सुप्रीम कोर्ट से retired Justice Arun Mishra ने आज NHRC के अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाल लिया.
नई दिल्ली : Retired Justice Arun Mishra को NHRC अध्यक्ष पद के लिए पीएम मोदी की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय कमेटी ने चुना है.
कमेटी में मौजूद विपक्ष के एकमात्र सदस्य ने खुद को चयन प्रक्रिया से अलग कर लिया है.
Retired Justice Arun Mishra की NHRC अध्यक्ष पद के लिए इस नियुक्ति को लेकर बवाल हो रहा है.
आरोप लग रहे हैं कि जस्टिस मिश्रा को ये अहम पद इसलिए दिया गया
क्योंकि उन्होंने पीएम मोदी की तारीफ की थी.
जस्टिस अरुण कुमार मिश्रा (सेवानिवृत्त) ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाला। pic.twitter.com/uTWt3iXV3O
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 2, 2021
चयन समिति में प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश,
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे शामिल थे.
हालांकि, न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार,
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर,
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के नए अध्यक्ष और सदस्यों के चयन की प्रक्रिया से खुद को अलग कर लिया था.
Retired Justice Arun Mishra जब सुप्रीम कोर्ट में जज थे, तब उस समय विवादों में आ गए थे जब उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी की तारीफ की थी.
यह घटना फरवरी 2020 की है.
पिछले साल फरवरी में जस्टिस अरुण मिश्रा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की थी.
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पीएम को, उन्हें “अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसनीय दूरद्रष्टा” और बहुमुखी प्रतिभा वाला नेता बताया था.
उन्होंने कहा था कि पीएम मोदी की सोच वैश्विक स्तर की है लेकिन वे स्थानीय हितों की अनदेखी नहीं करते हैं.
सुप्रीम कोर्ट के एक सिटिंग जज द्वारा इस तरह से खुलेआम,
प्रधानमंत्री की तारीफ पर भी लोगों ने काफी सवाल उठाए थे.
यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस ए.पी.शाह ने भी इसे पर हैरानी जताई थी.
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पीएम मोदी की तारीफ करने के बाद सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने उनकी आलोचना की थी.
1500 से ज्यादा पुराने कानूनों को खत्म करने के लिए,
मोदी और केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद की तारीफ करते हुए,
जस्टिस मिश्रा ने कहा था कि मोदी के नेतृत्व में भारत अंतरराष्ट्रीय समुदाय का जिम्मेदार और सबसे मित्रवत सदस्य है.
जस्टिस मिश्रा के बयान पर एससीबीए ने चिंता जताई थी
और कहा था कि “एससीबीए का मानना है कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता संविधान की मूल संरचना है
और इस तरह की स्वतंत्रता संरक्षित किया जाना चाहिए.