार

Pongal, Makar Sankranti, Lohadi जैसे त्योहार कृषि प्रधान भारत में अन्न उत्पादन से जुडे हैं.

पूरे देश में ही इस समय अन्न उत्पादन की खुशी में अलग-अलग नामों से त्योहार मनाये जाते हैं.

इसे Pongal, Makar Sankranti, Lohadi के नामों से मनाया जाता है.

वैसे तो मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को मनाया जाता है.

लेकिन इस बार यह 15 जनवरी को मनाया जाएगा.

Pongal, Makar Sankranti, Lohadi से ऋतु में परिवर्तन होने लगता है.

शरद ऋतु क्षीण होने और बसंत के आगमन का संदेश है.

इसके बाद दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं.

सूर्य 14 की रात 8 बजे मकर राशि में प्रवेश करेंगे.

इसलिए 15 को प्रातः 10 बजे तक इसका पुण्यकाल होगा.

मकर संक्रांति, एक ऐसा त्योहार है जिसका इंतजार एक माह पहले ही शुरू हो जाता है.

यह संक्रांति अन्य संक्रांतियों से अलग है.

सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है और यही वह दिन है जब सूर्य उत्तरायण होता है और उत्तरी गोलार्द्ध सूर्य की ओर मुड़ जाता है.

Pongal,Makar Sankranti, Lohadi से होने लगता है ऋतु में परिवर्तन

मकर संक्रांति के दिनों में ही दक्षिण भारत में, विशेष रूप से तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश में पोंगल पर्व मनाया जाता है.

तीन दिन के पर्व में सूर्य की पूजा, पशु धन की पूजा और सामूहिक स्तर पर  सभी लोग गीत-संगीत का आनंद लेते हैं.

पोंगल पर्व से ही तमिलनाडु में नववर्ष का शुभारंभ हो जाता है।

गांवों में यह पर्व ज्यादा जोर-शोर से मनाया जाता है.

पशुधन पूजा में पोंगल पर्व बिल्कुल गोवर्धन पूजन की तरह है.

ये भी पढ़ें: ब्रेन स्ट्रोक का कारण बन रही बदलती जीवनशैली

इस समय धान की फसल खलिहान में आ चुकी होती है.

चावल, दूध, घी, शक्कर से भोजन तैयार कर सूर्य देव को भोग लगाते हैं.

पोंगल पर अच्छी फसल, प्रकाश और सुखदायी जीवन के लिए सूर्य के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का पर्व है.

Pongal से तमिलनाडु में हो जाता है नववर्ष का शुभारंभ

पोंगल त्योहार का प्रमुख देवता सूर्य को माना जाता है.

खास तौर पर पोंगल के दिन पशुधन व घर के हर जानवर को साफ-स्वच्छ और स्नान कराया जाता है.
बैलों और गौमाता के सींगों को कलर से रंगबिरंगी किया जाता हैं.

स्वादिष्ट भोजन पका कर उन्हें खिलाए जाते है. सांडों-बैलों के साथ भागदौड़ कर उन्हें नियंत्रित करने का जश्न भी मनाया जाता है.

यह नई ऋतु नई फसल के आगमन का दिन है अतः मकर संक्रांति देश के अलग-अलग हिस्सों और धर्मों में अलग-अलग नाम से मनाई जाती है.

पंजाब और जम्मू.कश्मीर में मकर संक्रांति को लोहड़ी के नाम से मनाया जाता है.

परिवार के सदस्यों के साथ लोहड़ी पूजन की सामग्री जुटाकर शाम होते ही विशेष पूजन के साथ आग जलाकर लोहड़ी का जश्न मनाया जाता है.

इस उत्सव को पंजाबी समाज जोशो-खरोश से मनाता है.

लोहड़ी मनाने के लिए लकड़ियों की ढेरी पर सूखे उपले भी रखे जाते हैं.

समूह के साथ लोहड़ी पूजन करने के बाद उसमें तिल, गुड़, रेवडी एवं मूँगफली का भोग लगाया जाता है.

Follow us on Facebook.

 

 

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here