नई दिल्ली : केंद्रीय कैबिनेट ने 9 जून को एक बड़ा फैसला लिया . Indian Railway को पहले से मिले 700 मेगा हर्त्ज (MHz) में 5 MHz की और वृद्धि कर दी गई.
इस फैसले से रेलवे में बहुत बड़ा बदलाव आने की उम्मीद है.
इस नए स्पेक्ट्रम से भारतीय रेल में अब 4जी नेटवर्क का इस्तेमाल हो सकेगा.
4जी नेटवर्क रेलवे के पूरे सिग्नलिंग सिस्टम को बदल कर रख देगा.
इससे हादसे की संभावना घटेगी और मुसाफिरों की यात्रा बेहद सुरक्षित होगी.
नए स्पेक्ट्रम से भारतीय रेलवे को एलटीई आधारित मोबाइल ट्रेन रेडियो कम्युनिकेशन की मदद मिलेगी.
यह कम्युनिकेशन सिग्नल सिस्टम में इस्तेमाल हो सकेगा.
इस प्रोजेक्ट में 25,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का खर्च हो सकता है. इस पूरे प्रोजेक्ट को अगले 5 साल में पूरा करना है.
आम यात्रियों को क्या फायदा होगा
4जी टेक्नोलॉजी के चलते रेलवे का पूरा सिस्टम ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन (ATP) सिस्टम की तरफ ट्रांसफर होगा.
एटीपी सिस्टम के कई फायदे हैं.
यह ट्रेनों को हादसे से बचाता है क्योंकि पहले ही ट्रेन ड्राइवर को इसका संकेत मिल जाता है.
ट्रेनों को टक्कर होने से यह सिस्टम बचाता है. एटीपी की मदद से कोई ट्रेन सिग्नल नहीं जंप कर सकती.
खतरे के वक्त कोई ट्रेन सिग्नल को दरकिनार कर आगे नहीं निकल सकती.
इससे ट्रेनों की ओवरस्पीडिंग पर भी रोक लगेगी.
एटीपी सिस्टम रेल हादसे कैसे रोकेगा
एटीपी सिस्टम पूरी तरह से सेटेलाइट आधारित कंट्रोल सिस्टम के जरिये काम करता है.
अगर कोई ट्रेन ओवरस्पीड में चल रही है,
खतरे का संकेत नहीं मान रही तो सेटेलाइट सिग्नल तुरंत एटीपी कंट्रोल रूम को जानकारी देंगे जिससे इमरजेंसी ब्रेक लगाने के लिए अलार्म बच उठेगा.
इस सिस्टम में एंटी-कॉलिजन टेक्नोलॉजी भी लगी है जिससे दो ट्रेनें टकराने से पहले ही रुक जाएंगी.
जीपीएस के आधार पर ट्रेनों को जानकारी मिलेगी.
इस सिस्टम को अपग्रेड करने के लिए रेलवे को ऊच्च फ्रीक्वेंसी स्पेक्ट्रम की जरूरत थी. इसका ऐलान 9 जून को कर दिया गया.
वाई-फाई कनेक्टिविटी बढ़ जाएगी
4जी स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल ट्रेनों के परिचालन में बातचीत, मॉनिटरिंग, पैसेंजर इनफॉरमेशन डिसप्ले सिस्टम,
ट्रेनों की लाइव जानकारी, रेल में लगे कोच का वीडियो सर्विलांस करने में आसानी से हो सकेगा.
इस नई तकनीक से मौजूदा इंफ्रास्ट्रक्चर में ही ज्यादा ट्रेनों को चलाने में मदद मिलेगी.
इस सिस्टम से माल ढुलाई का खर्च बचाया जा सकेगा. वाईफाई कनेक्टिविटी बढ़ाने में भी मदद मिलेगी.
Indian Railway अब तक 6 हजार से ज्यादा स्टेशनों पर वाईफाई सेवा शुरू कर चुका है.
नए स्पेक्ट्रम से इसकी संख्या और बढ़ाने में मदद मिलेगी.
अब ट्रेनों में भी वाईफाई की सुविधा आसानी से मिल सकेगी.
Indian Railway : जीएसएम रेलवे क्या है
अभी पूरा सिग्नल सिस्टम जीएसएम आधारित रेलवे स्टैंडर्ड यानी कि GSMR पर चलता है.
इसे 1992 में शुरू किया गया था. इसे इंटरनेशनल यूनियन ऑफ रेलवे ने शुरू किया था.
इससे पहले भारत में मैनुअल सिग्नल सिस्टम से काम होता था.
अब भारती रेलवे इस सिस्टम को भी एटीपी सिस्टम से बदलने जा रहा है.
जीएसएमआर सिस्टम में सिग्नल सिस्टम पूरी तरह से लाल और हरी बत्ती पर आधारित होता है.
अब इसमें बड़े स्तर पर बदलाव होगा और भारतीय रेलवे यूरोपियन ट्रेन कंट्रोल सिस्टम और
ट्रेन कॉलिजन एवॉयडेंस सिस्टम अपनाने जा रहा है.
अभी कैसे होता है काम
अभी Indian Railway के पास 900 MHz में 1.6 MHz की सुविधा साथ में मिली हुई है.
यह सिस्टम पूरी तरह से जीएसएम-आर नेटवर्क पर चलता है.
हालांकि स्पेक्ट्रम की किल्लत के चलते रेलवे को 1.6 MHz पर ही काम करना होता है.
इससे पूरी तरह से मैनुअल सिग्नल सिस्टम पर काम होता आ रहा है.
यह यह सिस्टम बदल जाएगा और पूरा सिग्नल एटीपी सिस्टम पर काम करेगा.
स्पेक्ट्रम का किराया भारतीय रेल की तरफ से टेलीकम्युनिकेशन डिपार्टमेंट को दिया जाएगा.
रेलवे इसके लिए लाइसेंस फीस भी देगा.