Sharad Pawar की मेज़बानी में वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले विपक्षी अलायंस बनाने की कोशिश.
नई दिल्ली:NCP Chief Sharad Pawar मंगलवार को गैर-कांग्रेसी विपक्षी दलों की बैठक की मेज़बानी करेंगे.
पवार ने पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी के खिलाफ ‘एकजुट’ होने के संभावना तलाशने के लिए,
विपक्षी पाटियों की यह बैठक बुलाई है.
बैठक में कांग्रेस को आमंत्रित नहीं किया गया है.
यशवंत सिन्हा “राष्ट्र मंच” के प्रतिनिधियों के साथ- साथ कुछ गैर-कांग्रेस विपक्षी दलों के नेता कल शाम 4:00 बजे शरद पवार से मिलेंगे.
राष्ट्र मंच कोई राजनीतिक मंच नहीं है लेकिन भविष्य में इसके माध्यम से किसी तीसरे विकल्प की संभावना से इनकार भी नहीं किया जा सकता.
बैठक में RJD नेता तेजस्वी यादव को भी न्योता दिया गया था, लेकिन पार्टी सांसद मनोज झा कल दिल्ली में नहीं हैं.
AAP नेता संजय सिंह को भी शरद पवार की घर होने वाली मीटिंग के लिए निमंत्रण दिया गया है.
बैठक में ‘राष्ट्र मंच’ की ओर से कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा को भी बैठक के लिए न्यौता दिया गया है.
हालांकि तन्खा ने बताया कि वे बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे, 16 जून 2021 से विवेक तन्खा दिल्ली से बाहर हैं.
NCP Chief Sharad Pawar के साथ चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर की मुलाकात के बाद इस बैठक का ब्यौरा आया है.
जानकारी के अनुसार एनसीपी के मुखिया शरद पवार की दिल्ली में राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर के साथ बैठक हुई.
किशोर की यह पवार के साथ दूसरी बैठक है.
इस मुलाकात को 2024 के लोकसभा चुनावों की तैयारी के तौर पर देखा जा रहा था.
पवार और किशोर के बीच यह बैठक मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ बने राष्ट्र मंच की बैठक से पहले हुई है.
इस बैठक में शरद पवार पहली बार शामिल होंगे.
सूत्रों के अनुसार, 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस और बीजेपी विहीन तीसरे फ्रंट
और पीएम मोदी को चुनौती देने के लिए विपक्ष के संयुक्त पीएम उम्मीदवार के बारे में बात हो सकती है.
कई पार्टियों ने ऐसे ग्रुप से जुड़ने की इच्छा जताई है.
सूत्रों ने कहा कि पश्चिम बंगाल चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की जीत ने दिखाया है कि बीजेपी और उसकी अजेय मानी जाने वाली ‘चुनावी मशीनरी’ को पछाड़ना संभव है.
प्रशांत कुमार, पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी के ‘रणनीतिकार’ थे.
उन्होंने इस कठिन ‘लड़ाई’ में तृणमूल कांग्रेस को बीजेपी की कठिन चुनौती के खिलाफ जीत दिलाई थी
और ममता की अगुवाई में टीएमसी के तीसरी बार सत्ता में आने का मार्ग प्रशस्त किया था.