नई दिल्ली : CM Yogi in Delhi उत्तर प्रदेश की राजधानी में पिछले एक महीने से भाजपा में सियासी अटकलों का बाजार गर्म है.
इस बीच अचानक आज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दिल्ली चले गए हैं.
जानकारी के अनुसार, सीएम योगी की दिल्ली में पहले गृह मंत्री अमित शाह और
फिर शुक्रवार को पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे.
CM Yogi in Delhi लखनऊ के सत्ता के गलियारों में सीएम योगी आदित्यनाथ के दौरे को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं चल रहीं हैं.
कहा जा रहा हैं कि बुधवार की देर रात मुख्यमंत्री योगी के साथ बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह
और संगठन महामंत्री सुनील बंसल के साथ बैठक हुई.
कहा ये जा रहा है कि हाल के दिनों में राजनैतिक गतिविधियों के बारे में रिपोर्ट देने के लिए मुख्यमंत्री योगी दिल्ली गए हैं.
इस बैठक के बारे में वैसे तो सरकार की तरफ से कहा गया कि ये हर महीने होने वाली रूटीन बैठक थी,
लेकिन इस बैठक में शामिल होने के लिए सुनील बंसल अपने कार्यक्रमों से हेलीकॉप्टर से वापस लखनऊ पहुंचे थे.
इधर पिछले एक महीने से भाजपा और आरएसएस के बड़े नेताओं ने लखनऊ का दौरा किया.
योगी सरकार के विस्तार से लेकर संगठन में बदलाव तक की चर्चा चलती रही.
कयास लगाए जा रहें हैं कि मोदी और योगी के बीच सब कुछ ठीक नहीं है ?
कहा जा रहा हैं कि जिस प्रकार पहली बार कानपुर हादसे में 17 लोगों के मारे जाने पर पीएम मोदी
ने घटना के बारे में मुख्यमंत्री योगी से पहले ट्वीट करके न सिर्फ संवेदना जताई,
बल्कि पीएम फंड से पीड़ितों को मुआवज़ा भी देने का ऐलान किया.
वो भी बिना योगी सरकार को टैग किये वो बताता है कि सब कुछ ठीक नहीं है.
इसके बाद आनन-फानन में रात में यूपी सरकार की तरफ से ट्वीट किया गया.
योगी के दिल्ली दौरे को पंचायत चुनाव और आगे की चुनावी रणनीति पर चर्चा करने से जोड़कर भी देखा जा रहा है.
यह भी हो सकती है कि योगी यह समझना चाह रहे हों कि आख़िरकार जितिन प्रसाद को शामिल करके,
पार्टी क्या रणनीति अपनाना चाहती है?
सबसे अहम बात यह कि हाल के दिनों में ही बीएल संतोष यूपी के बारे में केंद्र को रिपोर्ट सौंपी है.
उसके बारे में भी बातचीत इस अचानक यात्रा का एजेंडा हो सकती है.
चर्चा है कि योगी सरकार जल्द ही प्रदेश में लंबे समय से खाली चल रहे,
तीन आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों का ऐलान कर सकती है.
इन पदों की जिम्मेदारी संगठन से जुड़े नेताओं को ही दी जाएगी.
प्रदेश में अयोग के अध्यक्ष को राज्यमंत्री का दर्जा मिलता है.
सरकार इन पदों को भरकर नाराज चल रहे नेताओं को विधानसभा चुनाव से पहले खुश कर सकती है.