BKU leader rakesh tikait ने ममता से पश्चिम बंगाल में फलों, सब्जियों और दुग्ध उत्पादों के लिए एमएसपी तय करने की मांग भी की.
Farmers movement: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जाना चाहिए. यूपी चुनाव में बीजेपी को हो सकता है नुकसान?
केंद्रीय कृषि बिलों के खिलाफ पिछले एक साल से दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का धरना चल रहा है.
भाकियू नेता राकेश टिकैत ने आज पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की.
बैठक के बाद टिकैत ने कहा कि ममता बनर्जी ने किसान आंदोलन को समर्थन देने का आश्वासन दिया है.
राकेश टिकैत पूर्व निर्धारित समय पर राज्य सचिवालय नबान्न अपराह्न तीन बजे पहुंच गए हैं.
विधानसभा चुनाव के बाद ममता बनर्जी और राकेश टिकैत की यह पहली मुलाकात है.
BKU leader rakesh tikait ने लोगों से बीजेपी उम्मीदवारों को वोट नहीं देने की अपील की थी.
जिसका कहीं न कहीं फायदा टीएमसी को हुआ.
किसान संगठनों की मांग है कि तीनों कृषि कानूनो को तुरंत रद्द कर दिया जाए.
एमएसपी को लेकर भी कानून बनाने की बात कही गई है, लेकिन सरकार ऐसा करने के मूड में नहीं दिख रही.
किसान नेताओं का कहना है कि जब तक सरकार उनकी मांगों को नहीं मानती है,
तब तक वो हर उन राज्यों में जाकर बीजेपी के खिलाफ वोट करने को कहेंगे, जहां चुनाव होने जा रहे हैं.
अब पश्चिम बंगाल के बाद यूपी में अगले कुछ ही महीनों में चुनाव होंगे,
अगर तब तक किसानों से बात नहीं बनती है तो ये बीजेपी के लिए बड़ा नुकसान हो सकता है.
खासतौर पर पश्चिमी यूपी में बीजेपी के लिए किसान नेता मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं.
Farmers movement: सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि किसान के आंदोलन को पूरा समर्थन है.
विधानसभा में प्रस्ताव लाकर भी समर्थन किया है. शुरुआत से ही हम समर्थन कर रहे हैं.
हम 26 दिनों तक किसान की जमीन नहीं लेने के लिए आंदोलन किया था.
कानून भी बनाया था कि जबरन जमीन नहीं लेंगे.
विरोधी दल के सीएम के साथ बात करके वर्चुअल कांफ्रेंस कर सकते हैं. कोविड समाप्त होने के बाद चर्चा करेंगे.
इनके आंदोलन को यूनिफॉर्म लेटर दिया जाए. कोविड से लेकर किसान, आज किसान भूखा है.
जनवरी से आंदोलन चल रहा है और बात भी नहीं कर रहा है.
किसान नेता ने कहा कि पश्चिम बंगाल को एक मॉडल स्टेट की तरह काम करना चाहिए
और किसानों को और लाभ दिया जाना चाहिए.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा, “उद्योगों को नुकसान हो रहा है और दवाओं पर जीएसटी लगाया जा रहा है.
पिछले 7 महीनों से, केंद्र सरकार ने किसानों से बात करने की कोशिश भी नहीं की.
मेरी मांग है कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जाए.”
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के दौरान राकेश टिकैत ने टीएमसी को अपना समर्थन दिया था.
किसान संगठन पिछले छह महीने से केंद्र सराकर के नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं.
दिल्ली के सिंघु बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर किसान महीनों से टेंट लगाकर अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं.
आंदोलन के छह महीने पूरे होने पर किसानों ने 26 मई को देशभर में प्रदर्शन भी किया था.